युद्ध की तैयारी पूरी: अब चीन-पाकिस्तान खत्म, सीमा पर सेना के पास ऐसे हथियार

तनातनी के दौरान भारत ने युद्ध की तैयारियां के तहत बड़ा कदम उठाया है। भारतीय सुरक्षाबलों को अब 15 दिन की जबरदस्त लड़ाई के लिए हथियारों और गोला-बारूद का स्टॉक तैयार करने का अधिकार दे दिया है। ऐसे में अब तक सेना को 10 दिन के युद्ध के लिए जरूरी स्टॉक जमा करने की छूट दी है।

Update:2020-12-13 13:54 IST
चीन-पाकिस्तान से जारी विवाद के बीच भारत ने बड़ा कदम उठाया है। सीमा पर तैनात जवानों की युद्ध के लिए पूरी तैयारी हो गई है।

नई दिल्‍ली। चीन-पाकिस्तान से जारी विवाद के बीच भारत ने बड़ा कदम उठाया है। सीमा पर तैनात जवानों की युद्ध के लिए पूरी तैयारी हो गई है। तनातनी के दौरान भारत ने तैयारियां के तहत बड़ा कदम उठाया है। भारतीय सुरक्षाबलों को अब 15 दिन की जबरदस्त लड़ाई के लिए हथियारों और गोला-बारूद का स्टॉक तैयार करने का अधिकार दे दिया है। ऐसे में अब तक सेना को 10 दिन के युद्ध के लिए जरूरी स्टॉक जमा करने की छूट दी है।

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चीन-पाकिस्‍तान के साथ टू-फ्रंट वॉर

भारत द्वारा सेना के इस नए अधिकार और आपातकालीन खरीद की शक्तियों का इस्‍तेमाल कर अगले कुछ महीनों में 50,000 करोड़ रुपये से ज्‍यादा राशि खर्च करने वाली है। ऐसे में देसी और विदेशी स्‍त्रोतों से विभिन्‍न तरह के रक्षा उपकरण और गोला-बारूद भी खरीदे जाएंगे। लेकिन सरकार का यह कदम चीन-पाकिस्‍तान के साथ टू-फ्रंट वॉर की संभावनाओं को देखते हुए तैयारी पुख्‍ता करने की दिशा में देखा जा रहा।

हालाकिं सुरक्षाबलों के लिए स्‍टॉक की सीमा बढ़ाने का फैसला कुछ समय पहले लिया गया था। ऐसे में बातचीत में एक सरकारी सूत्र से जानकारी मिली है, "दुश्‍मन के साथ 15 दिन की इंटेस लड़ाई के लिए रिजर्व तैयार करने की खातिर कई तरह के वेपन सिस्‍टम और गोला-बारूद खरीदे जा रहे हैं।

फोटो-सोशल मीडिया

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लड़ाई के लिए स्टॉक रखने की इजाजत

दरअसल भारतीय सेनाओं को पहले 40 दिन की लड़ाई के लिए स्टॉक रखने की इजाजत थी। लेकिन युद्ध के बदलते तरीकों और हथियार व गोला-बारूद की स्‍टोरेज में आने वाली दिक्‍कतों के चलते इसे घटाकर 10 दिन कर दिया गया था।

लेकिन उरी हमले के बाद ये जरूत पता चली कि युद्ध के लिए स्‍टॉक कम है। जिसके चलते तत्‍कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की अगुवाई में मंत्रालय ने सेना, नौसेना और वायुसेना के उप-प्रमुखों की वित्‍तीय शक्तियों को 100 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये कर दिया था।

ऐसे में तीनों देशों की सेनाओं को 300 करोड़ रुपये की इमर्जेंसी फायनेंशियल पावर भी दी गई थी, जिससे वे युद्ध लड़ने में काम आने वाला कोई भी उपकरण खरीद सकती हैं।

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