Himachal Elections 2022: हिमाचल के कांगड़ा से निकलता है राज्य की सत्ता का रास्ता

Himachal Elections 2022: हिमाचल की चुनावी राजनीति में कांगड़ा जिला सबसे महत्वपूर्ण है और राज्य की सत्ता का रास्ता इसी जिले से होकर जाता है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2022-11-06 10:22 IST

हिमाचल के कांगड़ा से निकलता है राज्य की सत्ता का रास्ता: Photo- Social Media

Himachal elections: हिमाचल की चुनावी राजनीति में कांगड़ा जिला (Kangra district) सबसे महत्वपूर्ण है और राज्य की सत्ता का रास्ता इसी जिले से होकर जाता है। 2017 में भाजपा ने कांगड़ा जिले की 15 विधानसभा सीटों में से 11 पर जीत हासिल की थीं। राज्य के किसी भी जिले की तुलना में ये सबसे ज्यादा सीटें थीं। इस चुनाव में जयराम ठाकुर (Jairam Thakur) मुख्यमंत्री बने। उससे पहले 2012 में कांग्रेस ने कांगड़ा में 10 सीटें जीतीं और वीरभद्र छठी बार सीएम के रूप में लौटे।

1993 से कांगड़ा ने ही कांग्रेस या भाजपा में से किसी एक पार्टी को सत्ता में भेजा है। ऐसा कहा जाता है कि जिले में स्विंग वोटर सबसे ज्यादा हैं जो हिमाचल पर शासन करने वाली पार्टी का फैसला करते हैं। पिछले 30 वर्षों में कांगड़ा ने किसी एक राजनीतिक दल के पक्ष में स्पष्ट फैसला दिया है। कांगड़ा पर पकड़ बनाने वाली पार्टी ने कम से कम नौ सीटें जरूर मिलती हैं। डेटा से पता चलता है कि कांग्रेस और भाजपा, दोनों को न्यूनतम 40 फीसदी वोट मिलते हैं, और शेष 3-5 फीसदी स्विंग वोट हैं। यही कारण है कि कांगड़ा ही इस बार फिर से फैसला सुनाएगा।

कांगड़ा में राजपूतों का वर्चस्व

राज्य के बाकी हिस्सों की तरह कांगड़ा में राजपूतों का वर्चस्व है, जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), जिन्हें स्थानीय रूप से चौधरी कहा जाता है, राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण हैं। अनुमान है कि राजपूत समुदाय जिले की आबादी का लगभग 34 फीसदी, ओबीसी लगभग 32 फीसदी और 20 फीसदी ब्राह्मण हैं। शेष 14 फीसदी ज्यादातर चरवाहा समुदाय हैं, जिन्हें गद्दी और अनुसूचित जाति कहा जाता है।

भाजपा और कांग्रेस, दोनों दलों ने राजपूत और गद्दी नेताओं को ही ज्यादा टिकट दिए हैं। भाजपा ने कांगड़ा में ब्राह्मण को एक भी टिकट नहीं दिया है, जबकि कांग्रेस ने एक टिकट दिया है।

कांगड़ा के समर में जाति एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है लेकिन राज्य के महत्वपूर्ण मुद्दे मतदाताओं को स्विंग कर देते हैं। लोकल लोगों के अनुसार, अमूमन लोग उस पार्टी को वोट देते हैं जो जनता के लिए काम करती है। यहाँ के लोग अत्यधिक साक्षर और जागरूक हैं।

"अग्निपथ" योजना एक बड़ा चुनावी मुद्दा

हिमाचल के अधिकांश अन्य जिलों के विपरीत, कांगड़ा और पड़ोसी जिलों हमीरपुर, ऊना और मंडी में "अग्निपथ" योजना एक बड़ा चुनावी मुद्दा प्रतीत होती है। इन जिलों में कुल 35 सीटें हैं। हिमाचल पूर्व सैनिक संघ के अनुमान के अनुसार, सशस्त्र बलों में इन चार जिलों के लगभग 1.30 लाख पूर्व सैनिक और लगभग 40,000 सेवारत कर्मी हैं, उनका दावा है कि सशस्त्र बल में कांगड़ा जिले के हर तीसरे परिवार का एक व्यक्ति या तो सेवारत या सेवानिवृत्त सदस्य है। हर साल कांगड़ा, हमीरपुर, ऊना और मंडी जिलों के 4,000 युवाओं को भारतीय सेना में नौकरी मिलती है। अग्निपथ योजना को यहां के लोग रोजगार के लिए झटका मानते हैं।

Tags:    

Similar News