कैबिनेट बैठक: 5 स्टार होटल समेत इन फैसलों पर लगी मुहर
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय स्तर के आयोजनों के लिये प्रगति मैदान की पुनर्विकास योजना में निजी क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित करते हुये इसमें एक होटल के निर्माण और संचालन के लिये आवश्यक जमीन के हस्तांतरण को मंजूरी दे दी है।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि राजधानी दिल्ली में स्थित प्रगति मैदान को फिर से विकसित करते हुए वहां एक पाच सितारा होटल बनाए जाने की योजना को मंजूरी मिल गयी है। वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने बुधवार को जम्मू और कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 का और संशोधन करने वाले जम्मू और कश्मीर (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2019 को वापस ले लिया।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय स्तर के आयोजनों के लिये प्रगति मैदान की पुनर्विकास योजना में निजी क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित करते हुये इसमें एक होटल के निर्माण और संचालन के लिये आवश्यक जमीन के हस्तांतरण को मंजूरी दे दी है।
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उल्लेखनीय है कि प्रगति मैदान में 3.7 एकड़ जमीन पर होटल निर्माण और इसके संचालन की योजना निजी क्षेत्र द्वारा पूरी की जायेगी। मंत्रिमंडल ने प्रगति मैदान में भारतीय व्यापार संवर्धन संगठन (आईटीपीओ) द्वारा होटल के निर्माण के लिये 3.7 एकड़ जमीन के हस्तांतरण को मंजूरी दे दी।
प्रगति मैदान की पुनर्विकास परियोजना के पहले चरण के तहत निजी क्षेत्र के साथ तीसरे पक्ष द्वारा होटल निर्माण और संचालन के लिए यह जमीन 99 साल के पट्टे पर हस्तांतरित की जायेगी।
जम्मू कश्मीर रिजर्वेशन बिल वापस
गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने लोकसभा में विधेयक को वापस लेने की अनुमति मांगी और सदन की सहमति के बाद विधेयक को वापस ले लिया गया।
सरकार ने राज्य में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को कोटा प्रदान करने वाले इस विधेयक को वापस ले लिया, क्योंकि धारा 370 के तहत विशेष दर्जा रखने वाले इस प्रदेश के केंद्र शासित प्रदेश बन जाने के बाद से ही वहां केंद्रीय कानून लागू हैं।
जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2019 को लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने 24 जून को पेश किया था। इस विधेयक को जम्मू और कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 में संशोधन के लिए लाया गया था और एक मार्च को इसे एक अध्यादेश में परिवर्तित कर दिया गया था।
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इस अधिनियम में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों से संबंधित व्यक्तियों को राज्य सरकार के कुछ पदों पर नियुक्ति और पदोन्नति में आरक्षण का प्रावधान है। इसमें वास्तविक नियंत्रण रेखा से सटे क्षेत्रों में रहने वाले सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लोगों को शामिल करने के लिए परिभाषित किया गया है।
यह विधेयक अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे इलाकों में रहने वाले लोगों को भी आरक्षण के दायरे में लाता है। हालांकि, केंद्र के अनुच्छेद 370 के विशेष प्रावधानों को निरस्त करने के साथ, केंद्रीय कानून अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होंगे।
विधेयक को वापस लेने का विरोध करते हुए, टीएमसी के सौगत रॉय ने कहा कि नियम कहता है कि मंत्री को कारणों का हवाला देते हुए बिल वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर एक संवेदनशील मुद्दा है, मंत्री को इस मुद्दे को साफ करना चाहिए।
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नागरिक संसोधन बिल केंद्रीय कैबिनेट ने दिया मंजूरी
केंद्रीय कैबिनेट ने इसके प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और पांच दिसंबर को यह विधेयक लोकसभा में प्रस्तुत किया जाएगा। नागरिकता संशोधन बिल का पूर्वोत्तर के राज्य विरोध कर रहे हैं। पूर्वोत्तर के लोग इस बिल को राज्यों की सांस्कृतिक, भाषाई और पारंपरिक विरासत से खिलवाड़ बता रहे हैं।
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का फाइनल ड्राफ्ट आने के बाद असम में विरोध-प्रदर्शन भी हुए थे। लेकिन इसमें जिन लोगों के नाम नहीं हैं, उन्हें सरकार ने शिकायत का मौका भी दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने एनआरसी से बाहर हुए लोगों के साथ सख्ती बरतने पर रोक लगा दी थी। अब सरकार नागरिकता संशोधन विधेयक लाने जा रही है, तो यह तय है कि संसद के दोनों सदनों में इसके खिलाफ स्वर मुखर जरूर होंगे।
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क्या है नागरिकता संशोधन बिल
नागरिकता संशोधन बिल नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को बदलने के लिए पेश किया जा रहा है, जिससे नागरिकता प्रदान करने से संबंधित नियमों में बदलाव होगा। नागरिकता बिल में इस संशोधन से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा।