Nritya Veda: क्या देवताओं की विनती पर ब्रह्माजी ने नृत्य वेद तैयार किया, जानिए इससे जुड़ा पूरा इतिहास
Nritya Veda: पहले की परंपरा के अनुसार शास्त्रीय नृत्य को मंदिरों तथा शाही राजदरबारों में प्रस्तुत किया जाता था। मंदिरों में नृत्य धार्मिक उद्देश्य से किये जाते थे जबकि राज दरबार में यह केवल मनोरंजन का साधन मात्र था।
Nritya Veda: यह कहना कठिन है कि नृत्य का किस समय पर आविर्भाव हुआ परन्तु यह स्पष्ट है कि खुशी को व्यक्त करने के लिए नृत्य अस्तित्व में आया। धीरे-धीरे नृत्य को लोक तथा शास्त्रीय दो भागों में बांटा गया। पहले की परंपरा के अनुसार शास्त्रीय नृत्य को मंदिरों तथा शाही राजदरबारों में प्रस्तुत किया जाता था। मंदिरों में नृत्य धार्मिक उद्देश्य से किये जाते थे जबकि राज दरबार में यह केवल मनोरंजन का साधन मात्र था।
कहा जाता है कि आज से 2000 वर्ष पूर्व त्रेतायुग में देवताओं की विनती पर ब्रह्माजी ने नृत्य वेद तैयार किया, तभी से नृत्य की उत्पत्ति संसार में मानी जाती है। इस नृत्य वेद में सामवेद, अथर्ववेद, यजुर्वेद व ऋग्वेद से कई चीजों को शामिल किया गया। नृत्य का इतिहास, मानव इतिहास जितना ही पुराना है। इसका प्राचीनतम ग्रंथ भरत मुनि का नाट्यशास्त्र है। लेकिन इसके उल्लेख वेदों में भी मिलते हैं, जिससे पता चलता है कि प्रागैतिहासिक काल में नृत्य की खोज हो चुकी थी। इस काल में मानव जंगलों में स्वतंत्र विचरता था। यहां तक कि हिंदू पौराणिक कथाओं में, शिव का एक नृत्य ब्रह्मांड का निर्माण और विनाश करता है।
ऋग्वेद में ‘नृति’ तथा नृतु का उल्लेख मिलता है तथा उषा काल की सुन्दरता की तुलना सुन्दर बेशभूषायुत्त नृत्यांगना से की है। जैमिनी तथा कौशीतकी ब्राह्मण ग्रन्थों में नृत्य और संगीत का एक साथ उल्लेख किया गया है। महाकाव्यों में स्वर्ग तथा पृथ्वी पर नृत्य के अनेक उदाहरण मिलते हैं।नृत्य केवल मनोरंजन का एक साधन नहीं है बल्कि यह भावनाओं को अभिव्यक्त करने का साधन भी रहा है। कथक हो या भरतनाट्यम या फिर हमारी संस्कृति की सौंधी मिट्टी की खुशबू समेटे हमारे लोक नृत्य इन सभी नृत्य विधाओं में बड़ी ही खूबसूरती के साथ मानवजीवन से जुड़े हर भाव को दूसरों तक पहुंचाने के लिए शरीर के एक एक अंग को कुशलता पूर्वक संचालित कर ताल,थाप और लय के साथ नृत्य प्रस्तुत किया जाता है। आइए इससे जुड़े कुछ अहम पहलुवों पर नजर डालते हैं,,,
डांसर जीन जार्ज नावेरे के जन्मदिन पर बनता है अंतराष्ट्रीय नृत्य दिवस
