उद्धव सरकार व गवर्नर में और बढ़ा टकराव, इस प्रकरण ने डाला आग में घी

राज्यपाल और महाराष्ट्र सरकार के रिश्ते पहले से ही सहज नहीं हैं और इस घटना ने टकराव और बढ़ा दिया है। इस मामले की जानकारी सामने आने के बाद राज्य में मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने इसे लेकर राज्य सरकार पर बड़ा हमला बोला है।

Update:2021-02-12 09:46 IST
उद्धव सरकार व गवर्नर में और बढ़ा टकराव, इस प्रकरण ने डाला आग में घी (PC: social media)

नई दिल्ली: महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और उद्धव सरकार के बीच एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है। राज्यपाल कोश्यारी सरकारी विमान से मुंबई से उत्तराखंड जाना चाहते थे मगर सरकार ने उन्हें सरकारी विमान मुहैया कराने से इनकार कर दिया।

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राज्यपाल और महाराष्ट्र सरकार के रिश्ते पहले से ही सहज नहीं हैं और इस घटना ने टकराव और बढ़ा दिया है। इस मामले की जानकारी सामने आने के बाद राज्य में मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने इसे लेकर राज्य सरकार पर बड़ा हमला बोला है।

दूसरी ओर राज्य सरकार ने पूरे मामले से पल्ला झाड़ते हुए इस मामले में राजभवन के अफसरों की ही गलती बताई है। वैसे यह पहला मौका नहीं है जब राज्यपाल और सरकार के बीच टकराव पैदा हुआ है। पहले भी कई मौके ऐसे आए जब राज्यपाल और उद्धव प्रकार के बीच टकराव के हालात बने हैं।

विमान में बैठकर उतरना पड़ा

वैसे तो राज्यपाल और उद्धव सरकार के रिश्ते काफी दिनों से सहज नहीं चल रहे हैं मगर शुक्रवार की घटना ने आग में घी डालने का काम किया है। शुक्रवार को उस समय राज्यपाल के लिए काफी अपमानजनक स्थिति पैदा हो गई जब उन्हें सरकारी विमान में बैठने के बाद उतरना पड़ा। दरअसल राज्यपाल को मसूरी स्थित लालबहादुर शास्त्री एकेडमी के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए उत्तराखंड जाना था। यात्रा के लिए राज्यपाल गुरुवार को सुबह दस बजे मुंबई के छत्रपति शिवाजी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचे और विमान में बैठ गए।

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पायलट ने दी अनुमति न होने की जानकारी

करीब 15 मिनट तक विमान न चलने पर जब उन्होंने पायलट से इसका कारण पूछा तो उसने जानकारी दी कि विमान को उड़ाने के संबंध में राज्य सरकार की मंजूरी नहीं मिली है। इस बात की जानकारी मिलने के बाद राज्यपाल विमान से उतर गए और उनके लिए आनन-फानन में कॉमर्शियल एयरक्राफ्ट में टिकट की बुकिंग की गई। बाद में वे दूसरे विमान से 12:15 बजे मुंबई से देहरादून रवाना हुए।

राजभवन व राज्य सरकार में खिंचीं तलवारें

इस घटना के बाद राज्यपाल और राज सरकार के बीच खींचतान शुरू हो गई है और दोनों एक दूसरे को दोषी ठहराया जा रहा है। राज्यपाल सचिवालय का कहना है कि महाराष्ट्र सरकार को 2 फरवरी को चिट्ठी लिखकर सरकारी विमान के इस्तेमाल की अनुमति मांगी गई थी।

इस बारे में मुख्यमंत्री को भी सूचना दी गई थी। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से इस चिट्ठी का कोई जवाब नहीं दिया गया और ऐसे में राज्यपाल एयरपोर्ट पर पहुंचकर विमान में बैठ गए।

राजभवन को ही ठहराया दोषी

दूसरी ओर राज्यपाल के अपमान का मामला गरमा जाने के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बयान जारी कर राजभवन के अधिकारियों को ही दोषी ठहराया गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय का कहना है कि राजभवन के अधिकारियों को पहले ही इस बात की पड़ताल कर लेनी चाहिए थी कि विमान के इस्तेमाल की अनुमति मिली है या नहीं।

मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से 10 फरवरी को ही राज्यपाल सचिवालय को विमान का इस्तेमाल करने की अनुमति न होने की जानकारी दी गई थी। इसके बावजूद राज्यपाल को उड़ान भरने की जगह पर ले जाया गया। मुख्यमंत्री सचिवालय ने इस बाबत लापरवाही बरतने वाले राजभवन के अफसरों की जवाबदेही तय करने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने की भी मांग की है।

सियासी तौर पर मामला गरमाया

अब यह मामला सियासी तौर पर भी काफी गरमा चुका है। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल के साथ हुई इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि यह महाराष्ट्र के इतिहास में काला अध्याय है।

उन्होंने कहा कि राज्यपाल कोई सामान्य व्यक्ति नहीं है और महाविकास अघाड़ी सरकार अहंकार में डूबी हुई है। यह बात समझ से परे है कि उद्धव सरकार ने इतना ईगो क्यों पाल रखा है।

राज्यपाल पद की गरिमा बनाए रखें

एक अन्य नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि आज तो राज्यपाल को विमान से उतारा गया है मगर आने वाले समय में महाराष्ट्र के लोग उद्धव सरकार को सत्ता से बेदखल कर देंगे।

उन्होंने कहा कि उद्धव सरकार को इस बाबत राज्यपाल से माफी मांगनी चाहिए। उद्धव सरकार ने राज्यपाल से बदला लेने के लिए यह सबकुछ किया है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल एक संवैधानिक पद है और राज्य सरकार को उस पद की गरिमा बनाए रखनी चाहिए।

शिवसेना ने उल्टे राजभवन को घेरा

भाजपा की ओर से उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए संजय राउत ने राज्यपाल की ओर से एमएलसी के 12 नामों को मंजूरी न देने का मामला उठाया है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल का विमान से उतरना तो अपमानजनक लगता है, लेकिन कैबिनेट से प्रस्तावित नामों को मंजूरी न देना भी अपमान है, यह बात भी समझनी होगी।

वही उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मामले में सफाई देते हुए कहा कि वह इस मामले में पूरी जानकारी लेंगे। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के साथ ऐसी घटना कैसे हुई, इस बाबत संबंधित विभाग के अधिकारियों से पूछा जाएगा।

धार्मिक स्थलों को खोलने पर टकराव

वैसे यह पहला मामला नहीं है जब राज्यपाल और उद्धव सरकार के बीच टकराव पैदा हुआ है। पहले भी दोनों के बीच विभिन्न मुद्दों को लेकर मनमुटाव होता रहा है। लॉकडाउन में धार्मिक स्थलों को फिर से खोलने के मुद्दे पर दोनों के बीच मनमुटाव हुआ था।

राज्यपाल ने धार्मिक स्थलों को न खोलने पर सवाल उठाए थे। तब राज्यपाल के पत्र का सरकार ने कड़ा जवाब दिया था। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा था कि मुझे राजभवन से सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है।

टकराव का सबसे बड़ा मुद्दा

उद्धव सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव का एक बड़ा मुद्दा विधानपरिषद सदस्यों के मनोनयन का है। सरकार की ओर से मनोनयन के लिए 12 नाम काफी पहले राजभवन को भेजे जा चुके हैं मगर राज्यपाल की ओर से अभी तक इन नामों को मंजूरी नहीं दी गई है।

शिवसेना सांसद संजय राउत ने यह मामला एक बार फिर उठाया है। इस मुद्दे को लेकर उद्धव सरकार राज्यपाल से इतना नाराज है कि अब वह कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है। राज्यपाल कोटे की एमएलसी सीटों पर खेल, कला, विज्ञान, साहित्य व शिक्षा आदि विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े विद्वानों को मनोनीत किया जाता है।

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राज्यपाल ने नहीं दी थी मंजूरी

महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने कोरोना महामारी के दौरान दो बार राज्यपाल कोटे से उद्धव ठाकरे को विधानपरिषद में मनोनीत करने की सिफारिश की थी मगर उस सिफारिश को भी राज्यपाल कोश्यारी ने मंजूरी नहीं दी थी।

इसे लेकर भी महाराष्ट्र सरकार और राजभवन के बीच टकराव पैदा हुआ था। अब विमान प्रकरण ने उद्धव सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव की आग को एक बार फिर प्रचंड कर दिया है।

रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी

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