तबाही की ओर देश: क्या हम जंग की ओर बढ़ रहे हैं, हकीकत क्या कहती है

चीन का एलएसी पर बढ़ता दखल। नेपाल में घुसपैठ। आदि बातों को लेकर लगातार देश में एक माहौल बनता जा रहा है। क्या देश युद्ध की ओर बढ़ रहा है या युद्ध अवश्यंभावी हो चुका है।

Update:2020-11-04 17:15 IST

लखनऊ: चीन का एलएसी पर बढ़ता दखल। नेपाल में घुसपैठ। आदि बातों को लेकर लगातार देश में एक माहौल बनता जा रहा है। क्या देश युद्ध की ओर बढ़ रहा है या युद्ध अवश्यंभावी हो चुका है। तमाम समाचार पत्र व मैगजीन लगातार इस बात को लेकर भरे हुए हैं कि अब चीन को धूल चटाने का वक्त आ गया है।

न्यूजट्रैक ने इस संबंध में जब रक्षा विशेषज्ञों से बात की तो एक नई तस्वीर उभरकर सामने आयी। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान समय में वार की स्थिति प्रथम दृष्ट्या दिखायी नहीं दे रही है। इसके कारणों पर चर्चा करते हुए वह कहते हैं कि वार की सिचुएशन मिलेट्री लेवल पर बहुत फ्लैक्सिबल होती है। इसमें राजनीतिक, वित्तीय और रणनीतिक कारकों का अहम योगदान होता है।

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जंग के लिए तैयार

लेफ्टिनेंट कर्नल (रिटायर्ड) सीमीत कुमार कहते हैं वर्तमान में सभी के लिए किसी अन्य की बात पर यकीन करने से बेहतर प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, सेना प्रमुख, वायुसेना प्रमुख और नौसेना प्रमुख की बातों पर गौर करना उचित और महत्वपूर्ण होता है।

वर्तमान में अगर चीन की बात की जाए, तो कोविड-2019 के काल में चीन खुद आर्थिक रूप से बुरी तरह चरमराया हुआ है उसके यहां से तमाम मल्टीनेशनल कंपनियों के पलायन कर जाने से उसके मार्केट की स्थिति बहुत डांवाडोल है। ऐसे में वह जंग के लिए तैयार है यह सोच पाना कठिन है।

दूसरी बात सीमा पर वास्तविक स्थिति और यहां पर बैठकर सीमा के हालात पर चर्चा संभव नहीं है। इसे बेहतर रूप से वही समझ सकता है जो सीमा पर है। क्योंकि जहां इंटरनेशनल बार्डर है वहां तो मार्कर से सीमा का विभाजन स्पष्ट रूप से पता चल जाता है।

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किस देश की क्या स्थिति

लेकिन जहां कोई मार्कर नहीं है वहां ये समझ पाना मुश्किल होता है कि सीमा कहां तक है। गश्त के दौरान अक्सर सीमा का अतिक्रमण हो जाता है। खासकर चीन की बात करें, तो वहां सीमा पर खाइयां हैं। नाले हैं पहाड़ हैं। ऐसे में मार्किंग कठिन है।

एक रक्षा विशेषज्ञ का यह भी कहना था कि हथियारों के मामले में किस देश की क्या स्थिति है इसका विवरण मोटेतौर पर इंटरनेट पर उपलब्ध है लेकिन जहां सवाल दक्षता की है उसे बैटल फील्ड से बेहतर आकलन नहीं किया जा सकता है।

वह कहते हैं कि ये ठीक है कि हमने तमाम लड़ाइयां लड़ीं लेकिन वर्तमान में सबसे हाल की कारगिल जंग को लड़े हुए भी दो दशक बीत चुके हैं। हमारे जवान सैन्य इतिहास से सबक लेते हैं ताकि पुरानी गलती दोहराई न जा सके।

वित्तीय रूप से भी वह कमजोर

रही बात पाकिस्तान की तो पाकिस्तान भी आज आंतरिक रूप से इतना कमजोर हो चुका है। उसके यहां सत्ता संघर्ष इतना तेज है कि गृहयुद्ध जैसे हालात है। वित्तीय रूप से भी वह कमजोर है। ऐसे में उधर से भी इसकी संभावना नहीं है।

 

फोटो-सोशल मीडिया

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अब असली बात पर आते हैं अचानक से चीन रिएक्टिव क्यों हो उठा है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार यह एक तरह का रिएक्शन है। यह ठीक है चीन ने जब सीमावर्ती इलाकों में डेवलपमेंट किया तो भारत ने प्रतिक्रिया नहीं जताई। हमारे पूर्ववर्ती शासकों ने डेवलपमेंट पर कहा लेकिन किया नहीं।

