मोदी सरकार इस बड़े कानून में कर सकती है बदलाव, कर्मचारियों की बढ़ेंगी मुश्किलें

कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन के चलते मौजूदा समय में मजदूरों की कमी हो गई है, जबकि रोजमर्रा के सामानों की डिमांड में तेजी से इजाफा हुआ है। इसीलिए सरकार इससे जुड़े 1948 के कानून में बदलाव पर विचार कर रही है।

Update: 2020-04-14 11:13 GMT

नई दिल्ली: कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन के चलते मौजूदा समय में मजदूरों की कमी हो गई है, जबकि रोजमर्रा के सामानों की डिमांड में तेजी से इजाफा हुआ है। इसीलिए सरकार इससे जुड़े 1948 के कानून में बदलाव पर विचार कर रही है।

अगर इस कानून में बदलाव होता है तो चुनिन्दा सेक्टर्स में कार्य करने वाले कर्मचारियों को आठ की जगह 12 घंटें की शिफ्ट करनी पड़ सकती है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नया अध्यादेश राज्य सरकारों को प्रतिष्ठानों में कर्मचारियों के काम के घंटे बढ़ाने की छूट देगा। कानून में नया बदलाव कंपनियों को शिफ्ट बढ़ाने का अधिकार देगा।

मौजूदा समय में रोजाना 8 घंटे की शिफ्ट होती है। सप्ताह में छह दिन ही किसी से काम कराया जा सकता है। अगर इस प्रस्ताव पर फैसला हो जाता है तो रोजाना की शिफ्ट 12 घंटे की हो जाएगी। इसके लिए 1948 के कारखाना अधिनियम में संशोधन करना होगा।

मौजूदा कानून 1948 के अधिनियम की धारा 51 में कहा गया है कि किसी भी वयस्क को किसी कारखाने में काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है साथ ही, किसी भी सप्ताह में 48 घंटे से अधिक काम नहीं कराया जा सकता।

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ऐसा क्यों?

मीडिया रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि नियोक्ता संगठनों और इंडस्ट्री ने सरकार से काम के घंटे बढ़ाने का अनुरोध किया है क्योंकि इससे उन्हें मजदूरों की कमी के बाद लॉकडाउन की समस्या का समाधान करने में मदद मिलेगी। आपको बता दें कि कई मजदूरों वापस अपने घर चले गए हैं और तुरंत काम में शामिल नहीं हो सकते हैं।

आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने की सरकार की योजना के तहत कई केंद्रीय मंत्रियों ने सोमवार से अपने संबंधित कार्यालयों से काम फिर से शुरू कर दिया।

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