Shiv Pratap Shukla: जब योगी ने शिवप्रताप के खिलाफ आरएमडी को खड़ा कर भाजपा को दी थी शिकस्त, जानें हिमाचल के राज्यपाल का पूरा सफर

Shiv Pratap Shukla: शिवप्रताप और सीएम योगी में भले ही खटास रही हो अब संबंध काफी अच्छे हैं। वजह यह कि दोनों ने विरोध की मर्यादा को कभी पार नहीं किया।

Written By :  Purnima Srivastava
Update: 2023-02-12 05:35 GMT

Shiv Pratap Shukla (photo: social media )

Shiv Pratap Shukla: पूर्व केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला को भाजपा ने हिमाचल का राज्यपाल बनाया है। उनका नाम सुर्खियों में आते ही सीएम योगी और उनके रिश्तों की चर्चाएं होने लगती हैं। दोनों में भले ही खटास रही हो अब संबंध काफी अच्छे हैं। वजह यह कि दोनों ने विरोध की मर्यादा को कभी पार नहीं किया। पार्टी के प्रति निष्ठा ही है कि शिव प्रताप को पहले राज्यसभा सांसद बनाया गया। उसके बाद केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दी गई। और अब उन्हें हिमाचल का राज्यपाल बनाया गया है।

ये हैं योगी और शिवप्रताप के राजनीतिक अदावत की कहानी

गोरखनाथ मंदिर के वर्तमान पीठाधीश्वर और सीएम योगी आदित्यनाथ ने 2002 में भाजपा के खिलाफ अखिल भारतीय हिंदू महासभा से डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल को भाजपा प्रत्याशी शिव प्रताप शुक्ला के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा था। इतना ही नहीं, खुद योगी आदित्यनाथ ने मंच से सभाएं की थीं। नतीजा यह रहा कि सदर विधानसभा की यह सीट भाजपा बुरी तरह हार गई। गोरखपुर शहर सीट पर 4 बार से भाजपा से जीतने वाले शिव प्रताप शुक्ला अपना 5वां चुनाव डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल से बुरी तरह हारे थे।

अखिल भारतीय हिंदू महासभा के डॉ. अग्रवाल 38,830 वोट पाकर जीत गए थे। समाजवादी पार्टी के प्रमोद टेकरीवाल 20,382 वोट पाकर दूसरे, जबकि भाजपा के शिव प्रताप शुक्ला को 14,509 वोट ही मिले। 2007 में भाजपा ने शिव प्रताप की जगह हिंदू महासभा से जीत हासिल करने वाले डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल को टिकट दिया। उन्होंने 49,714 वोट पाकर भाजपा का परचम लहराया। फिर 2012 और 2017 में भी भाजपा ने डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल को लड़ाया और उन्होंने जीत हासिल की।

शिव प्रताप का राजनीतिक सफर

शिवप्रताप शुक्ल के राजनीतिक सफर की शुरुआत 1970 में हुई थी। वह सबसे पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े थे। 1981 में पहली बार भाजयुमो के क्षेत्रीय मंत्री बने। इमरजेंसी में मीसा के तहत गिरफ्तार हुए। करीब 19 महीने जेल में रहे। 2012 में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष बने। गोरखपुर से 1989 में कांग्रेस के सुनील शास्त्री को हराकर पहली बार विधानसभा में पहुंचे। 1989, 1991, 1993 और 1996 में लगातार गोरखपुर से विधायक चुने गए। तीन बार कैबिनेट मंत्री बने। भाजपा संगठन में उनकी खासी पकड़ है इसीलिए मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भी उन्हें मंत्री पद मिलने की संभावना जताई जा रही थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो संगठन में उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलना तय माना जा रहा था। उन्हें राज्यसभा में भाजपा का मुख्य सचेतक चीफ व्हिप बनाया गया। अब शिव प्रताप को राज्यपाल पद की अहम जिम्मेदारी दी गई है। इसकी सूचना मिलते ही उनके बेतियाहाता स्थित आवास पर समर्थकों की भीड़ जुटने लगी। लोग एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी का इजहार कर रहे हैं।

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