BJP Foundation Day: 44 वर्षों में भाजपा का सफर, 17 राज्यों में सरकारें और 303 सांसदों की ताकत

BJP Foundation Day 2024: देश में भी आज भाजपा सबसे ताकतवर स्थिति में है और पिछले 10 वर्षों से नरेंद्र मोदी की अगुवाई में दिल्ली में एनडीए की सरकार काम कर रही है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2024-04-06 11:38 IST

BJP Foundation Day  (photo: social media )

BJP Foundation Day 2024: लोकसभा के चुनावी माहौल के बीच भाजपा आज अपना स्थापना दिवस मना रही है। इस मौके पर भाजपा मुख्यालय के साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। 44 साल पहले 1980 में आज ही के दिन पार्टी का आधिकारिक तौर पर गठन किया गया था। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और हाल में भारत रत्न पाने वाले लालकृष्ण आडवाणी ने मिलकर भाजपा की नींव रखी थी। हालांकि राजनीतिक पार्टी के रूप में जनसंघ ने पहले ही अपनी पहचान बना रखी थी। अपने 44 साल के सफर में भाजपा आज दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन चुकी है।

देश में भी आज भाजपा सबसे ताकतवर स्थिति में है और पिछले 10 वर्षों से नरेंद्र मोदी की अगुवाई में दिल्ली में एनडीए की सरकार काम कर रही है। आज देश के 12 राज्यों में भाजपा की अपने दम पर सरकारें हैं जबकि पांच और राज्यों में भाजपा सहयोगी दलों के साथ सत्तारूढ़ है। 1984 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को सिर्फ दो सीटों पर कामयाबी मिली थी मगर 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के 303 सीटें जीतने में कामयाब रही।

2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली बड़ी जीत के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व की बड़ी भूमिका मानी जाती रही है। अब 2024 के लोकसभा चुनाव में भी नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा को ही सत्ता का सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है।

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अटल-आडवाणी ने 44 साल पहले रखी नींव

भारतीय जनता पार्टी का आधिकारिक रूप से गठन 6 अप्रैल 1980 को किया गया था। हालांकि इसके पहले भी पार्टी भारतीय जनसंघ के नाम से देश की सियासत में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती थी। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1951 में कांग्रेस से नाता तोड़ने के बाद भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी।

हिंदू पहचान और संस्कृति का संरक्षण भारतीय जनसंघ का मूल मकसद था और इस काम में पार्टी को हमेशा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से मदद मिली। श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे नेता जनसंघ को मजबूत बनाने में जुटे रहे। उनके बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसे मजबूत बनाने में बड़ी भूमिका निभाई।

वाजपेयी ने लालकृष्ण आडवाणी के साथ मिलकर 6 अप्रैल 1980 को भारतीय जनता पार्टी का गठन किया था। शुरुआती दिनों में इन दोनों नेताओं की पार्टी को मजबूत बनाने में बड़ी भूमिका रही। पार्टी को आम जनमानस से जोड़ने में अटल ने बड़ी भूमिका निभाई जबकि आडवाणी ने संगठन स्तर पर पार्टी को मजबूत बनाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी।

इन दोनों नेताओं को विभिन्न राज्यों में भी कद्दावर नेताओं से काफी मदद मिली जिससे पार्टी लगातार मजबूत होती गई।


1984 में सिर्फ दो सीटों पर सिमटी

हालांकि गठन के बाद शुरुआती दिनों में भाजपा को काफी संघर्ष करना पड़ा। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 400 से ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब हुई थी जबकि भाजपा को करारा झटका लगा था और पार्टी सिर्फ दो सीटों पर सिमट गई थी।

पार्टी का यह प्रदर्शन काफी निराश करने वाला था मगर अटल की अगुवाई में पार्टी नेताओं ने हार नहीं मानी। वे लगातार पार्टी को मजबूत बनाने की कोशिश में जुटे रहे। इसका नतीजा आने वाले दिनों में देखने को मिला।

1990 के दशक में पार्टी एक बार फिर मजबूती की राह पर बढ़ चली। राम मंदिर आंदोलन ने पार्टी के लिए संजीवनी का काम किया और पार्टी एक बार फिर पूरी मजबूती के साथ उठ खड़ी हुई।


1996 में बन गई सबसे बड़ी पार्टी

1996 का लोकसभा चुनाव में भाजपा को बड़ी कामयाबी मिली और 161 सीटों पर जीत के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन गई। इस बड़ी जीत के बाद पार्टी के शीर्ष नेता अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने। हालांकि वे अपना बहुमत साबित करने में कामयाब नहीं हो सके और उन्हें 13 दिनों में ही प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।

