जातीय समीकरण और मोदी से प्रभावित महासमुंद लोकसभा सीट

छत्तीसगढ़ की प्रतिष्ठित महासमुंद लोकसभा सीट में इस बार जातीय समीकरण और मोदी प्रभाव परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं। राजधानी रायपुर से पूर्व की तरफ आगे बढ़ें तब भगवान राजीव लोचन की नगरी राजिम है।

Update: 2019-04-07 15:33 GMT

रायपुर: छत्तीसगढ़ की प्रतिष्ठित महासमुंद लोकसभा सीट में इस बार जातीय समीकरण और मोदी प्रभाव परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं। राजधानी रायपुर से पूर्व की तरफ आगे बढ़ें तब भगवान राजीव लोचन की नगरी राजिम है।

छत्तीसगढ़ के प्रयाग के नाम से प्रसिध्द इस नगर से महासमुंद लोकसभा क्षेत्र प्रारंभ होता है। राज्य के प्रसिध्द संत पवन दीवान, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे श्यामाचरण शुक्ल और राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी का कार्यक्षेत्र रही इस सीट पर इस बार दोनों दलों ने जाति समीकरण को ध्यान में रखकर साहू समाज के उम्मीदवारों पर दांव लगाया है।

राज्य के राजनीतिक जानकारों के अनुसार महासमुंद लोकसभा क्षेत्र की कुल आबादी में लगभग 51 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग हैं। जिनमें से लगभग 18 से 19 प्रतिशत की आबादी साहू जाति है। वहीं इस क्षेत्र में 29 फीसदी अनुसूचित जनजाति और लगभग 13 फीसदी अनुसूचित जाति की आबादी है। साहू जाति की बहुलता को देखते हुए सत्ताधारी दल कांग्रेस ने पूर्व मंत्री और विधायक धनेंद्र साहू और भाजपा ने पूर्व विधायक चुन्नीलाल साहू को चुनाव मैदान में उतारा है। भाजपा ने पिछले दो बार से सांसद रहे चंदूलाल साहू की टिकट काटकर चुन्नीलाल पर भरोसा जताया है।

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दोनों दलों द्वारा एक ही जाति के उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारने के कारण यहां के साहू जाति के मतदाताओं का वोट बंटने की पूरी संभावना है। यहां के किसान जहां कांग्रेस सरकार द्वारा कर्ज माफ और धान के बढ़े हुए समर्थन मूल्य से प्रभावित हैं, तो वहीं युवाओं की पहली पसंद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।

लोकसभा क्षेत्र के भोरिंग गांव के निवासी किसान हेमलाल साहू कहते हैं कि मुकाबला चुन्नीलाल और धनेंद्र साहू के बीच है। निश्चित तौर पर धनेंद्र साहू ज्यादा प्रभावशाली हैं। यदि भाजपा इस सीट को जीत जाती है तब इसका श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को दिया जाएगा।

साहू कहते हैं कि बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कर्ज माफी और धान का समर्थन मूल्य बढ़ाने का वादा किया था। वहीं भाजपा ने किसानों को बोनस और उनकी फसल की अच्छी कीमत देने के बजाय मोबाइल फोन बांटने का फैसला किया, जिससे किसान कांग्रेस की ओर हो गए। लेकिन अब लोकसभा का चुनाव है इसलिए परिस्थितियां बदल सकती हैं। इधर क्षेत्र के ज्यादातर युवा मतदाताओं की पसंद प्रधानमंत्री मोदी हैं।

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गोपालपुर गांव के 19 वर्षीय मतदाता पीताम्बर निषाद का कहना है कि क्षेत्र में युवाओं के लिए रोजगार एक मुद्दा है लेकिन इसके बावजूद मोदी को एक और मौका दिया जाना चाहिए। पितांबर के पिता अक्सर बीमार रहते हैं। खराब आर्थिक स्थिति के कारण उसने 12 वीं कक्षा तक पढ़ने के बाद पढ़ाई छोड़ दी है। पितांबर तुमगांव के एक मेडिकल स्टोर में काम करता है।

वह कहते हैं कि गांव के कई अन्य लड़कों ने पढ़ाई छोड़ दी है और अच्छी नौकरी की तलाश में रायपुर चले गए हैं। क्षेत्र का युवा अब खेती नहीं करना चाहता है और न ही छोटा काम करना चाहता है। रोजगार का मुद्दा इस क्षेत्र के लिए प्रमुख है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी को एक और कार्यकाल दिया जाना चाहिए।

राजनीतिक विशेषज्ञ और छत्तीसगढ़ राज्य चुनाव आयोग के पूर्व आयुक्त सुशील त्रिवेदी का कहना है कि महासमुंद लोकसभा सीट में इस बार केवल साहू ही नहीं बल्कि अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय भी परिणाम को प्रभावित कर सकता है। त्रिवेदी कहते हैं कि चुनाव केवल जातीय समीकरण पर नहीं जीता जा सकता है।

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महासमुंद में साहू इस बार निर्णायक नहीं होंगे, क्योंकि दोनों प्रमुख दलों ने एक ही समुदाय से उम्मीदवार खड़े किए हैं। इसलिए स्वाभाविक रूप से उनके वोट विभाजित होंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि महासमुंद में अन्य ओबीसी समुदाय और आदिवासी कैसे मतदान करते हैं। जिससे चुनाव परिणाम प्रभावित हो सकता है।

महासमुंद लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं, जिनमें महासमुंद जिले के चार और धमतरी और गरियाबंद जिले की दो-दो सीट शामिल हैं। इस क्षेत्र से पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल छह बार सांसद रहे हैं। वहीं कांग्रेस से श्यामाचरण शुक्ला (1999), अजीत जोगी (2004) और पवन दीवान (1991 और 1996) तथा भाजपा के चंद्रशेखर साहू (1998) इस सीट से सांसद चुने गए हैं।

पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में महासमुंद लोकसभा सीट के आठ विधानसभा क्षेत्रों में से कांग्रेस ने पांच- खल्लारी, महासमुंद, सरायपाली, बसना और राजिम में, तथा भाजपा ने बिंद्रानवागढ़, धमतरी और कुरुद सीट से जीत हासिल की थी।

महासमुंद लोकसभा क्षेत्र में 18 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। इस सीट के लिए 18 अप्रैल को मतदान होगा। इस सीट पर 16,37,002 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे जिनमें से 812761 पुरुष और 824219 महिला मतदाता हैं। वहीं तृतीय लिंग के 22 मतदाता भी हैं।

भाषा

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