Bihar Politics: कांग्रेस विपक्षी एकता की जल्दबाजी में नहीं, जीत से बदले तेवर, नीतीश की बैठक में नहीं जाएंगे राहुल-खड़गे

Bihar Politics: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सुझाव पर अमल करते हुए उन्होंने पटना में 12 जून को विपक्षी नेताओं की बड़ी बैठक बुलाई है।

Update: 2023-06-04 12:19 GMT
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Bihar Politics: अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए इन दिनों विपक्षी एकजुटता की मुहिम जोरों पर चल रही है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी दलों के बीच एकजुटता के लिए खासी सक्रियता दिखा रहे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सुझाव पर अमल करते हुए उन्होंने पटना में 12 जून को विपक्षी नेताओं की बड़ी बैठक बुलाई है। इस बैठक में पूर्व कांग्रेस की ओर से स्पष्ट किया गया है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी दोनों इस बैठक में शामिल नहीं होंगे।

हालांकि इस बैठक में कांग्रेस की ओर से किसी दूसरे प्रतिनिधि को भेजा जा सकता है। कांग्रेस का यह कदम नीतीश कुमार के लिए बड़े झटके की तरह माना जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक कर्नाटक में मिली शानदार जीत के बाद पार्टी के तेवर बदले हुए नजर आ रहे हैं। पार्टी प्रधानमंत्री पद के लिए राहुल गांधी की दावेदारी को एक बार फिर मजबूती से पेश करने की तैयारी में है। इसी कारण कांग्रेस विपक्ष की एकजुटता के लिए जल्दबाजी न दिखाने की नीति पर चलने लगी है।

विपक्षी नेताओं की पटना में होगी बड़ी बैठक

नीतीश कुमार ने पिछले दिनों विपक्ष के कई बड़े नेताओं के साथ भाजपा के खिलाफ एकजुटता पर चर्चा की थी। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे,पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मुलाकात करके भाजपा के खिलाफ एकजुटता पर जोर दिया था। नीतीश कुमार का मानना है कि यदि विपक्षी दल एकजुट हो जाएं तो 2024 के चुनाव में भाजपा को सत्ता में आने से रोका जा सकता है। नीतीश कुमार का कहना है कि इसके लिए विपक्ष की ओर से एक सीट पर एक साझा उम्मीदवार उतारने की जरूरत है।

नीतीश से मुलाकात के दौरान ममता बनर्जी ने विपक्षी दलों की एकजुटता के लिए बिहार में बड़ी बैठक आयोजित करने का सुझाव दिया था। ममता का कहना था कि बिहार लोकनायक जयप्रकाश नारायण की धरती रही है और ऐसे में बदलाव की बयार बिहार से बहनी चाहिए। ममता के इस सुझाव के बाद अब नीतीश ने 12 जून को पटना में विपक्षी दलों के नेताओं की बड़ी बैठक बुलाई है मगर इस बैठक को लेकर पहले ही सवालिया निशान लगने शुरू हो गए हैं।

कर्नाटक की जीत के बाद कांग्रेस के तेवर बदले

दरअसल कांग्रेस नेताओं से नीतीश कुमार की मुलाकात के समय कर्नाटक चुनाव के नतीजे नहीं घोषित हुए थे। कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस बार बड़ी जीत हासिल करते हुए भाजपा को बैकफुट पर धकेल दिया है। कर्नाटक की चुनावी जीत के बाद कांग्रेस में नया उत्साह दिख रहा है और पार्टी के तेवर बदले हुए नजर आ रहे हैं। कांग्रेस की ओर से स्पष्ट किया गया है कि पटना में होने वाली विपक्षी नेताओं की बैठक में पार्टी के अध्यक्ष खड़गे और राहुल गांधी हिस्सा नहीं लेंगे। पार्टी की ओर से किसी दूसरे नेता को इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए भेजा जा सकता है।

कर्नाटक की चुनावी जीत के बाद कांग्रेस विपक्ष की एकजुटता के लिए जल्दबाजी दिखाने के पक्ष में नहीं दिख रही है। इसके साथ ही पार्टी में राहुल गांधी की पीएम पद पर दावेदारी की आवाज भी उठने लगी है। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि हाल के महीनों में राहुल गांधी की लोकप्रियता बढ़ी है और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को पीएम उम्मीदवार के रूप में पेश किया जाना चाहिए।

पीएम पद की दावेदारी का मामला उलझा

पीएम पद की दावेदारी का मामला विपक्षी दलों के बीच लंबे समय से उलझा हुआ है। हालांकि नीतीश कुमार खुद को पीएम उम्मीदवार बताने से इनकार करते रहे हैं मगर उनकी पार्टी के अन्य नेता नीतीश कुमार को खुलकर पीएम पद का दावेदार बताते रहे हैं। माना जा रहा है कि 12 जून को होने वाली बैठक के दौरान इस मुद्दे पर भी चर्चा की जा सकती है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे को लेकर विपक्षी दलों के बीच विवाद पैदा होने की संभावना जताई जा रही है।

ऐसे माहौल में कांग्रेस फूंक-फूंक कर कदम आगे बढ़ाने के पक्ष में है। राहुल गांधी और खड़गे की नामौजूदगी में होने वाली इस बैठक को लेकर सवाल भी उठने लगे हैं। कांग्रेस का यह रुख नीतीश कुमार के लिए बड़े झटके के रूप में भी देखा जा रहा है। अब यह देखने वाली बात होगी कि भाजपा के खिलाफ एकजुटता के मुद्दे पर विपक्ष की इस महत्वपूर्ण बैठक में आखिर क्या फैसला लिया जाता है।

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