RSS प्रमुख भागवत ने बताया सरकार के साथ संघ के रिश्ते का सच, कहा-

आरएसएस के संघचालक मोहन भागवत 130 करोड़ भारतीयों को हिंदू कहने वाले अपने बयान पर कायम हैं। भागवत मुरादाबाद में अपने 4 दिवसीय प्रवास के दौरान मकर संक्रांति उत्सव में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने विपक्ष के इस आरोप को खारिज कर दिया कि सरकार का रिमोट संघ के पास है।

Update: 2020-01-18 16:51 GMT

मेरठ : आरएसएस के संघचालक मोहन भागवत 130 करोड़ भारतीयों को हिंदू कहने वाले अपने बयान पर कायम हैं। भागवत मुरादाबाद में अपने 4 दिवसीय प्रवास के दौरान मकर संक्रांति उत्सव में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने विपक्ष के इस आरोप को खारिज कर दिया कि सरकार का रिमोट संघ के पास है।

भागवत ने कहा कि सरकार से प्रेम और विश्वास का रिश्ता है। इस दौरान संघचालक ने कहा कि आरएसएस का राजनीति से कोई संबंध नहीं है और संगठन 130 करोड़ भारतीयों के लिए काम करता है। संघ प्रमुख ने आरएसएस के स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा, 'देश में 130 करोड़ जनसंख्या है। ये सभी भारतीय हिंदू हैं। उनके सभी के पूर्वज एक हैं।

 

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समाज में बदलाव के लिए अच्छा काम करने की सलाह स्वयंसेवकों को दी। अच्छा काम किया तो धन्यवाद और सम्मान मिलेगा। इसलिए अच्छा काम करो। हर वर्ग को अपनाने की कोशिश करो। उनको दिल से जोड़ो। जो लोग समाज को तोड़ने की बात कर रहे हैं उनके मंसूबे पूरे नहीं होने चाहिए।'

 

भागवत ने कहा कि राजनीति से संघ का रिश्ता नहीं है। 'चुनाव का हमारे लिए कोई मतलब नहीं है। 60 साल से देश की संस्कृति को बनाए रखने के लिए काम कर रहे हैं। सरकार का रिमोट संघ के पास नहीं है। हमारा सरकार से प्रेम और विश्वास का रिश्ता है।'

संघ के सांगठनिक कौशल का जिक्र करते हुए आरएसएस प्रमुख ने कहा, '1925 में जब संघ की स्थापना हुई थी तो चंद लोग काम करते थे। लेकिन राष्ट्र निर्माण और समर्पण की भावना की बदौलत आज देश में यह ऐसे संगठन के रूप में स्थापित हो चुका है, जिसकी 1.3 लाख शाखाएं हैं आरएसएस चीफ भागवत ने कहा, 'हमारा लक्ष्य बड़ा है। इसलिए पूर्णकालिक स्वयंसेवकों की तादाद बढ़ाने की जरूरत है। जिन लोगों ने अपना गृहस्थ जीवन जी लिया है, उनको पूर्णकालिक स्वयंसेवक बनने के लिए आगे आना चाहिए। जितने अधिक कार्यकर्ता हमारे पास होंगे, उतना ही अपने मिशन के तहत काम करना आसान हो जाएगा।'

 

 

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संघचालक ने कहा, 'हमारा भारत को विश्वगुरु बनाने का सपना है। हम इसी संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं। भारत में दुनिया अपार संभावनाएं देख रही है। संघ में जातिवाद और छुआछूत को नहीं माना जाता। यह पहली बार हो रहा है, जब छुआछूत और भेदभाव को मिटाने के लिए हम काम कर रहे हैं। हमारा अध्यात्म ही हमारी पहचान है। दुनिया कहती है, विविधता में एकता है। हम कहते हैं एकता में विविधता है।'

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