Himachal Pradesh Election: कांगड़ा-मंडी-शिमला से निकलेगा सत्ता का संकेत

Himachal Pradesh Election: जो भी दल कांगड़ा जिले की 15 सीटों में से दस जीत लेगा, सरकार उसी की बनेगी। 1998 में भाजपा ने यहां से 10 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी, जबकि 2003 में कांग्रेस ने ११ सीटें जीतीं थीं और सरकार बनाई थी।

Report :  Neel Mani Lal
Update:2022-12-08 10:17 IST

Himachal Pradesh Election The signal of power will emerge from Kangra Mandi Shimla (Social Media)

Himachal Pradesh Election: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के वोटों की गिनती जारी है और सबकी नजर प्रदेश के बड़े जिलों पर है। राज्य का सबसे बड़ा जिला कांगड़ा है, जिसके बाद मंडी और फिर शिमला का स्थान है। कांगड़ा जिले में विधानसभा अकी १५ सीटें हैं, मंडी में १० और शिमला जिले में ८ सीटें हैं। इन ३३ सीटों के नतीजों से राज्य में सत्ता का समीकरण बनता आया है।

जो भी दल कांगड़ा जिले की 15 सीटों में से दस जीत लेगा, सरकार उसी की बनेगी। 1998 में भाजपा ने यहां से 10 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी, जबकि 2003 में कांग्रेस ने ११ सीटें जीतीं थीं और सरकार बनाई थी। 2007 में भाजपा ने कांगड़ा से नौ सीटें जीती थीं। हालांकि उस समय नूरपुर से राकेश पठानिया निर्दलीय चुनाव जीत गए थे और उन्होंने भाजपा को समर्थन दे दिया था। 2012 में कांग्रेस ने कांगड़ा में 10 सीटें हासिल की थीं। इसके बाद 2017 के चुनाव में भाजपा ने यहाँ से ११ सीटें जीतीं और उसबार सरकार बनाई थी।

मंडी जिला

भाजपा और कांग्रेस के दो बड़े दिग्गज इसी जिले से हैं। निवर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मंडी से हैं। प्रतिभा सिंह कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष हैं और इसी जिले से सांसद भी हैं। मंडी में दस विधानसभा क्षेत्र हैं और यहां जिस पार्टी ने आधी से ज्यादा सीटें जीती हैं, उसने सरकार बनाई है। 1998 में कांग्रेस और हिमाचल विकास कांग्रेस पार्टी ने चार-चार सीटें जीती थीं। हिविकां ने बाद में सरकार बनाने में भाजपा का साथ दे दिया था। 2003 में कांग्रेस ने पांच, 2007 में भाजपा ने छह, 2012 में कांग्रेस और भाजपा दोनों ने पांच-पांच, और 2017 में भाजपा ने बम्पर नौ सीटें जीत ली थीं। यही वजह रही कि यहां से जयराम ठाकुर को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिल गया।

शिमला जिला

शिमला जिले में आठ विधानसभा क्षेत्र हैं और 1998 से ही कांग्रेस यहां आधी से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज करती आई है। 1998 में कांग्रेस ने छह सीटें जीती थीं और 2003 में पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी। २००३ में तीन सीटों पर निर्दलीय चुनाव जीत गए और इन सभी ने बाद में कांग्रेस को समर्थन दे दिया था। 2007 में कांग्रेस ने पांच सीटों पर जीत दर्ज की। 2012 में कांग्रेस शिमला जिले की छह सीटें जीतने में सफल रही। 2017 में कांग्रेस पांच ही सीटें शिमला से जीत पाई थी।

देखना है कि इस बार ये तीनों जिले क्या समीकरण बनाते हैं।

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