CAA के बाद अब सेना प्रमुख बिपिन रावत ने दिया ये बड़ा बयान

भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा कि सशस्त्र बल मानवाधिकार कानूनों का अत्यधिक सम्मान करते हैं। सेना प्रमुख ने कहा कि न सिर्फ देश के लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा की है बल्कि अपने दुश्मनों के मानवाधिकारों की रक्षा भी की है।

Update: 2019-12-27 16:00 GMT

नई दिल्ली: भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा कि सशस्त्र बल मानवाधिकार कानूनों का अत्यधिक सम्मान करते हैं। सेना प्रमुख ने कहा कि न सिर्फ देश के लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा की है बल्कि अपने दुश्मनों के मानवाधिकारों की रक्षा भी की है।

बिपिन रावत ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों के चरित्र में 'इंसानियत' और 'शराफत' है। उन्होंने ये बातें मानवाधिकार भवन में 'युद्धकाल में और युद्धबंदियों के मानवाधिकारों का संरक्षण' विषय पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के ट्रेनी और सीनियर अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहीं।

सेना प्रमुख ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल बेहद अनुशासित हैं और वे मानवाधिकार कानूनों और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का अत्यधिक सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल न केवल अपने लोगों के मानवाधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करते हैं, बल्कि दुश्मनों के मानवाधिकारों की भी रक्षा करते हैं और युद्ध बंदियों के साथ भी जिनेवा संधि के मुताबिक व्यवहार करते हैं।

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बता दें कि इससे पहले सेना प्रमुख ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन का नेतृत्व करने वालों की सार्वजनिक तौर पर आलोचना की थी और कहा था कि नेतृत्व करना लोगों को आगजनी और हिंसा के लिए उकसाना नहीं होता है। उनके इस बयान की राजनीतिक पार्टियों ने आलोचना की थी। एनएचआरसी के कार्यक्रम में रावत ने कहा कि सशस्त्र बलों के स्वभाव में 'इंसानियत' और 'शराफत' है और कहा कि वे 'पूरी तरह धर्मनिरपेक्ष' हैं।

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जनरल बिपिन रावत ने कहा कि चुनौती युद्ध नीति में बदलाव होना और तकनीक का आविष्कार होना है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद निरोधक और उग्रवाद निरोधक अभियानों में लोगों का दिल जीतने होगा। जनरल रावत ने कहा कि सेना मुख्यालय ने 1993 में 'मानवाधिकार प्रकोष्ठ' बनाए थे जिसे अब निदेशालय स्तर तक उन्नयन किया जा रहा है जिसके प्रमुख अतिरिक्त महानिदेशक होंगे।

सेना प्रमुख ने कहा कि सशस्त्र बलों के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन की शिकायतों का समाधान करने के लिए इसमें पुलिसकर्मी भी होंगे और वे संबंधित जांच में सहयोग करेंगे।

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उन्होंने कहा कि अक्टूबर में सैन्य पुलिस बल में महिला कर्मियों की भर्ती करने की नई पहल शुरू की गई। सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (AFSPA) का जिक्र करते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि यह कानून 'सेना को वहीं ताकत देता है जो पुलिस और सीआरपीएफ' को तलाशी और जांच अभियानों में मिलता है।

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