UCC का वादा पूरा करना भाजपा के लिए आसान नहीं, जदयू पुराने रुख पर कायम, कहा-पहले आम सहमति बनाना जरूरी

Uniform Civil Code: केंद्रीय कानून और न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मंगलवार को पदभार ग्रहण करने के बाद कहा था कि यूसीसी अभी भी मोदी सरकार के एजेंडे में है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2024-06-13 05:22 GMT

UCC का वादा पूरा करना भाजपा के लिए आसान नहीं  (photo: social media )

Uniform Civil Code: लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में भारतीय जनता पार्टी की ओर से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का वादा किया गया था मगर इस वादे को पूरा करना भाजपा के लिए आसान साबित नहीं होगा। दरअसल इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा को अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं हुआ है और इस मुद्दे पर सहयोगी दलों का रवैया काफी अहम साबित होने वाला है।

केंद्रीय कानून और न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मंगलवार को पदभार ग्रहण करने के बाद कहा था कि यूसीसी अभी भी मोदी सरकार के एजेंडे में है। हम इस एजेंडे पर आगे बढ़ेंगे और आगे देखिए क्या होता है। दूसरी ओर यूसीसी के मुद्दे पर जदयू अभी भी अपने पुराने रुख पर कायम है। पार्टी ने फिर कहा है कि इस मुद्दे पर आम सहमति बनने के बाद ही आगे बढ़ा जाना चाहिए।

जदयू का आम सहमति पर जोर

कानून मंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया जताते हुए जदयू के राष्ट्रीय महासचिव के सी त्यागी ने कहा कि यूसीसी के मुद्दे पर अभी तक हमारे रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से यूसीसी के मुद्दे पर 2017 में विधि आयोग को पत्र लिखा गया था।

इस मुद्दे पर पार्टी ने अपना रुख उस पत्र में ही साफ कर दिया था। हम यूसीसी के खिलाफ नहीं है मगर पहले इस मुद्दे पर आम सहमति बनाई जानी चाहिए। एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक त्यागी ने कहा कि बिना आम सहमति बनाए इस मुद्दे पर आगे बढ़ाना उचित नहीं होगा।

नीतीश कुमार ने पहले ही साफ कर दिया था रुख

2017 में विधि आयोग को लिखे गए पत्र में नीतीश कुमार ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि सरकार की ओर से समान नागरिक संहिता को लाने का प्रयास किया जाना चाहिए। इस प्रयास को स्थायी और टिकाऊ बनाने के लिए इस मुद्दे पर पहले आम सहमति बनाए बनाए जाने की जरूरत है। उनका यह भी कहना था कि इसे जबर्दस्ती थोपे जाने की जरूरत नहीं है।

उनका यह भी कहना था कि यूसीसी को अपनी राजनीति साधने के प्रयास के रूप में नहीं पूरा किया जाना चाहिए बल्कि इसे सुधार के उपाय के रूप में देखा जाना चाहिए।

यूसीसी पर आम सहमति बनना मुश्किल

जदयू का रुख इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इस बार भाजपा पूर्ण बहुमत हासिल करने में कामयाब नहीं हो सकी है। 12 सांसदों के साथ जदयू ने केंद्र की मोदी सरकार को समर्थन दे रखा है। जदयू के अलावा टीडीपी का रुख भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। एनडीए में शामिल टीडीपी के इस बार 16 सांसद चुनाव जीते हैं। टीडीपी का करना है कि यूसीसी जैसे मुद्दे को बातचीत के जरिए हल किया जाना चाहिए।

वैसे यूसीसी का मुद्दा ऐसा है जिस पर सभी राजनीतिक दलों में आम सहमति बनना मुश्किल माना जा रहा है। इंडिया गठबंधन में शामिल प्रमुख दल पहले भी मुद्दे पर अपना विरोध जताते रहे हैं। ऐसे में इस मुद्दे पर आम सहमति बनाना मोदी सरकार के लिए काफी मुश्किल माना जा रहा है। सरकार की ओर से भले ही इसे अपने एजेंडे में शामिल बताया जा रहा हो मगर इस मुद्दे पर व्यापक मतभेद उभरते की आशंका जताई जा रही है।

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