सावधान-सावधान! बाजार में बिक रही नकली दवायें, सतर्क हो जायें आप

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक्सपर्ट्स और कंपनियों द्वारा पुष्टि की गई है, जिसके अनुसार बड़ी फार्मा कंपनियों के नाम पर कैंसर तथा लीवर से जुड़ी नकली और औषधि विभाग से बिना मंजूरी मिली दवाओं का 'ग्रे' मार्केट बढ़ रहा है।

Update: 2019-11-19 10:38 GMT

नई दिल्ली: क्या आप जानते हैं कि आप अपनी बीमारी की सही दवा खा रहे हैं। क्या आपको मालूम है कि बाजार में तमाम तरह की नकली दवायें बेचे जा रहे हैं।

तो आईये आपको बता दें कि किस तरह इन सभी दवाओं को कैसे पहचाने...

खबर है कि बांग्लादेश के साथ अन्य देशों से विभिन्न बीमारियों की नकली दवाओं के आने से कई लोगों की नींद उड़ गई है।

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इससे न सिर्फ घरेलू फार्मा कंपनियों की आमदनी पर असर पड़ रहा है, बल्कि मरीजों की जान को भी खतरा है, हालत ये है कि कैंसर के जिन रोगियों को इन दवाओं को लेने की सलाह दी जाती है, उनमें से 12% लोगों तक ये नकली दवाएं पहुंच जाती हैं।

हो रही अवैध दवाओं की तस्करी...

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक्सपर्ट्स और कंपनियों द्वारा पुष्टि की गई है, जिसके अनुसार बड़ी फार्मा कंपनियों के नाम पर कैंसर तथा लीवर से जुड़ी नकली और औषधि विभाग से बिना मंजूरी मिली दवाओं का 'ग्रे' मार्केट बढ़ रहा है।

इसके साथ ही आपको बता दें कि ये दवायें तस्करी कर देश में लाई जा रही हैं, जिस कारण इसका सही-सही आंकड़ा मौजूद नहीं है, लेकिन एक अनुमान के मुताबिक केवल कैंसर की दवाओं का यह ग्रे मार्केट करीब 300 करोड़ रुपये से अधिक का है।

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12% लोगों तक पहुंच रही नकली दवायें...

सामने आये आकड़े बेहद ही चौकाने वाले हैं, बताया जाता है कि कैंसर रोग विशेषज्ञ, कैंसर के जिन रोगियों को इन दवाओं को लेने की सलाह दी जाती है, उनमें से 12% मरीजों को लोगों तक ये नकली दवाएं पहुंच रही है।

बड़ी बात यह है कि इन दवाओं का क्लीनिकल ट्रायल भी नहीं हुआ है और इन्हें ड्रग कंट्रोलर्स की मंजूरी भी नहीं मिली है, इतना ही नहीं एंप्लॉयीज स्टेट इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन (ESIC) और सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (CGHS) जैसी सरकारी संस्थान भी इन दवाओं को खरीद रहे हैं।

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अन्य दवाओं की तरह ये दवाएं भी रिटेलर्स द्वारा नहीं, बल्कि डिस्ट्रिब्यूटर्स के जरिए बेची जाती हैं. इसलिए कारोबार करने वाले लोगों की पहचान करने में आसानी होगी. नोवार्टिस, जानसेन, आस्ट्रा जेनेका, ताकेडा और ईसाई जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

आपको बता दें कि इसका बड़ा कारण यह है कि आस्ट्रा जेनेका की ऑसिमेटिनिव नामक जिस दवा की कीमत 2 लाख रुपये से अधिक है, वहीं इस दवा की कॉपी महज 4,500 रुपये में मिल जाती है. कई अन्य महंगी दवाओं का भी यही हाल है।

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