कोरोना को हराकर स्टीव बने हीरो, 92 दिनों में इस तरह जीती सबसे लंबी जंग
56 वर्षीय स्टीव कोरोना वायरस से सबसे लंबे समय तक जंग लड़कर जीतने वाले सर्वाइवर बन गए हैं। वे 92 दिनों तक अस्पताल में इस वायरस से जंग लड़ते रहे और उन्हें 18 जून को अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली। कोरोना वायरस का कहर पूरी दुनिया में दिख रहा है और अब तक दुनिया में 89 लाख से अधिक लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। इस वायरस ने अभी तक करीब 4,70,000 लोगों की जान ले ली है। इस वायरस का शिकार होने वाले लोग पूरी ताकत से इस वायरस से जंग लड़ने में जुटे हैं मगर ब्रिटेन के स्टीव व्हाइट ने तो कमाल कर दिया है। 56 वर्षीय स्टीव कोरोना वायरस से सबसे लंबे समय तक जंग लड़कर जीतने वाले सर्वाइवर बन गए हैं। वे 92 दिनों तक अस्पताल में इस वायरस से जंग लड़ते रहे और उन्हें 18 जून को अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया है।
19 मार्च को अस्पताल में भर्ती हुए थे स्टीव
ब्रिटेन में भी कोरोना वायरस काफी कहर दिख रहा है और तीन लाख से अधिक लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। यह वायरस अभी तक करीब साढ़े 42,000 लोगों की जान ले चुका है। स्टीव मार्च में इस वायरस का शिकार हो गए थे और उन्हें 19 मार्च को हियरफोर्ड काउंटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
उनके बचने की उम्मीद केवल एक फीसदी थी। उनकी गंभीर हालत को देखते हुए परिवार के लोगों ने अस्पताल के डॉक्टरों से अनुरोध किया था कि उन्हें लगातार वेंटिलेटर पर रखा जाए। स्टीव ने कोरोना से जंग में गजब का जज्बा दिखाया और आखिरकार इस वायरस को हराकर घर लौटने में कामयाबी हासिल की।
डॉक्टरों ने बताया था कुछ घंटे का मेहमान
ब्रिटेन में इन दिनों स्टीव के इस जज्बे की काफी चर्चा हो रही है। दो बच्चों के पिता स्टीव का कहना है कि मेरा मामला उन लोगों के लिए आशा की किरण है जो इस वायरस का शिकार होकर अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती हैं। ऐसे लोगों से मेरा यही कहना है कि इस वायरस से लड़ना मत छोड़िए और जंग में अपने जज्बे को हमेशा बनाए रखिए। 19 मार्च को अस्पताल में दाखिल होने के बाद अप्रैल में स्टीव की हालत काफी गंभीर हो गई थी। उनका इलाज करने वाले डॉक्टरों ने परिजनों से कह दिया था कि वे अब कुछ घंटों पर ही मेहमान रह गए हैं क्योंकि वे कोमा में चले गए थे।
पेट्रोल-डीजल की कीमत में लगी आग, लगातार 16वें दिन बढ़े दाम, जानिए नया रेट
आईसीयू में बिताए 67 दिन
स्टीव का कहना है कि डॉक्टरों ने मुझे बचाने के लिए पूरा प्रयास किया और मैंने अपने जज्बे को बनाए रखा। हालत गंभीर होने के कारण मैं पूरी तरह डॉक्टर के इलाज पर ही निर्भर हो गया था। स्टीव ने बताया कि फिजियोथेरेपी और चलने-फिरने के अभ्यास से पहले मैंने 67 दिन का लंबा समय आईसीयू में बिताया। इसमें भी लंबा समय वेंटिलेटर पर ही बीता। वेंटिलेटर पर रखे गए दो तिहाई मरीजों की मौत हो गई मगर स्टीव इस जंग को जीतने में कामयाब रहे। हिदरफोर्ड काउंटी अस्पताल का स्टाफ भी कोरोना वायरस से जंग में स्टीव के जीतने की इस घटना को अद्भुत मान रहा है और उन्हें हीरो की संज्ञा दे रहा है।
मां के नक्शे कदम पर बेटी: धर्म की दीवार को तोड़ लिए सात फेरे, आयशा से बनी माही
कोमा से लौटने के बाद का अनुभव डरावना
अपनी गंभीर हालत को याद करते हुए पेशे से डांसर स्टीव का का कहना है कि वेंटिलेटर पर 43 दिन बिताने के बाद मैं कोमा में चला गया था। होश में आने के बाद का अनुभव काफी डरावना था क्योंकि मुझे पुराना कुछ भी याद नहीं आ रहा था। गले में ऑक्सीजन देने के लिए चीरा लगाए जाने के कारण आवाज तक नहीं निकल पा रही थी। मेरी बेचैनी को देखते हुए हॉस्पिटल के स्टाफ ने मुझे शांत रखने में मदद की।
सिर्फ एक फीसदी थी बचने की संभावना
स्टीव के बेटे कैलम ने बताया कि डॉक्टरों ने हमसे कहा था अस्पताल में पिता के दिन बढ़ने के साथ ही उनके बचने की उम्मीद भी घटती जा रही है। डॉक्टरों ने उनके बचने की संभावना सिर्फ एक फीसदी बताई थी। बेटे ने कहा कि हम अपने पिता को इस तरह नहीं जाने देना चाहते थे और हमने उम्मीद बनाए रखी। स्टीव की बेटी ने भी एक दिन उन्हें कॉल करके उनका फेवरेट गाना सुनाया और उन्हें मिस करने की बात बताई। बेटी से बात करने के 24 दिन बाद स्टीव की हालत में सुधार होना शुरू हुआ।
ब्रिटेन में हीरो बन गए स्टीव
ब्रिटेन में इन दिनों स्टीव के नाम की काफी चर्चा हो रही है और हर कोई कोरोना से जंग में उनके जज्बे को सलाम कर रहा है। ब्रिटेन में कोरोना वायरस के जबर्दस्त कहर के बीच स्टीव को हीरो की संज्ञा दी जा रही है। कोरोना से लंबी जंग जीतकर लौटे स्टीव का यही कहना है कि इस वायरस से लड़ना कभी मत छोड़िए और मन में इस उम्मीद को हमेशा बनाए रखिए कि कोरोना से जीता जा सकता है।
चीन को ऐसे दें जवाब: पूर्व पीएम ने बताया तरीका, मोदी सरकार को दी ये नसीहत