औरंगाबाद हादसा: SC ने कहा- जब पटरी पर सो गए थे मजदूर तो क्या कर सकते हैं

हाल ही में महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एक मालगाड़ी ने पटरी पर सो रहे 16 प्रवासी मजदूरों को रौंद दिया था। ये सभी मजदूर अपने घर जाने की चाह में पैदल ही निकल पड़े थे।

Update: 2020-05-15 10:10 GMT

नई दिल्ली: हाल ही में महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एक मालगाड़ी ने पटरी पर सो रहे 16 प्रवासी मजदूरों को रौंद दिया था। ये सभी मजदूर अपने घर जाने की चाह में पैदल ही निकल पड़े थे। काफी दूर का सफर करने के बाद ये सभी मजदूर थक कर पटनी पर ही सो गए थे। तभी अचानक से एक मालगाड़ी मजदूरों को रौंद कर चली गई। मालगाड़ी से कट कर इनकी मौत हो गई। वहीं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट (SC) ने सुनवाई करने से मना कर दिया है।

अगर मजदूर पटरी पर सो जाए तो क्या कर सकते हैं?

सुप्रीम कोर्ट (SC) का कहना है कि अगर मजदूर पटरी पर ही सो जाए तो क्या कर सकते हैं? उन्होंने सरकार से सवाल किया कि जिन लोगों ने पैदल चलना शुरू कर दिया है, उन्हें कैसे रोका जाए? इसके जवाब में सरकार ने कहा कि सभी के घर लौटने का इंतजाम किया जा रहा है। लेकिन अपने बारी आने तक उन्हें इंतजार करना होगा, लेकिन वो ऐसा नहीं कर रहे हैं।

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हाईकोर्ट ने सरकार और रेलवे को दिए ये निर्देश

वहीं दिल्ली हाई कोर्ट (HC) ने शुक्रवार को राज्य सरकार और रेलवे को निर्देश दिया कि कोई भी मजदूर पैदल घर ना लौटे। हाई कोर्ट ने कहा कि इसके लिए राज्य सरकार की तरफ से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया जाए और साथ ही सुनिश्चि करें कि मजदूरों को पैदल ना जाना पड़े।

हाई कोर्ट में दायक की गई थी याचिका

कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि अखबारों और टीवी पर इसे लेकर विज्ञापन दिया जाए ताकि मजदूरों को पता लग सके। वहीं रेलवे ने अदालत से कहा कि दिल्ली सरकार की तरफ से जब भी कहा जाएगा, हम ट्रेन उपलब्ध करवा देंगे। बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में प्रवासी मजदूरों के पैदल घर जाने का मसला उठाया गया था।

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लॉकडाउन के दौरान दिक्कतों का सामना

बता दें कि कोरोना के चलते देश भर में लॉकडाउन लागू किया गया है। इस दौरान देश में सभी सेवाएं बंद हैं। साथ ही सावर्जनिक वाहन भी नहीं चल रहे हैं। ऐसे में प्रवासियों को घर लौटने के लिए काफी दिक्कतों से गुजरना पड़ रहा है।

हालांकि हाल ही में सरकार की तरफ से मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए श्रमिक ट्रेन और स्पेशल ट्रेनों का संचालन शुरू किया गया है। लेकिन इसके बाद भी हजारों की संख्या में मजदूरों अपने घर वापसी के लिए पैदल ही लौट रहे हैं।

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