Chandrayaan-3: चन्द्रयान 3 की तैयारी अब चांद पर लैंडिंग की, यहां देखें क्या पूरी जानकारी

Chandrayaan-3 Latest Update: द्रयान के मॉड्यूल में लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं। अब यह रविवार को एक और डीबूस्टिंग ऑपरेशन से गुजरेगा। यह मॉड्यूल को एक ऐसी कक्षा में ले जाएगा जो इसे चंद्रमा की सतह के काफी करीब है।

Update:2023-08-19 07:33 IST
Chandrayaan-3 Latest Update (Pic: Social Media)

Chandrayaan-3 Latest Update: भारत के चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर मॉड्यूल का आज एक और सफल ऑपरेशन हुआ जिसके लैंडर मॉड्यूल की रफ्तार और धीमी की गई। चंद्रयान के मॉड्यूल में लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं। अब यह रविवार को एक और डीबूस्टिंग ऑपरेशन से गुजरेगा। यह मॉड्यूल को एक ऐसी कक्षा में ले जाएगा जो इसे चंद्रमा की सतह के काफी करीब है। लैंडर को 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को छूना है।

35 दिन हो गए

14 जुलाई को उपग्रह के प्रक्षेपण के 35 दिन बाद 17 अगस्त को चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल सफलतापूर्वक प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो गया था। इसरो के सूत्रों ने पहले कहा था कि अलग होने के बाद लैंडर को एक कक्षा में स्थापित करने के लिए "डीबूस्ट" (धीमा करने की प्रक्रिया) ऑपरेशन से गुजरने की उम्मीद है, जहां पेरिल्यून (चंद्रमा से कक्षा का निकटतम बिंदु) 30 किलोमीटर दूर है और अपोलोन (चंद्रमा से सबसे दूर बिंदु) 100 किमी दूर है, जहां से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया जाएगा।

लैंडिंग की तैयारी

चन्द्रमा से लगभग 30 किमी की ऊंचाई पर, लैंडर पावर्ड ब्रेकिंग चरण में प्रवेश करेगा। इसके बाद वह चंद्रमा की सतह तक पहुंचने के लिए अपने थ्रस्टर्स का उपयोग करना शुरू कर देता है। लगभग 100 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर यह जांच करने के लिए सतह को स्कैन करेगा कि क्या कोई बाधा है और फिर नीचे उतरना शुरू करेगा।

इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने हाल ही में कहा था कि लैंडिंग का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा 30 किमी की ऊंचाई से अंतिम लैंडिंग तक लैंडर के वेग को कम करने की प्रक्रिया और अंतरिक्ष यान को क्षैतिज से ऊर्ध्वाधर दिशा में पुन: निर्देशित करने की क्षमता होगी। लैंडर चंद्रमा की सतह के होरिजेंटल है। यहां चंद्रयान-3 लगभग 90 डिग्री झुका हुआ है और लैंडिंग के लिए इसे वर्टिकल होना है। पोजीशन बदलने की यह पूरी प्रक्रिया गणितीय रूप से एक बहुत ही दिलचस्प गणना है। यहीं पर पिछली बार चंद्रयान-2 की समस्या हुई थी। बहरहाल, लैंडर की लैंडिंग के लिए अंतिम 20 मिनट बहुत महत्वपूर्ण होंगे।

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