चमोली के भयानक 96 घंटे: अचानक रुक गया रेस्‍क्‍यू, लगातार जुटी हुई थी पूरी टीम

रेस्‍क्‍यू टीम ने मुख्‍य टनल की सफाई कर टी प्‍वाइंट की तरफ बढ़ने की रणनीति पर काम करने का फैसला किया गया था लेकिन छह मीटर ड्रिल के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान टनल से पानी निकलने लगा, इसके बाद आनन-फानन में रेस्क्यू टीम और मशीनों को बाहर निकाल लिया गया है।

Update: 2021-02-11 10:39 GMT
पांच लाशें बरामद होने के बाद अब मरने वाले लोगों का आंकड़ा 43 हो गया है। टनल से मलबा और कीचड़ हटाए जाने का काम निरंतर चल रहा है।

देहरादून: उत्तराखंड के चमोली में तपोवन विष्‍णुगाड परियोजना की टनल में फंसे लोगों को रेस्‍क्‍यू करने वाली टीम को हर कदम पर मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। बता दें कि बुधवार मध्‍यरात्रि ड्रिल करके काम कर रही टीम का पता लगाने की जिस रणनीति पर काम शुरू किया गया था। मुख्य टनल में बचाव कार्य को लगभग 96 घंटे हो चुके हैं।

रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान टनल से पानी निकलने लगा

बता दें कि रेस्‍क्‍यू टीम ने मुख्‍य टनल की सफाई कर टी प्‍वाइंट की तरफ बढ़ने की रणनीति पर काम करने का फैसला किया गया था लेकिन छह मीटर ड्रिल के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान टनल से पानी निकलने लगा, इसके बाद आनन-फानन में रेस्क्यू टीम और मशीनों को बाहर निकाल लिया गया है और सभी कर्मचारियों को टनल से दूर रहने की सलाह दी गई है।

टनल के भीतर रविवार से 34 लोग फंसे हुए हैं

इसीलिए ड्रिलिंग रोककर अब फिर से मुख्‍य टनल से मलबा हटाने का काम शुरू किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि टनल के भीतर रविवार से 34 लोग फंसे हुए हैं। ये सभी फलशिंग टनल में काम करने गए थे। डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि बचाव अभियान के तहत हम कल तक सुरंग में मलबा हटाने का काम कर रहे थे। अंदर देखने के लिए हमने छोटी सुरंग में ड्रिलिंग भी शुरू की थी, लेकिन मशीन के टूटते ही इसे अस्थायी रूप से रोक दिया गया है।

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7 फरवरी को ग्लेशियर टूटने से हुई भीषण घटना

बता दें कि 7 फरवरी को ग्लेशियर टूटने के बाद आई बाढ़ में कई लोगों की मौत हो गई तो बड़ी संख्या में लोग लापता हैं। टनल में भी करीब दो दर्जन से अधिक लोगों के फंसे होने की आशंका है। उनकी तलाश के लिए मलबा हटाने का काम चल रहा है। अभी यह नहीं पता चला है कि नदी में अचानक बहाव बढ़ने की वजह क्या है। रैणी गांव से जानकारी एकत्रित करने की कोशिश की जा रही है।

बचाव अभियान में सैनिकों सहित कई एजेंसियां लगी हैं

बचाव अभियान में कई एजेंसियां लगी हैं और 600 से अधिक जवान रेस्क्यू में जुटे हैं पिछले चार दिन से उनके अभियान का केंद्र यह सुरंग है और हर गुजरता क्षण इसके भीतर फंसे लोगों की सुरक्षा संबंधी चिंता को बढ़ा रहा है। बचाव कार्य में लगी भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के प्रवक्ता विवेक कुमार पांडे ने बताया कि सुरंग में फंसे लोगों को बचाने में लगातार आ रहा कीचड़ सबसे बड़ा अवरोधक बन रहा है। ऐसे में यह पता लगाने के लिए एक बड़ी मशीन से खुदाई की जा रही है कि क्या इस समस्या को किसी और तरीके से सुलझाया जा सकता है तथा क्या बचावकर्मी और गहराई में जा सकते हैं।

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लेटेस्ट UPDATES: कब क्या हुआ?

-एनटीपीसी के परियोजना निदेशक उज्जवल भट्टाचार्य ने बताया कि हम 6 मीटर की दूरी तक पहुंच गए थे और फिर हमने देखा किया कि वहां पानी आ रहा है। अगर हम काम जारी रखते तो चट्टानें अस्थिर हो सकती थीं, इससे समस्या हो जाती। इसलिए हमने ड्रिलिंग ऑपरेशन को कुछ समय के लिए रोक दिया है।

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-चमोली पुलिस के अनुसार नदी में पानी का स्तर बढ़ रहा है, आस-पास के इलाकों में रहने वाले लोगों को सतर्क किया जा रहा है। लोगों से अनुरोध है कि वे सतर्क रहें और घबराएं नहीं।

-डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि चमोली जिले में ऋषिगंगा नदी में जलस्‍तर बढ़ने के कारण बचाव अभियान अस्थायी रूप से रोका गया है। निचले इलाकों को खाली करने के आदेश दिए गए हैं।

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-टनल के पास से पानी निकालना हुआ शुरू, रोका गया राहत और बचाव कार्य।

-उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने आज चमोली जिले में टनल क्षेत्र का दौरा किया। इस दौरान वहां चल रहे बचाव अभियान का जायजा लेने के लिए वह आइटीबीपी के अधिकारियों से मिलीं।

-उत्तराखंड राज्यपाल बेबी रानी मौर्य हैलि‍कॉप्टर से जोशीमठ हैलीपैड पहुंची। इसके बाद यहां से कार द्वारा तपोवन पहुंचकर आपदा प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण करेंगी।

-आइटीबीपी के डीआइजी अपर्णा कुमार ने बताया कि ऐसी संभावना है कि सुरंग के अंदर कुछ और लोग फंस सकते हैं, एनटीपीसी की टीम वर्टिकल ड्रिलिंग का इस्तेमाल कर रही है।

-चमोली में पुल बह जाने के बाद 13 सीमांत गांवों का संपर्क कट गया है। इसके बाद से गांवों को जोड़ने के लिए आइटीबीपी के जवान झूला पुल का निमार्ण कर रहे हैं। इसका उपयोग ब्रिज के एक तरफ से दूसरी तरफ राशन पहुंचाने के लिए किया जाएगा।

-प्रशासन के अनुसार, अब तक 34 शव बरामद हुए हैं। इनमें से 10 की शिनाख्‍त हो गई। वहीं, 170 लोग अभी लापता हैं।

-टनल में फंसे करीब 34 लोगों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन पांचवें दिन गुरुवार को भी जारी है।

-गुरुवार सुबह करीब दो बजे रेस्‍क्‍यू टीम ने मुख्य टनल में ही करीब 12 मीटर तक ड्रि‍लिंग का काम शुरू कर दिया गया है। ड्रि‍लिंग कर कैमरे के जरिये फंसे व्यक्तियों का पता लगाया जाएगा।

-बुधवार को नेवी के माकरेस ने श्रीनगर के समीप कोटेश्वर झील में सर्च आपरेशन चलाया।

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-एनटीपीसी से प्राप्त सूचना के आधार पर अब तक ये माना जा रहा था कि टनल में टी-प्वाइंट पर उक्त व्यक्ति फंसे हैं।

-तपोवन-विष्णुगाड हाइड्रो प्रोजेक्ट की टनल में फंसे 34 व्यक्तियों को बचाने के लिए रेस्क्यू आपरेशन की रणनीति को चौथे दिन बदलना पड़ा।

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