जलवायु परिवर्तन बिगाड़ रहा देश की सूरत, करोड़ों लोगों का जीवन दांव पर
रिपोर्ट में चौंका देने वाली बात यह है कि पहले जिन जिलों में बाढ़ आती थी, अब वहां सूखा पड़ रहा है। इसी तरह जो जिले पहले सूखा ग्रस्त थे अब वो बाढ़ की समस्या से त्रस्त हैं। शोध में पिछले 50 सालों (1970-2019) में भारत में बाढ़, सूखा, तूफान जैसी मौसमीय आपदाओं का विश्लेषण किया गया है।
रामकृष्ण वाजपेयी
लखनऊ: तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन में भारत को सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देशों में पांचवें स्थान पर रखा गया है और एक चौंकाने वाली जानकारी के मुताबिक देश में बाढ़ पीड़ित इलाके तेजी से सूखा प्रभावित इलाकों में तब्दील हो रहे हैं।
क्लाइमेट चेंज से भारत को सबसे अधिक खतरा
कुछ साल पहले एचएसबीसी ने दुनिया की 67 अर्थव्यवस्थाओं पर जलवायु परिवर्तन के खतरे का आकलन किया था, जिसमें कहा गया था कि क्लाइमेट चेंज की वजह से भारत को सबसे अधिक खतरा है। जलवायु परिवर्तन के हिसाब से भारत विश्व का पांचवां सबसे संवेदनशील देश है।
इसके अलावा काउंसिल ऑन एनर्जी, एन्वायर्नमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) की शोध के मुताबिक भी देश में 75 फीसदी से ज्यादा जिलों पर जलवायु परिवर्तन का खतरा मंडरा रहा है। इन जिलों में देश के करीब 63.8 करोड़ लोग बसते हैं।
भारत में बाढ़, सूखा, तूफान जैसी मौसमीय आपदायें
रिपोर्ट में चौंका देने वाली बात यह है कि पहले जिन जिलों में बाढ़ आती थी, अब वहां सूखा पड़ रहा है। इसी तरह जो जिले पहले सूखा ग्रस्त थे अब वो बाढ़ की समस्या से त्रस्त हैं। शोध में पिछले 50 सालों (1970-2019) में भारत में बाढ़, सूखा, तूफान जैसी मौसमीय आपदाओं का विश्लेषण किया गया है। आपदाओं के पैटर्न के साथ-साथ कितनी बार ये आपदाएं आई हैं, यह भी देखा गया और उनके प्रभावों का अध्ययन किया गया।
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वर्ष 2005 के बाद से 55 से भी ज्यादा जिलों में बाढ़ आई। करीब 9.75 करोड़ लोग प्रभावित। 2010-19 में असम के 6 जिलों सहित 8 जिले सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित रहे। 24 जिलों पर चक्रवातों की मार पड़ी, करीब 4.25 करोड़ प्रभावित।
रिपोर्ट के अनुसार 1970 से 2005 के बीच जहां सूखे और बाढ़ जैसी 250 घटनाएं दर्ज की गई थीं, वहीं 2005 से 2019 के बीच उनमें बड़ी तेजी से वृद्धि हुई है। इस अवधि में इनकी संख्या बढ़कर 310 हो गई हैं।
2005 में 69 जिलों में बाढ़ का कहर था
2005 में केवल 69 जिलों में बाढ़ का कहर था लेकिन 2019 में यह बढ़कर 151 जिलों में फ़ैल गया। इसके साथ ही भूस्खलन, भारी बारिश, ओला वृष्टि और बादल फटने जैसी घटनाओं में भी 1970 के बाद से करीब 12 गुनी वृद्धि हुई है।
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इसी तरह देश का 68 फीसदी हिस्सा सूखे की चपेट में है। सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद पिछले 15 सालों में सूखाग्रस्त एरिया लगातार बढ़ रहा है। देश के करीब 79 जिले इससे प्रभावित हैं और 14 करोड़ की आबादी चपेट में है। सूखाग्रस्त जिलों की संख्या में 13 गुना वृद्धि हुई है। कुल मिलाकर जलवायु परिवर्तन का वर्तमान फेज भारत के लिए बड़ी परेशानी का सबब बन सकता है।
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