Article 370: जम्मू-कश्मीर में पाबंदियों पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आज

आर्टिकल 370 ( (Article 370)) के हटने के बाद अब जम्मू-कश्मीर में लगी पाबंदियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) शुक्रवार को फैसला सुनाएगा। इन पाबंदियों में नेताओं के आने-जाने से लेकर इंटरनेट बैन समेत कई याचिकाएं शामिल हैं। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म कर इसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था।

Update: 2020-01-10 04:16 GMT

आर्टिकल 370 ( (Article 370) के हटने के बाद अब जम्मू-कश्मीर में लगी पाबंदियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) शुक्रवार को फैसला सुनाएगा। इन पाबंदियों में नेताओं के आने-जाने से लेकर इंटरनेट बैन समेत कई याचिकाएं शामिल हैं। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म कर इसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था।

कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद और अन्य की याचिकाओं पर फैसला आज:

जम्मू-कश्मीर को लेकर आज बड़ा दिन है। संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान खत्म करने के सरकार के निर्णय के बाद राज्य में पहले से लगी प्रतिबंधों के खिलाफ कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद और अन्य की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा।

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बता दें कि जस्टिस एन वी रमण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस बी आर गवई की तीन सदस्यीय पीठ ने इन प्रतिबंधों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाएगी। इससे पहले 27 नवंबर को याचिकाओं पर सुनवाई पूरी हो गयी थी।

5 अगस्त को आर्टिकल 370 हुआ था खत्म:

गौरतलब है कि 5 अगस्त 2019 में केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटा दिया था। इसके तहत अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान खत्म कर दिए गये थे और राज्य को केंद्र शासित कर दिया गया था। जिसके बाद राज्य में लगे कई प्रतिबंधों को लेकर कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और कुछ अन्य ने याचिका दायर की थी। इसी पर कोर्ट सुनवाई कर रहा था। केंद्र सरकार ने अनुच्छेद-370 के अधिकांश प्रावधान समाप्त करने के बाद वहां लगाए गए प्रतिबंधों को 21 नवंबर को सही ठहराया था।

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प्रतिबंधों पर कोर्ट ने केंद्र से किया था सवाल:

याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान जस्टिस एनवी रमण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने केंद्र सरकार से पूछा था कि जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल-370 हटे हुए काफी लंबा समय बीत चुका है। आप और कितने दिनों के लिए प्रतिबंध चाहते हैं। कोर्ट ने कहा था कि सरकार को स्पष्ट करना होगा कि यह प्रतिबंध कब तक पूरी तरह से हटा लिया जाएगा।

इस पर केंद्र ने जवाब दिया था कि कई सालों से सीमा पार से आतंकवादियों को यहां भेजा जाता था, स्थानीय उग्रवादी और अलगावादी संगठनों ने पूरे क्षेत्र को बंधक बना रखा था और ऐसी स्थिति में अगर सरकार नागरिकों की सुरक्षा के लिये एहतियाती कदम नहीं उठाती तो यह ‘मूर्खता’ होती।

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