वैक्सीन के इस्तेमाल की मिल सकती है मंजूरी, CDSCO करेगा इन कंपनियों की समीक्षा
आपको बता दें कि वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग के लिए 4 दिसंबर को सबसे पहले फाइजर ने भारत सरकार से इजाजत मांगी थी। यह एक अमेरिकी कंपनी है, जो दवा बनाने का काम करती है। 'फाइजर' ने भारत से ब्रिटेन और बहरीन में वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी प्राप्त कर चुकी है।
नई दिल्ली: कोरोना वैक्सीन को लेकर भारत की कई फार्मा कंपनियां शोध करने में जुटी हुई हैं। तो वही तीन फार्मा कंपनियों की आज समीक्षा होगी। जी हां, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन बुधवार को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, भारत बायोटेक और फाइजर के आवेदनों की समीक्षा करेगा। बता दें कि इन तीनों कंपनियों ने केन्द्र सरकार से कोरोना वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग के लिए इजाजत मांगी है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन भारतीय राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण काम करता है और इसी विभाग के अंदर सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन भी आता है।
सबसे पहले फाइजर ने भारत सरकार से मांगी इजाजत
आपको बता दें कि वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग के लिए 4 दिसंबर को सबसे पहले फाइजर ने भारत सरकार से इजाजत मांगी थी। यह एक अमेरिकी कंपनी है, जो दवा बनाने का काम करती है। 'फाइजर' ने भारत से ब्रिटेन और बहरीन में वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी प्राप्त कर चुकी है। वहीं, पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने 6 दिसंबर को अपने ऑक्सफोर्ड कोरोना वैक्सीन के लिए इजाजत मांगी थी। इन दोनों के बाद 7 दिसंबर को भारत बायोटेक ने इसके लिए भारत में आवेदन किया।
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केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण का बयान
जानकारी के अनुसार, देश में आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण कानून के तहत ऐसा कोई कानून नहीं बना हुआ है, जिसके जरिए भारत में वैक्सीन निर्माताओं को लाइसेंस दिया जा सकें। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा है, “इसके लिए सटीक फेस 'आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण' का उपयोग नहीं किया जाता है, लेकिन नए ड्रग्स और क्लिनिकल परीक्षण नियम, 2019 में साफ किया गया है कि स्थानीय सहित डेटा की विशिष्ट विशेष स्थितियों, छूट, नाम, गलतियों या आक्षेप के तहत नैदानिक परीक्षण डेटा अनुमोदन के लिए विचार किया जा सकता है।“
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ICMR के महानिदेशक बलराम भार्गव ने दी जानकारी
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा है, “यह एक बहुत गहरी जांच होगी। इसमें बड़े स्तर पर डेटा को देखना शामिल है। हमें उम्मीद है कि निर्णय जल्द होगा, लेकिन यह वैज्ञानिक दृढ़ता और उसमें होने वाली प्रक्रियाओं से कभी समझौता नहीं करेगा। विशेषज्ञ प्राधिकरण को केवल तभी अनुदान देंगे जब हम जोखिम-लाभ अनुपात से संतुष्ट होंगे।''
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