हो गया फैसला: अब अयोध्या में वहीं बनेगा भव्य राम मंदिर
कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि, ‘इस बात के सबूत नहीं हैं कि मुस्लिमों ने मस्जिद का त्याग कर दिया था। हिंदू हमेशा से मानते रहे हैं कि मस्जिद का भीतरी हिस्सा ही भगवान राम की जन्मभूमि है। यह साबित हुआ है कि मुस्लिम ढांचे के भीतर इबादत करते थे और मुस्लिम उसके बाहर पूजा करते थे।’
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज अयोध्या के विवादित स्थल पर अपना फैसला सुना दिया है। अयोध्या के रामजन्मभूमि विवाद केस में कोर्ट ने राम लला के पक्ष में फैसला सुनाया है। कुल 38 दिनों तक चली सुनवाई के बाद आज (9 नवंबर) सुप्रीम कोर्ट ने कई मुद्दों पर सोच-विचार करके ये फैसला लिया है।
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कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि, ‘सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा- हम फैसले का स्वागत करते हैं। मुस्लिमों ने राम को इमाम-ए-हिन्द का दर्जा दिया था। केंद्र विवादित भूमि को मंदिर निर्माण के लिए बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज को सौंपेगा। मुस्लिमों को अयोध्या में 5 एकड़ की वैकल्पिक जमीन मिलेगी। यह जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को मिलेगा।’
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कोर्ट ने ये भी कहा था कि, ‘विवादित भूमि पर मंदिर के निर्माण के लिए केंद्र सरकार ट्रस्ट बनाए, 3 महीने की भीतर इसका नियम बनाए केंद्र। सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिमों को मस्जिद बनाने के लिए वैकल्पिक जमीन दिए जाने का आदेश दिया।मुस्लिमों ने इस बात के सबूत पेश नहीं किए कि 1857 से पहले स्थल पर उनका ऐक्सक्लुसिव कब्जा था। 1949 तक उन्होंने वहां नमाज पढ़ा।’
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कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि, ‘इस बात के सबूत नहीं हैं कि मुस्लिमों ने मस्जिद का त्याग कर दिया था। हिंदू हमेशा से मानते रहे हैं कि मस्जिद का भीतरी हिस्सा ही भगवान राम की जन्मभूमि है। यह साबित हुआ है कि मुस्लिम ढांचे के भीतर इबादत करते थे और मुस्लिम उसके बाहर पूजा करते थे।’
अयोध्या में जीत गए रामलला
- केंद्र सरकार राम मंदिर बनाने के लिए नियम बनाएगी।
- अयोध्या में राम मंदिर वहीं बनेगा।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवादित जमीन रामलला की है।
- मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ जमीन कहीं और मिलेगी।
- केंद्र या राज्य सरकार अयोध्या में कहीं भी जमीन देगी।
- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से तीन महीने में ट्रस्ट बनाने के आदेश भी दिये हैं।