सैटेलाइट-जैमर की तबाही: चीन सभी देशों को ऐसे करेगा कैद, हमले की तैयारी में

चीन अब दुनिया में राज करने की फिराक में है। अपनी सैन्य क्षमता को लगातार मजबूत करते हुए अब वह अतंरिक्ष से हमला करने की तैयारी में है। तमाम देशों को अपनी कैद में करने की सोच रहा चीन अब अपने रोबोट्स, सैटेलाइट जैमर और किलर मिसाइलों की मदद से संचार प्रणाली को ठप करने की कोशिश में लगा हुआ है।

Update: 2020-09-04 10:21 GMT
सैटेलाइट-जैमर की तबाही: चीन सभी देशों को ऐसे करेगा कैद, हमले की तैयारी में

नई दिल्ली। चीन अब दुनिया में राज करने की फिराक में है। अपनी सैन्य क्षमता को लगातार मजबूत करते हुए अब वह अतंरिक्ष से हमला करने की तैयारी में है। तमाम देशों को अपनी कैद में करने की सोच रहा चीन अब अपने रोबोट्स, सैटेलाइट जैमर और किलर मिसाइलों की मदद से संचार प्रणाली को ठप करने की कोशिश में लगा हुआ है। ऐसे में ये खुलासा अमेरिकी सरकार ने किया है। अमेरिका ने इस बारे में 200 पन्नों की एक रिपोर्ट US कांग्रेस को सौंपी है।

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अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स मार गिरा सकता

अमेरिका की इस रिपोर्ट के अनुसार, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ऐसी आधुनिक तकनीक विकसित करने में लगी हुई है, जिससे देश किसी भी तरह का हमला या संचार न कर पाए। इसके चलते चीन काइनेटिक किल मिसाइल, ग्राउंड बेस्ड लेजर और स्पेस रोबोट्स बना रहा है। इनकी वजह से वह अंतरिक्ष में दुश्मन के सैटेलाइट्स मार गिरा सकता है। साथ ही उनकी जासूसी भी कर सकता है।

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अपनी इन कोशिशों के चलते चीन सैटेलाइट जैमर जैसी टेक्नोलॉजी विकसित करने में लगा है। ऐसे साइबर और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर तैयार करने में लगा है। दूसरी तरफ अगर भारत की बात करें, तो इन मामलों में भारत की तकनीक और सुविधाएं बहुत कम हैं। वह चीन से इस मामले में बहुत पीछे चल रहा है। इसरो और डीआरडीओ दोनों ही इन मामलों में अपनी ताकत बढ़ाने में जोरो-शोरों से लगे हुए हैं।

फोटो- सोशल मीडिया

एक साझात्कार में इसरो चीफ के. सिवन ने बताया था कि मिलिट्री संबंधी सैटेलाइट्स या रॉकेट या फिर कोई अन्य टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस के तहत नहीं आता। देश में रक्षा संबंधी सभी जरूरतें इसरो की तरफ से पूरी की जाती हैं। लेकिन सबसे पहले नागरिक सेवाओं का ध्यान रखा जाता है।

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चीन भारत से 7 गुना ज्यादा पैसा खर्च करता

फोटो-सोशल मीडिया

आगे सिवन ने कहा कि जब भी देश की रक्षा से संबंधित कोई काम आएगा, इसरो सबसे पहले उसे पूरा करके देगा। अब तो हमारे पास निजी कंपनियां भी आने को तैयार हैं, ये कंपनियां इसरो के साथ मिलकर देश की सुरक्षा, संचार और संपन्नता में मदद करेंगी। हम डीआरडीओ के साथ मिलकर मिसाइल तो बनाते ही हैं।

बता दें, चीन अपने अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर भारत से लगभग 7 गुना ज्यादा पैसा खर्च करता है। ऐसे में चीन ने साल 2019-20 का अंतरिक्ष कार्यक्रमों का बजट कुल मिलाकर 80,633 करोड़ रुपये रखा है। वहीं भारत के स्पेस प्रोग्राम्स का कुल बजट 10,995 करोड़ रुपये है।

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