कोरोना से बचाएगा बच्चों का ये टीका, इलाज में ऐसे आएगा काम

कोरोना वायरस से बुजुर्गों की होने वाली मौतों को लेकर राहत भरी खबर आई है। एक टीके के जरिए बुजुर्ग मरीजों की मृत्युदर कम होने की बात कही जा रही है...

Update:2020-07-18 00:31 IST

नई दिल्ली: कोरोना वायरस से बुजुर्गों की होने वाली मौतों को लेकर राहत भरी खबर आई है। एक टीके के जरिए बुजुर्ग मरीजों की मृत्युदर कम होने की बात कही जा रही है। यह टीका पहले से मौजूद है।

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मिलेगी बड़ी मदद

जिस टीके की चर्चा हम करने जा रहे हैं, उसका नाम है- बीसीजी। जल्द ही बीसीजी से बुजुर्ग कोरोना संक्रमितों के लिए ट्रायल भी शुरू होने वाला है। अगर यह ट्रायल सफल हुआ तो देश को बड़ी सफलता मिलेगी। फिर कोरोना वायरस से होने वाली कुल मौतों का आंकड़ा भी धीमा पड़ेगा। बता दें कि यह ट्रायल तमिलनाडु में किया जाएगा।

60 से 95 साल के बुजुर्ग होंगे शामिल

बीते दिनों सीएम ई पलानीस्वामी ने बताया था, बीसीजी का टीका 60 साल से लेकर 95 साल तक की उम्र वाले मरीजों में टेस्ट किया जाएगा। फिर मॉनिटरिंग होगी कि इसका क्या असर हुआ। इसके सफल होने के बाद कोरोना वायरस के कारण होने वाली मौतों की संख्या में कमी आएगी। यह जानकारी तमिलनाडु सरकार के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर विजय भास्कर ने दी।

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कोरोना से मृत्यु दर भी होगी कम

स्वास्थ्य मंत्री ने बीते दिन कहा कि तमिलनाडु में कोरोना से मृत्यु दर कम करने के लिए बीसीजी टीके के असर को अच्छे से जांचने-परखने के लिए स्टेट गवर्नमेंट टेस्ट शुरू करेगी। विजय भास्कर ने आगे बताया कि नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन ट्यूबरकुलोसिस (NIRT) इस दिशा में जल्द ही पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने वाला है।

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यह तपेदिक में करता है मदद

बता दें कि कई देशों में तपेदिक की रोकथाम के लिए बीसीजी बच्चों को दिया जाता है। तमिलनाडु सरकार की एक प्रेस रिलीज के मुताबिक, बीसीजी का टीका जन्मजात इम्यूनिटी में सुधार करने में मदद करता है। यह संभावना बनती दिख रही है कि यह टीका 60 वर्ष से ऊपर की उम्र वाले कोरोना मरीजों की रिकवरी में भी मदद करेगा।

तमिलनाडु ने आईसीएमआर को दी थी अर्जी

तमिलनाडु सरकार ने बीते कुछ दिन पहले बुजुर्गों में बीसीजी टीके के असर को लेकर स्टडी करने को आईसीएमआर की मंजूरी मांगी थी। उम्मीद में चार चांद लग लगे कि अब आईसीएमआर ने यह मंजूरी दे दी है। जानकारी हो कि यह स्टडी एनआईआरटी में जल्द ही शुरू होगी। ट्रायल के दौरान फोकस होगा कि 60 वर्ष से ऊपर के कोरोना मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत न पड़े। फिलहाल विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इसका कोई तथ्य नहीं है कि कोरोना मरीजों को बीसीजी बचाने में मदद करेगा।

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