जज पर ताबड़तोड़ गोलियां: लगातार हत्याओं से दहला अफगानिस्तान, खौफ में देश

अफगानिस्तान में एक बार फिर से जलालाबाद में जज हफिजुल्ला को जान से मारने का मामला सामने आया है। जज की हत्या के बारे में अफगान पुलिस के मुताबिक, बीते एक महीने में तीन जजों की हत्या की जा चुकी है। जिसके बाद फिर ताजा घटना बुधवार को सामने आया है।

Update: 2021-02-04 12:54 GMT
नानगरहार प्रांत की पुलिस के प्रवक्ता फरीद खान ने बताया कि जस्टिस हफिजुल्ला पर हमला उस समय किया गया जब वे एक मोटर रिक्शा पर सवार होकर काम के लिए जा रहे थे।

नई दिल्ली। अफगानिस्तान में हत्याओं का सिलसिला लगातार जारी है। ऐसे में एक बार फिर से जलालाबाद में जज हफिजुल्ला को जान से मारने का मामला सामने आया है। जज की हत्या के बारे में अफगान पुलिस के मुताबिक, बीते एक महीने में तीन जजों की हत्या की जा चुकी है। जिसके बाद फिर ताजा घटना बुधवार को सामने आया है। इस पर नानगरहार प्रांत की पुलिस के प्रवक्ता फरीद खान ने बताया कि जस्टिस हफिजुल्ला पर हमला उस समय किया गया जब वे एक मोटर रिक्शा पर सवार होकर काम के लिए जा रहे थे।

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हत्या की घटनाओं

जज की हत्या को लेकर जलालाबाद पब्लिक हॉस्पिटल के एक डॉक्टर के मुताबिक, हफिजुल्ला के शरीर में कई बुलेट मिले हैं। बता दें, इससे पहले काबुल में सुप्रीम कोर्ट के लिए काम करने वाली दो महिला न्यायाधीशों की भी 17 जननरी को कुछ बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

उस समय महिला जजों की हत्या के बाद तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा था कि इस हमले के पीछे तालिबान का हाथ नहीं है। अफगानिस्तान सरकार ने हालिया महीनों में हुईं हत्या की घटनाओं के लिए तालिबान को दोषी ठहराया है, जबकि तालिबान का आरोप है कि सरकार शांति प्रक्रिया को बाधित करने के लिए इस प्रकार की हत्याएं करा रही है।

फोटो-सोशल मीडिया

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आतंकवादी हमला करार

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में मंगलवार को भी अलग बम धमाकों में कम से कम दो लोगों की मौत हो गई थी। आला अधिकारियों ने बताया कि बमों को कार से जोड़ दिया गया था। उन्होंने कहा कि मृतकों में एक इस्लामी गैर लाभकारी संगठन का प्रमुख एक मौलवी भी शामिल था। अफगानी राष्ट्रपति अशरफ घानी ने मौलवी की मौत को आतंकवादी हमला करार दिया।

अमेरिका के एक निगरानी समूह ने 1 फरवरी को अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि राजधानी काबुल में तालिबान के हमले बढ़ गए हैं, जिनमें सरकारी अधिकारियों, नागरिक संस्थाओं के नेताओं और पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है।

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