Chandra Grahan 2023: पूरे भारत में दिखेगा चंद्र ग्रहण, रात 1.05 से शुरू होकर 2.24 पर होगा खत्म, आज नहीं मनेगा शरद पूर्णिमा उत्सव

Chandra Grahan 2023: मंदिरों के कपाट शाम 4 बजे से बंद हो गए हैं और रात में शरद पूर्णिमा उत्सव भी नहीं मनाया जाएगा। ग्रहण खत्म होने के बाद रविवार सुबह मंदिरों की शुद्धि होगी उसके बाद मंदिरों के फिर पट खुलेंगे।

Update:2023-10-28 19:12 IST

Chandra Grahan 2023: आज 2023 साल का आखिरी चंद्र ग्रहण हो रहा है। यह आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। यह 28-29 अक्टूबर की रात में 1.05 बजे से शुरू होकर 2.24 बजे तक खत्म हो जाएगा।चंद्र ग्रहण के 9 घंटे पहले से ही सूतक शुरू हो जाता है। चार बजे से सूतक शुरू हो चुका है। इसके चलते मंदिरों के कपाट शाम 4 बजे से बंद हो गए हैं और रात में शरद पूर्णिमा उत्सव भी नहीं मनाया जाएगा। ग्रहण खत्म होने के बाद रविवार सुबह मंदिरों की शुद्धि होगी उसके बाद मंदिरों के फिर पट खुलेंगे।

एक घंटा उन्नीस मिनट का होगा-

ये चंद्र ग्रहण लगभग 1 घंटा 19 मिनट तक रहेगा। 1.44 के आसपास चंद्रमा का 12.6 प्रतिशत हिस्सा पृथ्वी की छाया से ढका हुआ दिखेगा। मौसम साफ होने पर ये खगोलीय घटना पूरे भारत में देखी जा सकेगी।

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इन जगहों पर दिखेगा-

साल का यह आखिरी चंद्र ग्रहण भारत के साथ पूरे एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, नॉर्थ अमेरिका में भी दिखाई देगा। इसके बाद भारत में दिखने वाला अगला चंद्र ग्रहण 2024 में 17-18 सितंबर की रात में होगा।

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सभी राशियों पर होता है असर-

जब सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी पूरी तरह से नहीं आ पाती और पृथ्वी की छाया चांद के कुछ हिस्से पर ही पड़ती है। तब इसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहा जाता है। इस बार चंद्रमा के 12.6 प्रतिशत हिस्से पर ही धरती की छाया पड़ेगी। ज्योतिर्विज्ञान और धर्मग्रंथों के मुताबिक इस ग्रहण में भी सूतक काल के नियमों का ध्यान रखा जाता है। ऐसे ग्रहण का असर सभी राशियों पर पड़ता है।

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18 साल बाद शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण-

राजधानी के मुंशीपुलिया स्थित हनुमान मंदिर के पुजारी पंडित अशोक पांडेय ने बताया कि 18 साल बाद यह चंद्र ग्रहण शरद पूर्णिमा पर हो रहा है। इससे पहले 2005 में भी ऐसा ही योग बना था। यह ग्रहण मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र पर रहेगा। इस कारण से दक्षिण और पूर्व दिशा में मौजूद राज्यों में इसका साफ असर दिखेगा।

ग्रहण का असरः प्रशासन और राजनीति में बदलाव के योग

पंडित अशोक पांडेय ने बताया कि 28-29 अक्टूबर की रात शुक्र और शनि को छोड़कर बाकी सभी ग्रह आमने-सामने रहेंगे। सितारों की ये स्थिति हमारे देश की सीमाओं पर तनाव बढ़ाने वाली रहेगी। इन ग्रह-नक्षत्रों के कारण प्रशासन और राजनीति से जुड़े बड़े उलटफेर होने के योग भी बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस ग्रहण के प्रभाव से देश-दुनिया में प्राकृतिक आपदा आने की भी आशंका है।

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9 घंटे पहले शुरू होता है सूतक, इस समय मंत्र का जप करना चाहिए-

चंद्र ग्रहण के नौ घंटे पहले ही सूतक शुरू हो जाता है। इस दौरान धार्मिक कार्यों पर पाबंदियां लग जाती हैं। इसी को सूतक काल कहा जाता है। जो कि शाम 4 बजे से शुरू हो गया है, जो नौ घंटे तक यानी रात्रि एक बजे तक रहेगा। सूतक के समय पूजा-पाठ, मंदिर दर्शन, विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, व्यापार प्रारंभ जैसे शुभ काम नहीं होते हैं। यही कारण है कि सूतक शुरू होते ही सभी मंदिर बंद हो जाते हैं। सूतक काल में देवी-देवताओं के मंत्रों का जप करने का विधान है। यह काफी लाभदायक होता है।

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भगवान को छूना मना होता है, ग्रहण खत्म होने पर नहाते हैं-

-ग्रहण के बाद हमारा शरीर अपवित्र हो जाता है। ऐसे में चंद्र ग्रहण के दौरान देवताओं की पूजा करना या उन्हें छूने की मनाही होती है। ग्रहण के बाद मूर्तियों को गंगाजल से धोकर पवित्र किया जाता है।

-ग्रहण के दौरान मंत्रों का जाप करना चाहिए और भक्ति गीत गाना चाहिए।

-ग्रहण के दौरान पका हुआ भोजन अपवित्र न हो, इसके लिए उसमें कुशा या तुलसी के पत्ते डालते हैं।

-ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को घर में ही रहने को कहा जाता है।

-ग्रहण के समय सब्जी काटने और कपड़े सिलने नहीं चाहिए, इसकी मनाही होती है।

-ग्रहण के बाद नहाकर साफ कपड़े पहनना चाहिए और गंगाजल का छिड़काव करना चाहए।

इस बार का चंद्र ग्रहण काफी मायनों में प्रभावशाली भी माना जा रहा है। इस ग्रहण का असर राजनीति समेत कई क्षेत्रों में पड़ने की संभावनाएं जताई जा रही हैं।

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