1998 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और मजबूती के साथ उभरी और पार्टी ने 182 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की। इस बार भी अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री पद की कमान संभाली मगर एआईडीएमके के समर्थन वापस लेने के कारण इस बार भी अटल सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी और 13 महीने में ही सरकार गिर गई।


1999 में सत्ता के बाद पांच साल सरकार

1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और मजबूत बनकर उभरी और इस बार अटल पांच साल का कार्यकाल पूरा करने में कामयाब रहे। अटल की अगुवाई में एनडीए 2004 के लोकसभा चुनाव में भी पूरी मजबूती के साथ चुनावी अखाड़े में उतरा मगर उसे हार का सामना करना पड़ा। 2009 के चुनाव में भी बीजेपी कमाल नहीं दिखा सकी। 2004 और 2009 के चुनाव में जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस की अगुवाई में देश की सत्ता 10 वर्षों तक यूपीए के हाथों में रही।


मोदी का करिश्माई नेतृत्व बना ताकत

2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का चेहरा घोषित किए जाने के बाद भाजपा ने एक बार फिर अपनी ताकत दिखाई। नरेंद्र मोदी ने पूरे देश का तूफानी दौरा किया और अपने करिश्माई नेतृत्व से भाजपा को एक बार फिर शिखर पर पहुंचा दिया। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर ने असर दिखाया और भाजपा बंपर जीत हासिल करने में कामयाब रही। उसके बाद भाजपा ने अभी तक पीछे मुड़कर नहीं देखा।

2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में 282 सीटों पर कमल खिला था। 2014 में भाजपा 1984 के बाद 30 साल में अपने दम पर बहुमत हासिल करने वाली पहली पार्टी बनी थी। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी को कई राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में भी बड़ी कामयाबी मिली।


2019 में 303 सीटों पर मिली कामयाबी

2019 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी की अगुवाई में भाजपा और बड़ी ताकत बन गई। अपने पांच साल के कामकाज के आधार पर पीएम मोदी चुनावी अखाड़े में उतरे और मतदाताओं ने भाजपा की झोली सीटों से भर दी।

पार्टी ने 303 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करते हुए कांग्रेस सहित अन्य सभी विपक्षी दलों को पूरी तरह बैकफुट पर ढकेल दिया। यह उपलब्धि कोई जादू या चमत्कार नहीं थी बल्कि इसके पीछे नरेंद्र मोदी की अगुवाई में पार्टी नेताओं की कड़ी मेहनत और मजबूत रणनीति को अहम कारण माना गया था।

17 राज्यों में सरकार की ताकत

प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के पिछले 10 वर्ष के कार्यकाल के दौरान भाजपा सियासी रूप से काफी मजबूत हो चुकी है। आज देश के 12 प्रमुख राज्यों में भाजपा की अपने दम पर सरकार काम कर रही है। हालांकि भाजपा के साथ कई सहयोगी दल भी जुड़े हुए हैं।

मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गोवा, असम, त्रिपुरा, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश में भाजपा की सरकार में काम कर रहे हैं। इन राज्यों के अलावा बिहार, महाराष्ट्र, सिक्किम, मेघालय और नगालैंड में एनडीए की सरकारें हैं।


2024 में भी सत्ता की सबसे मजबूत दावेदार

कभी भाजपा को सिर्फ हिंदी पट्टी की पार्टी माना जाता था मगर अब दक्षिण भारत में कर्नाटक से लेकर पूर्वोत्तर में असम, मेघालय, नागालैंड और त्रिपुरा तक में भाजपा अपनी ताकत दिखाने में कामयाब रही है।

अब देश में 2024 के लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। भाजपा की कमान एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत हाथों में है।

भाजपा ने कई अन्य सहयोगी दलों के साथ एनडीए का मजबूत मोर्चा बना रखा है। इस बार के लोकसभा चुनाव में भी जीत हासिल करने के लिए एनडीए ने मजबूत रणनीति अपना रखी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा नेताओं ने धुआंधार चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है और सियासी जानकारों का मानना है कि भाजपा इस बार भी सत्ता की सबसे मजबूत दावेदार बनकर उभरी है। जहां एक ओर विपक्षी दलों की रणनीति काफी लचर नजर आ रही है,वहीं दूसरी ओर मोदी अपने तीसरे कार्यकाल की तैयारी में जुटे हुए हैं।

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