जमातियों पर बड़ा खुलासा: एक और राज आया सामने, डर रहे हैं प्रशासन के लोग
एक बड़ी खबर सामने आ रही है, अभी तक निजामुद्दीन स्थित मरकज में जो कार्यक्रम हुआ था, उसमें शामिल हुए पुरुषों यानी जमातियों को ही ढूंढ़ा जा रहा था, लेकिन मरकज में हुए इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाएं भी मौजूद थी।
नई दिल्ली: एक बड़ी खबर सामने आ रही है, अभी तक निजामुद्दीन स्थित मरकज में जो कार्यक्रम हुआ था, उसमें शामिल हुए पुरुषों यानी जमातियों को ही ढूंढ़ा जा रहा था, लेकिन मरकज में हुए इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाएं भी मौजूद थी। हालांकि देशभर में सभी जांच एजेंसियां पुरूषों की तलाश कर रही हैं। लेकिन मरकज में शामिल महिलाएं जमातियों से अंजान बनी हुई हैं। इन महिलाओं ने अब पूरे देश के सामने संकट खड़ा कर दिया है। दिक्कत तो इस बात की हैं, जिन लोगों में इसके लक्षण दिखाई देते हैं, वो भी इसका उपचार करने की बजाय छिपाते घूमते हैं।
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महिलाएं पिता, भाई या बेटे के साथ शामिल
जमात में महिलाएं पिता, भाई या बेटे के साथ शामिल होती हैं। इस जमात को मस्तूरात की जमात कहा जाता है, जिसमें महिला और पुरुष दोनों होते हैं।
जमात में जाने वाले पुरुष मस्जिद में रुकते हैं, जबकि महिलाएं मस्जिद के आसपास के किसी घर में। लॉकडाउन के दौरान निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी मरकज से जो जमाती मिले थे। उसमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं।
इसमें देश के विभिन्न राज्यों के साथ ही विदेश से भी महिलाएं आई थीं। तब्लीगी मरकज में शामिल लोगों में कोरोना की पुष्टि हो चुकी है। पुलिस की जांच फिलहाल पुरुष जमातियों पर टीकी है, उनका ध्यान महिला जमातियों पर नहीं गया है।
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मरकज से मस्तूरात की जमातें
जमात से संबंधित अब्दुल सईद ने बताया कि निजामुद्दीन स्थित मरकज में महिलाओं के ठहरने के लिए एक अलग से बड़ा हॉल बना हुआ है, वहां पर पुरुषों का प्रवेश प्रतिबंधित है। मरकज से मस्तूरात की 3 दिन, 40 दिन और दो महीने की जमातें देश-विदेश में जाती हैं।
मार्च महीने में बहुत सी विदेशी मस्तूरात की जमातें दिल्ली में भी आई हुई हैं। यह जमातें दिल्ली की विभिन्न मस्जिदों में रुकी हुई थीं, वहीं कुछ जमातें मरकज में भी रुकी थीं।
जिस समय मरकज को सील किया गया, उस दौरान महिलाओं को भी क्वारंटाइन सेंटर भेजा गया है। हालांकि, दिल्ली पुलिस के पास अभी पुख्ता जानकारी नहीं है कि क्वारंटाइन सेंटरों में कितनी जमाती महिलाओं को रखा गया है।
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जमात में जाने वाली महिलाएं
ऐसा बताया जा रहा है कि जमात में रहते हुए यह महिलाएं कितनी महिलाओं से मिलीं, यह भी पता लगाना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है। जमात में जाने वाली महिलाएं पर्दे में रहती हैं, ये महिलाएँ किसी गैर मर्द के सामने वह अपने चेहरे का नकाब तक नहीं हटाती हैं। मस्तूरात जमात की महिलाएं जहां पर रुकती हैं, वहां मोहल्ले की महिलाएं आती हैं, जिन्हें जमात की महिलाएं इस्लाम की बातें बताती हैं।
हालांकि जमात में शामिल किसी महिला को कोरोना है या नहीं इसके बारे में अभी कुछ पता नहीं चल पाया है, लेकिन अगर किसी महिला को कोरोना हुआ तो वह किस किस से मिली उसके बारे में पता लगाना स्वास्थ्य विभाग के साथ ही पुलिस के लिए चुनौती साबित होगा। ऐसे में ये अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल होगा कि देशभर में कितने कोरोना संक्रमित है।
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