Bihar Politics: नम्बर गेम में तो नीतीश-भाजपा ही आगे
Bihar Politics: बिहार विधानसभा में लालू यादव की राजद सबसे बड़ी पार्टी है। बिहार विधानसभा में कुल 243 सदस्य हैं। बिहार में सरकार बनाने के लिए किसी भी राजनीतिक दल को कुल 243 सीटों में से 122 (आधी) सीटों की जरूरत होती है।
Bihar Politics: जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय जनता दल से नाता तोड़ने और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में लौटने की अटकलों के बीच बिहार में महागठबंधन के भविष्य पर अनिश्चितता मंडरा रही है। नीतीश कुमार किसी भी वक्त इस्तीफा दे सकते हैं और भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन करके बिहार में सरकार बनाने के लिए तैयार हैं। इन हालातों के बीच बिहार की विधानसभा में किसकी क्या स्थिति है, जानते हैं इसके बारे में।
लालू की पार्टी सबसे बड़ी
फिलहाल, बिहार विधानसभा में लालू यादव की राजद सबसे बड़ी पार्टी है। बिहार विधानसभा में कुल 243 सदस्य हैं। बिहार में सरकार बनाने के लिए किसी भी राजनीतिक दल को कुल 243 सीटों में से 122 (आधी) सीटों की जरूरत होती है। बिहार में महागठबंधन के पास कुल 159 विधायक हैं।।राजद के पास 79 विधायक हैं। वहीं जेडीयू के पास 45 विधायक हैं।
- बीजेपी के पास 78 विधायक हैं।
- सीपीआई (एम-एल) (एल) के पास 12 विधायक हैं।
- कांग्रेस के पास 19 विधायक हैं।
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- 'हम' के 4 विधायक हैं।
- असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम के पास 1 विधायक है।
- सीपीआई (एम) के 2 विधायक हैं।
- सीपीआई के 2 विधायक हैं।
- सदन में एक निर्दलीय विधायक है।
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जद(यू) हट जाए तो क्या होगा?
विधानसभा में नीतीश कुमार की जदयू के 45 विधायक हैं। वह भाजपा के साथ गठबंधन में सरकार बना सकती है, जिसके 78 विधायक हैं। दोनों दलों के पास कुल मिलाकर 123 विधायक होंगे, जो सरकार बनाने के लिए आवश्यक आधे-अधूरे निशान से सिर्फ एक अधिक है। जुलाई 2023 में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) भी एनडीए में शामिल हो गया तहस जिससे नीतीश कुमार के लिए काम आसान हो गया।
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अगर राजद के साथ जद (यू) रिश्ता तोड़ देता है और राजद वाम दलों के साथ गठबंधन में सरकार के लिए दावा पेश करने की योजना बनाता है, तो गठबंधन को राज्य में सत्ता में आने के लिए आठ और विधायकों की आवश्यकता होगी। जेडी (यू) के बिना, लालू की पार्टी राजद, वाम दलों के साथ 114 के निशान तक पहुंचती है जो आधे के आंकड़े से आठ कम है।
गुणा गणित के हिसाब से नीतीश और भाजपा का रिश्ता ही सरकार बनाता दिखता है। अब आगे क्या रिश्ते बनते हैं वह देखने वाली बात होगी। बिहार की राजनीति में फिर एक नया अध्याय जुड़ेगा।