BJP ने चुना इन्हें! तो अब मनोहर-दुष्यंत की गाड़ी दौड़ेगी रफ्तार से

हरियाणा विधानसभा चुनाव में किसी दल को वोट न मिलने के बाद भाजपा और जेजेपी का गठनबंधन बहुत खास है। इनके गठबंधन ने राज्य में नया राजनीतिक माहौल बना दिया है। ये आशा भी जताई जा रही है कि भाजपा-जेजेपी 5 साल तक स्थिर सरकार राज्‍य को देंगे।

Update: 2019-10-26 07:13 GMT
BJP ने चुना इन्हें! तो अब मनोहर-दुष्यंत की गाड़ी दौड़ेगी रफ्तार से

नई दिल्ली : हरियाणा विधानसभा चुनाव में किसी दल को वोट न मिलने के बाद भाजपा और जेजेपी का गठनबंधन बहुत खास है। इनके गठबंधन ने राज्य में नया राजनीतिक माहौल बना दिया है। ये आशा भी जताई जा रही है कि भाजपा-जेजेपी 5 साल तक स्थिर सरकार राज्‍य को देंगे।

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दुष्‍यंत के जरिये जाटों

बता दें कि इसके साथ ही पहले निर्दलीय विधायकों के साथ सरकार बनाने की तैयारी कर रही भाजपा ने बहुत खास कारण से दुष्‍यंत चौटाला को अपना सहयोगी चुना है। ये भी समझा जाता है कि भाजपा दुष्‍यंत के जरिये जाटों की नाराजगी दूर करना चाहती है।

इसके साथ ही कांग्रेस को भी किनारा करने में भी वह सफल हुई है। गठबंधन के साथ 7 निर्दलीय विधायकों का आना भी सरकार को ताकत देगा। इस तरह विधानसभा में भाजपा-जेजेपी के बहुमत का आंकड़ा 57 हो गया है।

बिना किसी डर और राजनीतिक बाधा

यहां पर भाजपा ने जेजेपी के साथ गठबंधन कर बिना किसी डर और राजनीतिक बाधा के पूरे 5 साल का सफर तय करने का रास्ता साफ किया है। इसके साथ ही जेजेपी ने अपने न्यूनतम साझा कार्यक्रम को लागू करने के लिए सरकार में शामिल होने को जरूरी बताते हुए राजनीति कदम भी चल दिया है।

इसके साथ ही हरियाणा में अब भाजपा व जेजेपी गठबंधन की सरकार से जातीय संतुलन भी साधने की कोशिश होगी। सीएम मनोहर लाल भाजपा का बड़ा गैर जाट चेहरा हैं, तो दुष्यंत चौटाला को सत्ता में शामिल कर भाजपा जाटों की नाराजगी दूर करने की कोशिश करेगी।

इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपनी पार्टी से लगभग 20 जाट उम्मीदवारों को टिकट दिए थे, लेकिन जीते केवल चार ही। भाजपा के बाकी जाट उम्मीदवारों को लोगों ने पूरी तरह से नकार दिया है।

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इसी सिलसिले में जेजेपी ने कहा है कि वह हरियाणा में स्थापित उद्योगों तथा सरकारी नौकरियों में यहां के मूल निवासी 75 फीसदी युवाओं को रोजगार चाहती है। पेंशन भी करीब पांच हजार रुपये मासिक करने का एजेंडा जजपा ने रखा है।

भाजपा इन दोनों मुद्दों को धीरे धीरे हल करने के दुष्यंत चौटाला के प्रस्ताव को लागू करने के लिए राजी हो गई है। दुष्यंत चौटाला की सोच सिर्फ सत्ता तक ही सीमित नहीं है।

जानकारी के लिए बता दें कि दुष्यंत सांसद भी रह चुके हैं, लेकिन हरियाणा की राजनीति में सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने की उनकी महत्वकांक्षा का यह पहला बड़ा पड़ाव है, जिसे जरिये वह बहुत दूर तक जाने का उद्देश्य भी रखते हैं।

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