हर 12 साल में इस शिव मंदिर में आसमानी बिजली गिरने से शिवलिंग हो जाता हैं खंडित, फिर होता है ये चमत्कार

हिमाचल के जिला कुल्लू में स्थित भगवान शिव के मंदिर बिजली महादेव की मंदिर की शिवलिंग पर हर 12 साल बाद बिजली गिरती है और खंडित हो जाती है। ये खंडित शिवलिंग के टुकड़े एकत्रित कर मक्खन के साथ इसे जोड़ देते हैं, कुछ ही माह बाद शिवलिंग एक ठोस रूप में परिवर्तित हो जाता है।

Written By :  Deepak Kumar
Published By :  Network
Update:2021-12-09 21:33 IST

देवभूमि हिमाचल, जिसके कण-कण में भगवान बसते हैं। हर जगह देवी- देवताओं के मंदिर देखने को मिलेंगे। वहीं, हिमाचल वासियों की देवी- देवताओं का श्रद्धा और देवी- देवताओं के चमत्कार अपने आप में आलौखिक शक्ति का अहसास करवाता है।


आज हम आपको हिमाचल के जिला कुल्लू में स्थित भगवान शिव के मंदिर बिजली महादेव के बारे में बताने वाले हैं। ये मंदिर कुल्लू में लगभग 2,460 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस शिव मंदिर के बारे में मान्यता है कि इस मंदिर की शिवलिंग पर हर 12 साल बाद बिजली गिरती है। बिजली गिरने से मंदिर का शिवलिंग खंडित हो जाता है। यहां के पुजारी खंडित शिवलिंग के टुकड़े एकत्रित कर मक्खन के साथ इसे जोड़ देते हैं, कुछ ही माह बाद शिवलिंग एक ठोस रूप में परिवर्तित हो जाता है। इस रहस्य को लेकर इस शिवलिंग को देखने के लिए देश ही नहीं दुनिया भर के लोग यहां पर खिंचे चले आते हैं।


ये है मान्यता

इस पावन धाम के बारे में लोगों का मानना है कि यहां पर कई हजार साल पहले कुलान्तक नाम का दैत्य रहा करता था। एक बार अजगर की तरह दिखने वाले इस दैत्य ने जब ब्यास नदी के प्रवाह को रोककर घाटी को जलमग्न करना चाहा था। इस बात पर भगवान शिव ने उस राक्षस रूपी अजगर का वध कर दिया। कुलांत के मरते ही उसका शरीर एक विशाल पर्वत में बदल गया। कुलांत दैत्य को मारने के बाद शिव ने इंद्र से कहा कि वह 12 साल में एक बार इस जगह पर बिजली गिराया करें. हर बारहवें साल में यहां आसमानी बिजली गिरती है. इस बिजली से शिवलिंग चकनाचूर हो जाता है। कुल्लू घाटी का बिजली महादेव से रोहतांग दर्रा और मंडी के घोग्घरधार तक की घाटी कुलांत के शरीर से निर्मित मानी जाती है। कुलांत से ही कुलूत और इसके बाद कुल्लू नाम के पीछे यही किवदंती कही जाती है।


समुद्रतल से 2450 मीटर की ऊंचाई

बिजली महादेव मंदिर समुद्रतल से 2450 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। शीत काल में यहां भारी बर्फबारी होती है। कुल्लू का इतिहास बिजली महादेव के इर्द-गिर्द घूमता है और हर मौसम में दूर-दूर से लोग बिजली महादेव के दर्शन करने आते हैं।

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