Gujarat: पीएम मोदी के गांव वडनगर में मिले 2800 साल पुरानी बस्ती के सबूत, 20 मीटर खुदाई में ईंट की दीवारें और पक्की नालियां मिलीं

Gujarat: खुदाई करने वाली टीम ने वडनगर में 20 मीटर गहरी खुदाई की है और इस दौरान वडनगर में 800 ईसा पूर्व इंसानी बसावट के सबूत मिले हैं।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2024-01-17 05:27 GMT

old settlement in Gujarat  (photo: social media )

Gujarat: गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गांव वडनगर एक बार फिर चर्चाओं में है। दरअसल इस गांव में चल रही खुदाई के दौरान 2800 साल पुरानी इंसानी बस्ती के साक्ष्य मिले हैं। आईआईटी खड़गपुर और एएसआई की देखरेख में की जा रही यह खुदाई पिछले सात वर्षों से चल रही है।

खुदाई करने वाली टीम ने वडनगर में 20 मीटर गहरी खुदाई की है और इस दौरान वडनगर में 800 ईसा पूर्व इंसानी बसावट के सबूत मिले हैं। खुदाई में मिले साक्ष्य के वीडियो सचमुच हैरान करने वाले हैं क्योंकि इसमें ईट की दीवारें और पक्की नालियां दिखाई दे रही हैं। जानकारों का कहना है कि इस खुदाई से प्राचीन इतिहास के संबंध में कई और नई जानकारियां हासिल होने की उम्मीद है।

2016 से चल रहा है खुदाई का काम

आईआईटी खड़गपुर, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला,जेएनयू और डेकन कॉलेज के अनुसंधानकर्ताओं ने यह रहस्य खोजा। आईआईटी खड़गपुर में भूविज्ञान और भूभौतिकी के प्रोफेसर डॉ.अनिंद्य सरकार ने बताया कि वडनगर में खुदाई का यह काम 2016 से चल रहा है। खुदाई करने वाली टीम ने 20 मीटर गहरी खुदाई करके कई बड़ी जानकारियां हासिल की हैं।

आईआईटी खड़गपुर की ओर से जारी एक बयान में बताया गया कि वडनगर में गहन पुरातात्विक खनन के अध्ययन से यह भी पता चला है कि पिछले तीन हजार वर्षों के दौरान विभिन्न साम्राज्यों का उदय, पतन और मध्य एशियाई हमलावरों के भारत पर बार-बार अटैक, बारिश या सूखे जैसी जलवायु में गंभीर परिवर्तन देखा गया।

सबसे पुराने बौद्ध मठ की भी खोज

यह अध्ययन एल्सवियर की पत्रिका ‘क्वाटरनरी साइंस रिव्यूज’ में प्रकाशित हुआ है। इसका विषय है- प्रारंभिक ऐतिहासिक से मध्ययुगीन काल तक जलवायु, मानव बस्ती और प्रवास: पश्चिमी भारत, वडनगर में नए पुरातात्विक खनन से मिले सबूत। एएसआई की अगुवाई में की गई इस खुदाई को गुजरात सरकार की ओर से फंडिंग की गई है।

पेपर के सह लेखक और एएसआई के पुरात्वविद् अभिजीत अंबेकर ने बताया कि खुदाई में सात सांस्कृतिक चरणों की उपस्थिति का पता चला है जिसमें मोर्य, इंडो-ग्रीक, इंडो-सीथियन या शक-क्षत्रप, हिंदू-सोलंकी, सल्तनत-मुगल (इस्लामी) से लेकर गायकवाड़-ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन और आज वर्तमान में जारी शहर तक शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इस खुदाई के दौरान सबसे पुराने बौद्ध मठों में से एक की खोज की गई है।

यूनानी राजा के सिक्के के सांचे भी मिले

उन्होंने कहा की वडनगर में की गई खुदाई पुरातात्विक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दौरान विशिष्ट पुरातात्विक कलाकृतियां, मिट्टी के बर्तन, तांबा, सोना, चांदी और लोहे की वस्तुएं और महीन डिजाइन वाली चूड़ियां मिली हैं।

इसके साथ ही इंडो-ग्रीक शासन के दौरान यूनानी राजा अपोलोडेटस के सिक्के के सांचे भी मिले हैं। अंबेकर ने कहा कि वडनगर इस लिहाज से भी अलग है कि सटीक कालक्रम के साथ प्रारंभिक इतिहास से मध्ययुगीन पुरातत्व का ऐसा निरंतर रिकॉर्ड भारत में कहीं और नहीं मिला है।

उन्होंने कहा कि खोजे गए अवशेष वडनगर को भारत में अब तक खोदे गए एक ही किले के भीतर सबसे पुराना जीवित शहर बनाते हैं। आईआईटी खड़गपुर के जियोलॉजिस्ट अनिंद्य सरकार का कहना है कि उनकी हाल की कुछ अप्रकाशित रोडियोकार्बन तिथियों से पता चलता है कि यह बस्ती 1400 ईसा पूर्व जितनी पुरानी हो सकती है।

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