डांस की दीवानगी इस कदर की पूरी दुनियां ही इनके नाम पर और इनके जन्म के एक विशेष दिन पर खास तौर से नाचने को मजबूर हो जाए। जी हां हम बात कर रहें हैं नावेरा की। नावेरा फ्रांस के एक पारंगत बैले डांसर थे जिन्होंने नृत्य पर ‘लेटर्स ऑन द डांस’ नाम की एक किताब लिखी थी जिसमें नृत्य कला से जुड़ी सभी चीज़ें मौजूद हैं। इसे पढ़कर कोई भी बड़ी ही आसानी से नृत्य करना सीख सकता है। दुनियाभर में 29 अप्रैल का दिन अंतराष्ट्रीय नृत्य दिवस इस महान डांसर जीन जार्ज नावेरे के जन्मदिन के अवसर पर सेलिब्रेट किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस का मुख्य उद्देश्य दुनिया में नृत्य की विविध धाराओं का प्रचार प्रसार करके लोगों में नृत्य के प्रति जागरूकता और डांसर्स का प्रोत्साहन बढ़ाना है। आइए इस नृत्य दिवस पर बात करते हैं कि हमारी भारतीय कला सांस्कृतिक परंपरा में नृत्य की कितनी तरह की विधाएं प्रचलित है,,,,,,
1.कत्थक - यह नृत्य उत्तरभारत का प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य है।
2.मणिपुरी - मणिपुरी नृत्य पूर्वी बंगाल तथा असम की नृत्य शैली है। मणिपुरी नृत्य को वहां की भाषा में लाईहराबे तथा रासन्तरय के रूप में जाना जाता है।
3 .भरतनाट्यम - दक्षिण भारत की नृत्य शैली है। इस नृत्य की उत्पत्ति भारत द्वारा रचित नाट्यशास्त्र से हुई है इसलिए इसे भरतनाट्यम कहा जाता है।
4..कथककली - कथककली कर्नाटक और मालावार प्रान्त की प्राचीन नृत्य शैली के रूप में प्रसिद्ध है। पाख गायन के माध्यम से उस कथा का वर्णन किया जाता है।
- कुचीपुड़ी - कुचिपुड़ी आन्ध्रप्रदेश का प्रसिद्ध नृत्य है। इस नृत्य का मुख्य उद्देश्य नृत्य के माध्यम से वैदिक एवं उपनिषद में वर्णित धर्म एवं अध्यात्म का प्रचार प्रसार करना।
6.ओडिसी नृत्य - भगवान जगन्नाथ को समर्पित है इस नृत्य का मुख्य भाव समर्पण एवं अराधना होता है।
7.मोहिनी - अहम नृत्य मोहिनी अर्थात् मन को मोहनेवाला अर्थात् ऐसा माना जाता है कि यह नृत्य भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप में केरल स्थित सागर के तट पर किया था।
- छऊ नृत्य - बंगाल में इसे पुरूलिया, बिहार में सरई, केलरा एवं उडी़सा में म्यरू मंज और छऊ के नाम से इस नृत्य को जाना जाता है। इस नृत्य का आयोजन चैत्र पूर्व पर किया जाता है।
9.लोकनृत्य
जिसमे भारत जैसे बहुआयामी संस्कृति से जुड़ीं तमाम तरह की नृत्य विधाएं प्रचलित है। जिनमें मुख्यतह चहा नृत्य, शसलीला, होलीनृत्य, थालीनृत्य, मागं ड़ा, गिद्धा डौडिया नृत्य, दीपक नृत्य पनिहारि नृत्य, थली नृत्य कालरी, भरतनृत्य, पादायनी, कठपुतली नृत्य आदि प्रचलित हैं।
अगर आप के अंदर डांस को लेकर दिवानगी है और आप इसमें आगे बढ़ कर कुछ बड़ा करना चाहते हैं तो यहां आपकी सुविधा के लिए भारत देश के नामचीन नृत्य संस्थाओं से जुड़े डिटेल्स दिए जा रहें हैं, जो आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकते हैं.....
