5 करोड़ लोगों की नौकरी गई, लॉकडाउन का अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर
लॉकडाउन हटाए जाने के बाद भी देश में बेरोजगारी अधिक रहेगी। दैनिक मजदूरों के काम पर जबर्दस्त प्रभाव पड़ेगा। उन्हें रोज काम मिलपाना संभव नहीं होगा। इसका असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा।
कोरोना लॉकडाउन के चलते विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्था कितनी बुरी तरह से ध्वस्त हो रही है। दो हफ्ते में ही पांच करोड़ लोगों की नौकरी जा चुकी है। इसकी झलक दिखने लगी है। सीएमआईई की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि लॉकडाउन से भारत की शहरी बेरोजगारी दर 30.9% तक बढ़ सकती है, हालांकि कुल बेरोजगारी 23.4% तक बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। यह रिपोर्ट अर्थव्यवस्था पर कोरोना के बुरे प्रभाव को दर्शाती है।
कोरोना से बचाने के उपाय के रूप में अपनाए जा रहे लॉकडाउन से नौकरियों पर जबर्दस्त संकट खड़ा हो गया है। आंकड़ों के शुरुआती अनुमानों से ये संकेत मिलता है कि कोरोनोवायरस प्रभाव से अर्थव्यवस्था पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है।
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सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के साप्ताहिक सर्वेक्षण पर आधारित आंकड़े दो सप्ताह तक स्थिर रहे हैं। लेकिन 5 अप्रैल को समाप्त सप्ताह का नवीनतम डेटा सोमवार शाम को जारी किया गया। मार्च के मध्य में बेरोजगारी पर सीएमआईई का पूर्वानुमान 8.4% था लेकिन अब यह बढ़कर वर्तमान 23% हो गया है।
बेरोजगारी और बढ़ेगी
भारत के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद् प्रोनब सेन का कहना है कि लॉकडाउन के केवल दो हफ्तों में लगभग पांच करोड़ लोगों ने नौकरी खो दी है। उन्होंने कहा, "चूंकि कुछ को अभी के लिए घर भेजा गया है, इसलिए बेरोजगारी का वास्तविक दायरा और भी अधिक हो सकता है और यह कुछ समय बाद दिख सकता है।"
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हालांकि सीएमआईई के आंकड़ों को सरकार भरोसेमंद नहीं मानती है और इस पर विवाद उठते रहे हैं लेकिन मौजूदा डेटा बदलाव की चेन को इंगित करता है और इसके नतीजे भयावह हो सकते हैं।
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जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हिमांशु का भी कहना है कि बेरोजगारी के आंकड़े कुछ हद तक उम्मीद के मुताबिक हैं। उनके अनुसार लॉकडाउन हटाए जाने के बाद भी देश में बेरोजगारी अधिक रहेगी। दैनिक मजदूरों के काम पर जबर्दस्त प्रभाव पड़ेगा। उन्हें रोज काम मिलपाना संभव नहीं होगा। इसका असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा।