LAC का सुपरमैन: मौत का इसे कोई खौफ नहीं, सेना का ऐसे दे रहा साथ

अरुणाचल प्रदेश में चीनी सीमा के पास रहने वाले भारतीयों की जिंदगी बहुत संघर्षभरी है। चीनी सीमा के करीब रहने वाले ये लोेग भारतीय सेना के लिए काफी मददगार साबित हुए हैं।

Update: 2020-09-12 08:02 GMT

सुवानसिरी: अरुणाचल प्रदेश में चीनी सीमा के पास रहने वाले भारतीयों की जिंदगी बहुत संघर्षभरी है। चीनी सीमा के करीब रहने वाले ये लोेग भारतीय सेना के लिए काफी मददगार साबित हुए हैं। ऐसे में इस इलाके के हर भूभाग की जानकारी और कमाल की शारीरिक क्षमता के चलते ये लोग लगातार 15 दिनों तक पैदल यात्रा तय करके भारतीय सेना का रसद फॉर्वर्ड पोस्ट पर पहुंचाते हैं। इस सभी दुर्गम इलाकों में मौजूद इन फॉर्वर्ड पोस्ट पर नीचे से पहुंचना चुनौतीपूर्ण और जोखिम भरा कार्य है।

ऐसे में इस दौरान ये लोग कई बार भटकते हुए चीन की सीमा में चले जाते हैं। जिसके चलते फायदा उठाते हुए चीनी सैनिक इन्हें अपने कब्जे में ले लेते हैं। भारतीय सेना के लिए काम करने वाले ये स्थानीय भारतीय नागरिक 'पोर्टर' के नाम से जाने जाते हैं।

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मौत को दावत देने जैसा

भारतीय सेना के सामान को उसकी मंजिल तक पहुंचाने के लिए इन्हें बीहड़ जंगलों, नदियों, पहाड़ों, विषैले सांपों से होकर जाना पड़ता है। राज्य के सुवानसिरी जिले के रहने वाले तालेन मुसुर जोकि पोर्टर है। वे भारतीय सेना के साथ काम कर चुके हैं और सेना का साजो सामान पहाड़ों की तलहटियों से ऊपर की चोटियों तक पहुंचा चुके हैं।

इन लोगों को सेना से इन्हें काम के हिसाब से ही पैसे मिलते हैं, लेकिन कई बार इनके सामने बेरोजगार रहने जैसा समय भी आ जाता है। ऐसे में तालेन कहते हैं कि पोर्टर का काम करना बेहद चुनौतीपूर्ण है, हमें सीधी पहाड़ियां चढ़नी पड़ती है, और चट्टानों पर मीलों चलना पड़ता है। दोनों तरफ गहरी खाई होती है, ऐसे में मामूली गलती भी मौत को दावत देने जैसा है।"

फोटो- सोशल मीडिया

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जोखिमभरी जिंदगी जीनी पड़ रही

आगे तालेन कहते हैं, "हम 15 दिनों के खाने-पीने का सामान लेकर आगे बढ़ते हैं, लेकिन जंगल में खाना और सूखी लकड़ी पाना बहुत मुश्किल है, मॉनसून में समस्या और भी विकट है। काई जमें पत्थरों और लकड़ियों पर मामूली फिसलन भी हमें सैकड़ों फीट गहरी खाई में ले जा सकती है, जहां हमारी बॉडी भी नहीं मिलेगी।

ऐसे में मुसीबतों का सामना करने वाले तालेम जैसे कई लोगों का जोखिमभरी जिंदगी जीनी पड़ रही है। तालेम का कहना है हम भारतीय सेना के लिए काम करते हैं और हमें उनपर अटटू भरोसा है। इन पोर्टरों की मांग है कि सरकार इनके इलाके में मेडिकल, रोड, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराए, जिससे इनका जीवन थोड़ा आसान हो।

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