भारत के टॉप 10 नृत्य परीक्षण संस्थान
1-लैटिन डांस इंडिया:
लैटिन डांस इंडिया ने अब तक नृत्य श्रेणी में कई पुरस्कार जीते हैं। यह डांस स्कूल बैंगलोर में स्थित है। यह भारत के साल्सा सर्किट में सबसे लोकप्रिय नाम है।
2-राष्ट्रीय कथक नृत्य संस्थान:
पारंपरिक भारतीय शास्त्रीय का मूल कथक यहां पढ़ाया जाता है। इस संस्थान को कथक केंद्र के नाम से भी जाना जाता है। यह स्कूल 1964 से दिल्ली में स्थापित है।
3-भारतीय विद्या भवन, बैंगलोर:
लोग इसे भारत के सर्वश्रेष्ठ नृत्य विद्यालयों में से एक मानते हैं।यह नृत्य विद्यालय कथक और भरतनाट्यम जैसे जातीय नृत्य रूपों के लिए प्रसिद्ध है।
4-श्री त्यागराज कॉलेज ऑफ म्यूजिक एंड डांस:
इस कॉलेज ने सबसे अधिक प्रसिद्धि कुचिपुड़ी नृत्य पाठ्यक्रम के कारण अर्जित की है। यह डांस स्कूल हैदराबाद शहर में स्थित है। यह भारत के शीर्ष नृत्य विद्यालयों में से एक है जो भारतीय शास्त्रीय नृत्य और संगीत पर ध्यान केंद्रित करते हुए 13 विभिन्न विषयों की पेशकश करता है।
5-वेव डांस एकेडमी, मुंबई:
इस स्कूल का मुख्य फोकस बेली डांस है। बेली डांसिंग रूप में अपनी उत्कृष्टता के कारण इस नृत्य विद्यालय ने बहुत प्रसिद्धि अर्जित की है।
यह संस्था मिस्र के दूतावास के आधिकारिक प्रतिनिधि के रूप में कार्य करती है। यह अंधेरी के चरनी रोड में स्थित है।
6.नालंदा नृत्य कला महाविद्यालय, मुंबई:
लोग इसे भारत के सर्वश्रेष्ठ शास्त्रीय नृत्य संस्थानों में से एक मानते हैं।यह डांस स्कूल मुंबई विश्वविद्यालय से संबद्धता के अधीन है। इसे प्रदर्शन कलाओं के लिए शीर्ष श्रेणी का संस्थान माना जाता है।
7-आईटीए स्कूल ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स
यहां आकर छात्र बेसिक, एडवांस, प्रो, क्रैश आदि जैसे विभिन्न पाठ्यक्रमों में दाखिला ले सकते हैं। कोई भी हिप हॉप, सेमी-क्लासिकल, लैटिन अमेरिकन, जैज़ और अन्य रूपों को सीख सकता है।यह नृत्य विद्यालय ITASPA के नाम से प्रसिद्ध है। यह भारतीय टेलीविजन अकादमी के आशीर्वाद में बना हुआ है। इसे मुंबई में स्थापित शीर्ष पायदान का नृत्य विद्यालय माना जाता है।
8-दिल्ली नृत्य अकादमी
यहां विभिन्न प्रकार के नृत्य सिखाए जाते हैं। साथ ही, यह प्रामाणिक जातीय और पश्चिमी नृत्य रूपों का सम्मिश्रण करते हुए एक विशिष्ट और अद्वितीय नृत्य सिखाता है।
दिल्ली डांस एकेडमी की स्थापना 2008 में हुई थी। श्री भूपिंदर सिंह ने इस स्कूल को लॉन्च किया है। अकादमी सस्ती दरों पर उत्कृष्ट नृत्य शिक्षा प्रदान करती है।
9-नृत्यंजलि इंस्टीट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स:
छात्र भारतीय शास्त्रीय नृत्य और लोक नृत्य सीख सकते हैं। यह स्कूल डॉ. तुषार गुहा के संरक्षण में है। यह मुंबई में स्थित है। छात्र भारतीय शास्त्रीय नृत्य और लोक नृत्य सीख सकते हैं।
10-इंडियन एकेडमी ऑफ रशियन बैले, मुंबई
अवा भरूचा नाम की भारत की बेहतरीन बैलेरीना अपने उच्च गुणवत्ता वाले काम के साथ बैले की विशिष्ट श्रेणी में एकमात्र प्रतिनिधि हैं। यह डांस स्कूल दादर, मुंबई में स्थित है। यहाँ बैले का उत्तम पश्चिमी रूप पढ़ाया जा रहा है। यह संस्था भारत की डांसिंग बैलेरीना के स्वामित्व में है।