वर्तमान नेतृत्व ने जब सीमावर्ती इलाकों में डेवलपमेंट शुरू किया सड़कें बननी शुरू हुईं टनल बनीं और बनाने का काम चल रहा है। तो पड़ोसी मुल्क की जो हरकतें छिपी थीं उसे उजागर होने का डर हुआ इसलिए उसका रिएक्शन आ रहा है। नेपाल से फिलहाल हमें कोई खतरा नहीं है।

सेना के सुदृढीकरण पर भी सरकार का फोकस है। आज तीन रफाल विमान और आगए हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहले ही कह चुके हैं ''रफ़ाल विमान और हथियारों की वक़्त पर डिलिवरी के लिए वो फ़्रांस की सरकार और डसॉ एविएशन को धन्यवाद देते हैं। फ़्रांस ने महामारी के वक़्त में भी देरी नहीं की।''

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युद्धक क्षमता दुनिया भर में सबसे बेहतरीन

राजनाथ सिंह यह भी कह चुके हैं, ''रफ़ाल की ख़रीदारी इसलिए हो पाई क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सही फ़ैसला लिया। ये एयरक्राफ़्ट प्रदर्शन में माकूल हैं और इनके हथियार भी अचूक हैं। इनके रडार, सेंसर्स और इलेक्ट्रॉनिक युद्धक क्षमता दुनिया भर में सबसे बेहतरीन हैं।

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रफ़ाल के आने से भारतीय वायु सेना किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहेगी। जो हमारी क्षेत्रीय अखंडता को चुनौती देने की मंशा रखते हैं उन्हें भारतीय वायुसेना की इस नई क्षमता को लेकर चिंतित होना चाहिए।''

दोनों देशों की सेनाओं के बीच मित्रता

सेना प्रमुख जनरल नरवणे ने हाल ही में कहा है मैं नेपाल की यात्रा करने और अपने समकक्ष नेपाल के सेना प्रमुख जनरल पूर्ण चंद्र थापा से मुलाकात के लिए उनकी ओर से मिले निमंत्रण को लेकर उत्साहित हूं। मुझे विश्वास है कि यह यात्रा दोनों देशों की सेनाओं के बीच मित्रता के बंधन को और मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।'

वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने भी हाल में कहा है आज वायुसेना बदलाव से गुजर रही है। हम ऐसे वक्त में हैं जो आगे का भविष्य तय करेगी।

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संकट के वक्त में एक्शन

वायुसेना प्रमुख ने रिटायर्ड जवानों का शुक्रिया अदा किया जिन्होंने इतनी ताकतवर वायुसेना को खड़ा किया। उन्होंने कहा ये साल काफी वजहों से अलग रहा है, देश ने इस साल कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। इसके साथ ही वायुसेना ने भी इस संकट के वक्त में एक्शन लिया, लॉकडाउन के वक्त आम लोगों की मदद की और जरूरी सामान लोगों तक पहुंचाया।

रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया की ये बात गौर करने की है कि हमारे क्षेत्र में खतरा बढ़ता जा रहा है, पड़ोसी देश के जरिए आतंकियों के खतरे को बढ़ाया जा रहा है तो वही साइबर स्पेस के चलते भी हमें नई चुनौतियां देखने को मिल रही हैं। वायुसेना हर मोर्चे पर अपने आप को तैयार कर रही है, साथ ही बॉर्डर पर पैनी निगाहें बनाई हुई है।

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वायुसेना प्रमुख ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों ने हमें और ताकतवर तैयारी करने के लिए सजग किया है। वायुसेना लगातार अपने बेड़े में नए विमानों को शामिल कर रही है, अपाचे और राफेल इसका ही उदाहरण हैं। कई पुराने एयरक्राफ्ट का अपग्रेडेशन भी किया जा रहा है।

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सेना की क्षमताओं पर भरोसा

भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने हाल ही में अपने जवानों को युद्ध-लड़ने की क्षमताओं को तेज करने के लिए मरम्मत इकाइयों, रखरखाव, पुजरें संबंधी और ऑप-लॉजिस्टिक्स के महत्वपूर्ण मुद्दों पर जोर दिया।

उन्होंने साइबर-सुरक्षा, आतंकवादी हमलों के खिलाफ सुरक्षा बल, असममित युद्ध के पहलुओं को भी दोहराया और सभी कर्मियों को उच्चतम स्तर की सतर्कता बनाए रखने के लिए प्रेरित किया है।

उन्होंने कोविड-19 की साथ ही अन्य चुनौतियों के बावजूद, पिछले महीनों में चरम युद्ध-तत्परता और संचालन के उच्च गति को बनाए रखने के लिए लड़ाकों की सराहना की। कुल मिलाकर देश की सुरक्षा को लेकर हमें सेना की क्षमताओं पर भरोसा करना चाहिए। और उसके साथ सहयोग करना चाहिए।

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रिपोर्ट- रामकृष्ण वाजपेयी

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