मोदी और शाह को क्लीन चिट देने के खिलाफ थे लवासा, अब पकड़ी नई राह
चुनाव आयुक्त का पद छोड़ने वाले अशोक लवासा अगले महीने एशियाई विकास बैंक (एडीबी) में उपाध्यक्ष की नई जिम्मेदारी संभालेंगे। लवासा की नियुक्ति 2018 में चुनाव आयोग में चुनाव आयुक्त के रूप में की गई थी।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: चुनाव आयुक्त का पद छोड़ने वाले अशोक लवासा अगले महीने एशियाई विकास बैंक (एडीबी) में उपाध्यक्ष की नई जिम्मेदारी संभालेंगे। लवासा की नियुक्ति 2018 में चुनाव आयोग में चुनाव आयुक्त के रूप में की गई थी। लवासा वही चुनाव आयुक्त हैं जिन्होंने पिछले साल के लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भाषण को क्लीन चिट दिए जाने पर असहमति जताई थी।
मुख्य चुनाव आयुक्त के दावेदार थे लवासा
चुनाव आयोग ने चुनाव आयुक्त के रूप में लवासा की नियुक्ति 2018 के जनवरी महीने में की गई थी। 62 साल के नवासा 1980 बैच के रिटायर आईएएस अफसर हैं और वे मुख्य चुनाव आयुक्त बनने के भी दावेदार थे। लवासा को पिछले महीने एडीबी में उपाध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया गया था और अपना नया कार्यभार संभालने के लिए उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपना इस्तीफा भेज दिया है।
सोशल मीडिया पर हो रही चर्चा
लवासा ने राष्ट्रपति से 31 अगस्त को कार्यमुक्त करने का अनुरोध किया है। लवासा के इस्तीफे की खबर आने के बाद सोशल मीडिया में ऐसी चर्चा है कि पीएम नरेंद्र मोदी के रास्ते में आने के बाद से ही लवासा को चुनाव आयोग से दूर किए जाने के कयास लगाए जा रहे थे।
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विपक्ष ने दर्ज कराई थी मोदी की शिकायत
पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में लवासा सुर्खियों में आ गए थे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को चुनाव आयोग की ओर से क्लीन चिट देने का विरोध किया था। दरअसल पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के कुछ भाषणों को लेकर चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी। आचार संहिता का उल्लंघन करने के मामले की सुनवाई करने वाले आयोग के सदस्यों में लवासा भी शामिल थे।
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क्लीन चिट देने के खिलाफ थे लवासा
सुनवाई के दौरान तीनों सदस्यों में एक राय नहीं बन सकी थी। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने पीएम मोदी और अमित शाह को क्लीन चिट दे दी थी जबकि अशोक लवासा क्लीनचिट दिए जाने पर सहमत नहीं थे। बाद में 2:1 के बहुमत से मोदी और शाह को चुनाव आयोग की ओर से क्लीनचिट दे दी गई थी। जानकारों का कहना है कि इस घटना के बाद लवासा ने आचार संहिता से जुड़ी आयोग की बैठकों में जाना भी बंद कर दिया था। लवासा मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा के बाद दूसरे सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं। इसका मतलब है कि अरोड़ा के बाद लवासा मुख्य चुनाव आयुक्त बन सकते थे मगर अब ऐसा नहीं होगा।
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कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं लवासा
लवासा इससे पहले वित्त सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में सचिव के रूप में काम कर चुके हैं। उन्होंने नागरिक उड्डयन सचिव पद की जिम्मेदारी भी संभाली थी। लवासा 1980 बैच के आईएएस ऑफिसर हैं और आईएएस बनने से पहले वे अगस्त 1978 से दिसंबर 1979 तक दिल्ली विश्वविद्यालय में लेक्चरर भी रहे। इसके बाद उन्होंने भारतीय स्टेट बैंक में दिसंबर 1979 से जुलाई 1980 तक प्रोबेशनरी ऑफिसर के रूप में भी काम किया। बाद में उनका चयन आईएएस में हो गया था।
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