गुजरात दंगा: SIT की नौ घंटे चली पूछताछ, मोदी ने एक कप चाय भी नहीं पी...

गुजरात दंगों के सिलसिले में नरेंद्र मोदी से एसआईटी ने नौ घंटे तक लंबी पूछताछ की थी मगर इस दौरान मोदी ने जांचकर्ताओं के बार-बार अनुरोध करने के बावजूद एक कप चाय तक नहीं स्वीकार की थी। उस समय मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। 

Update: 2020-10-27 03:33 GMT
गुजरात दंगा: SIT की नौ घंटे चली पूछताछ, मोदी ने एक कप चाय भी नहीं पी...

नई दिल्ली। गुजरात दंगों के सिलसिले में नरेंद्र मोदी से एसआईटी ने नौ घंटे तक लंबी पूछताछ की थी मगर इस दौरान मोदी ने जांचकर्ताओं के बार-बार अनुरोध करने के बावजूद एक कप चाय तक नहीं स्वीकार की थी। उस समय मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे।

एसआईटी प्रमुख रहे आर के राघवन ने अपनी नई किताब में यह खुलासा किया है। राघवन के मुताबिक इस लंबी पूछताछ के दौरान मोदी से 2002 के गुजरात दंगों के संबंध में सबसे ज्यादा सवाल पूछे गए थे। इस दौरान मोदी पूरी तरह संयत थे और उन्होंने शांति व धैर्य के साथ सारे सवालों का जवाब दिया था।

एसआईटी प्रमुख रहे राघवन का खुलासा

एसआईटी के प्रमुख रहे आरके राघवन केंद्रीय जांच ब्यूरो सीबीआई के प्रमुख भी रह चुके हैं। उनकी हाल में आई किताब ए रोड वेल ट्रैवेल्ड इन दिनों खासी चर्चा में है। इस किताब में ही राघवन ने मोदी से की गई पूछताछ के बारे में कई बड़ी जानकारियां दी हैं। 2002 के गुजरात दंगों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एसआईटी का गठन किया गया था। मोदी से की गई पूछताछ सियासी कारणों से काफी चर्चा में रही थी। बाद में एसआईटी की ओर से मोदी को क्लीन चिट दे दी गई थी जिस कारण गुजरात दंगों को लेकर उठा सियासी तूफान शांत हो गया था।

कई हाईप्रोफाइल जांच कर चुके हैं राघवन

गुजरात दंगों के साथ ही राघवन का नाम कई अन्य महत्वपूर्ण जांचों के साथ भी जुड़ा रहा है। उन्होंने बोफोर्स घोटाले के साथ ही चारा घोटाले और क्रिकेट में मैच फिक्सिंग जैसे कई अन्य चर्चित और महत्वपूर्ण मामलों की भी जांच की थी। देश के कई हाईप्रोफाइल मामलों की जांच से जुड़े रहे राघवन ने अपनी आत्मकथा में मोदी से की गई पूछताछ के बारे में कई नई जानकारियां दी हैं।

खुद ऑफिस आने को तैयार हो गए थे मोदी

राघवन का कहना है कि उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी पूछताछ के लिए खुद एसआईटी ऑफिस जाने के लिए राजी हो गए थे। एसआईटी ने मोदी से कहा था कि अगर उनसे किसी और स्थान पर पूछताछ की गई तो इस संवेदनशील मामले में पक्षपात के आरोप लग सकते हैं। इस अनुरोध के बाद मोदी ने मामले की संवेदनशीलता को समझते हुए एसआईटी ऑफिस आने पर रजामंदी जाहिर की थी। वे अपने साथ पानी की बोतल लेकर पूछताछ के लिए एसआईटी ऑफिस पहुंचे थे।

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मल्होत्रा को सौंपी थी पूछताछ की जिम्मेदारी

तमिलनाडु कैडर के आईपीएस अधिकारी राघवन के मुताबिक उन्होंने एसआईटी सदस्य अशोक मल्होत्रा को इस महत्वपूर्ण पूछताछ की जिम्मेदारी सौंपी थी। राघवन का कहना है कि मैं मोदी के साथ सांठगांठ के किसी भी आरोप से बचना चाहता था और इसी कारण मैंने मल्होत्रा को यह जिम्मेदारी सौंप दी थी।

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लंबी पूछताछ में एक कप चाय तक नहीं पी

मोदी से यह महत्वपूर्ण पूछताछ राघवन के निजी चेंबर में की गई थी। राघवन के मुताबिक बाद में अशोक मल्होत्रा ने मुझे बताया कि देर रात तक चली इस लंबी पूछताछ के दौरान मोदी लगातार संयत बने रहे और एक बार भी उन्होंने आपा नहीं खोया। एसआईटी टीम की ओर से लंच के बारे में पूछे जाने पर मोदी ने इस प्रस्ताव को विनम्रतापूर्वक ठुकरा दिया था। उन्होंने इस दौरान जांचकर्ताओं के बार-बार अनुरोध करने पर भी एक कप चाय तक नहीं पी थी। पूछताछ के दौरान मोदी एक छोटा ब्रेक लेने के लिए मुश्किल से तैयार हुए थे और वह भी इसलिए ताकि इस दौरान मल्होत्रा को कुछ राहत मिल सके।

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जांच को प्रभावित करने में जुटे थे कुछ लोग राघवन ने अपनी किताब में दावा किया है कि एसआईटी की जांच पूरी तरह से सटीक थी। गुजरात और दिल्ली में मोदी के विरोधी जांच को प्रभावित करने में जुटे हुए थे और बाद में इन्हीं लोगों की ओर से मुझे पर मोदी का पक्ष लेने का आरोप भी लगाया गया। उनका दावा है कि इस पूछताछ में पक्षपात जैसी कोई बातें ही नहीं थी। बाद में टेलीफोन पर मेरी बातचीत की निगरानी के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग भी किया गया। हालांकि केंद्रीय एजेंसियों को भी जांच पड़ताल में ऐसी कोई बात नहीं दिखी। बाद में सुप्रीम कोर्ट की ओर से भी मेरी ही बातों का समर्थन किया गया।

मिलीभगत से इनकार पर लगे थे आरोप

राघवन का कहना है कि मुझ पर इसलिए आरोप लगाए गए क्योंकि मैंने राज्य प्रशासन की दंगाइयों के साथ मिलीभगत होने की बात को मानने से पूरी तरह मना कर दिया था। अपनी जांच पड़ताल में मैंने इस तरह की कोई बात ही नहीं पाई थी। इसीलिए एसआईटी की ओर से मोदी को क्लीनचिट दी गई थी। बाद में इस क्लीनचिट को लेकर मोदी विरोधियों ने मुझे पर मुख्यमंत्री की तरफदारी करने का आरोप तक लगा दिया जबकि सच्चाई ऐसी नहीं थी।

अंशुमान तिवारी

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