Independence Day 2022: लाल किले से PM मोदी का भ्रष्टाचार-परिवारवाद पर चोट, बोले- ये दीमक की तरह देश को चाट रहा
प्रधानमंत्री ने दिया नया नारा
लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, 'देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया था। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने इसमें 'जय विज्ञान' जोड़ा और अब इसमें 'जय अनुसंधान' जोड़ने का समय आ गया है। अब 'जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान हो। देश को इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।'
'जब तनाव की बात होती है, तो योग दिखता है'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने संबोधन में योग की भी चर्चा की। उन्होंने कहा, 'आज जब तनाव की बात होती है, तो लोगों को योग दिखता है। 'सामूहिक तनाव' की बात भी होती है। इस क्रम में भारत की पारिवारिक व्यवस्था भी दिखती है।'
धरती से जुड़ेंगे, तभी ऊंचा उड़ेंगे- पीएम
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा, 'जब हम अपनी धरती से जुड़ेंगे, तभी तो ऊंचा उड़ेंगे। जब ऊंचा उड़ेंगे, तभी तो विश्व को समाधान दे पाएंगे। इसलिए हमें अपनी धरती से जुड़ना चाहिए।
प्रधानमंत्री का छलका दर्द
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लाल किले (Red Fort) से दर्द भी छलका। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'मेरी एक पीड़ा है। मेरा दर्द है। मैं इसे देशवासियों के सामने नहीं कहूंगा तो कहां कहने जाऊंगा। उन्होंने कहा, आज किसी न किसी वजह से हमारे अंदर विकृति आई है। खासकर हमारी बोलचाल में। हमारे स्वभाव में है, हम नारी का अपमान करते हैं। क्या हम स्वभाव से, संस्कार से, रोजमर्रा की जिंदगी में 'नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति' का संकल्प ले सकते हैं। नारी का गौरव, राष्ट्र के सपने को पूरे करने में बेहद बड़ी पूंजी बनने वाला है। मैं इसे ये सामर्थ्य में देख रहा हूं।'
प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले की प्राचीर से दिलाए '5 प्रण'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'अब समय आ गया है कि देश बड़े संकल्प लेकर आगे बढ़ेगा। वह बड़ा संकल्प है 'विकसित भारत'। उससे कम कुछ नहीं होना चाहिए। दूसरा प्रण ये है कि किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर अगर गुलामी का एक भी अंश हो उसे किसी भी हालत में बचने नहीं देना है। तीसरा प्रण शक्ति को लेकर है। उन्होंने कहा, हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए। यही विरासत है, जिसने भारत को 'स्वर्ण काल' दिया था। यह विरासत है, जो समय-समय पर परिवर्तन का सामर्थ्य रखता है। प्रधानमंत्री ने कहा, चौथा प्रण है एकता और एकजुटता। देश के 130 करोड़ देशवासियों में एकजुटता। न तो कोई अपना और न कोई पराया। एक भारत औऱ श्रेष्ठ भारत के लिए ये प्रण है। प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा, हमारा 5वां प्रण है नागरिकों का कर्तव्य। इससे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री भी बाहर नहीं होता। ये अगले 25 सालों के संकल्प को पूरा करने के लिए हमारे प्रण हैं।'
PM मोदी- मेरा देश 'विकसित देश' होगा
पीएम नरेंद्र मोदी युवाओं को लेकर आशान्वित दिखे। उन्होंने देश के युवाओं से अपील की है कि, 'वे आजादी के 100 वर्ष पूरे होने के लिए अभी से संकल्प लें। तब यह देश विकसित होगा। विकास के केंद्र में मनुष्य होगा।' प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, कि जब देश आजादी के 100 वर्ष पूरे कर रहा होगा, तब युवा 50-55 साल का होगा।'
हम 'आजादी का अमृत महोत्सव' मना रहे हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'आज जब हम 'आजादी का अमृत महोत्सव' मना रहे हैं, तब बीते 75 वर्षों में देश के लिए जीने-मरने वाले, राष्ट्र की सुरक्षा करने वाले तथा देश के संकल्पों को पूरा करने वाले चाहे वो सेना के जवान हों, पुलिसकर्मी हों या जन प्रतिनिधि हों, स्थानीय स्वराज की संस्थाओं के प्रशासक रहे हों।'
PM मोदी- 2014 में देश नागरिकों ने मुझे जिम्मेदारी दी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में आगे कहा, 'इस 75 साल की विकास यात्रा में, आशाओं, आकांक्षाओं तथा उतार-चढ़ावों के बीच हम सभी के प्रयासों से उस मुकाम तक पहुंचे हैं, जहां हम पहुंच सकते थे। साल 2014 में देश के नागरिकों ने मुझे जिम्मेदारी दी। आजादी के बाद पैदा हुए पहले व्यक्ति को आज लाल किले से इस देश के लोगों की प्रशंसा करने का मौका मिला है।'
पीएम मोदी- आदिवासी समुदाय को हम नहीं भूल सकते
पीएम नरेंद्र मोदी ने आगे कहा, 'जब हम देश की आजादी और स्वतंत्रता संग्राम की बात करते हैं तो हमें आदिवासी समुदाय को नहीं भूलना चाहिए। भगवान बिरसा मुंडा (Birsa Munda), सिद्धू-कान्हू, अल्लूरी सीताराम राजू (Alluri Sitaram Raju), गोविंद गुरु जैसे असंख्य नाम हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के लिए आवाज बुलंद की। आदिवासी समुदाय को मातृभूमि के लिए जीने-मरने के लिए प्रेरित किया।'
PM मोदी- आज पूरी दुनिया भारत की तरफ गर्व से देख रही
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, 'आज पूरी दुनिया भारत की तरफ गर्व और अपेक्षा से देख रहा है। आज विश्व समस्याओं का समाधान भारत की धरती पर खोजने लगी है। यह हमारे 75 वर्षों की अनुभव यात्रा का परिणाम है। जिस तरह से संकल्प लेकर हम आगे बढे हैं। दुनिया हमारी ओर नजर मिलाकर देख रही है। उन्होंने कहा, मैं इसे इतनी शक्ति के रूप में देखता हूं। मैं इसे थ्री शक्ति के तौर पर देखता हूं।'