बड़ी लापरवाहीः अस्पताल की इस गलती से चल बसा कोरोना मरीज

दिल्ली सरकार की ओऱ से कोरोना पेशेंट के लिए बेड़ की उपलब्धता के बारे में दावा किया जाना वास्तविकता से परे है। यहां पर कुछ दिनों में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जहां पर अस्पताल में रिजर्व बेड उपलब्ध ना हो पाने के चलते कई लोगों को जान गंवानी पड़ी।

Update:2020-06-05 13:36 IST

नई दिल्ली: तमाम प्रयासों के बाद भी देश में तेजी से कोरोना का संक्रमण फैलता जा रहा है। वहीं राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली भी इस महामारी से बुरी तरह से प्रभावित हुई है। दिल्ली सरकार की ओऱ से कोरोना पेशेंट के लिए बेड़ की उपलब्धता के बारे में दावा किया जाना वास्तविकता से परे है। यहां पर कुछ दिनों में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जहां पर अस्पताल में रिजर्व बेड उपलब्ध ना हो पाने के चलते कई लोगों को जान गंवानी पड़ी।

अस्पताल की लापरवाही से गई जान

इस बीच राजधानी से एक और ऐसा ही सामने आया है। जहां अस्पताल की लापरवाही के चलते दिल्ली के ग्रेटर कैलाश के एक 67 वर्षीय कोरोना मरीज की जान चली गई। मंगलवार को मृतक की बेटी ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को ट्वीट करते हुए अपने पिता के लिए मदद मांगी, लेकिन हेल्पलाइन से किसी तरह का जवाब नहीं मिला।

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हालांकि ट्विटर पर उनकी मदद करने का भरोसा जताया गया और AAP विधायक दिलीप पांडे ने इस मामले का तत्काल संज्ञान भी लिया।

26 मई को आया था बुखार

मृतक के दामाद ने एक समाचार चैनल से बताया कि उनके ससुर को 26 मई को 100 डिग्री के आसपास बुखार आया, जिसके बाद 29 मई को ऑनलाइन एक डॉक्टर के साथ परामर्श लिया। डॉक्टर ने तीन दिन की दवा दीं। 31 मई को मरीज को लेकर गंगा राम अस्पताल ले जाया गया और वहां एक्सरे कराने के बाद उनकी छाती में संक्रमण पाया गया।

परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर खड़े किए सवाल

दामाद ने बताया कि उन्होंने कोरोना वायरस टेस्टिंग के लिए भी ब्लड सैंपल लिया और कहा कि जब तक टेस्ट रिपोर्ट ना आ जाए तब तक अस्पताल ना जाए। उन्होंने अस्पताल प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि हमने इस प्रोसेस के लिए तीन और घंटे तक इंतजार किया। उन्होंने कहा कि उस दिन भारी बारिश हो रही थी और हम सभी भीग गए थे, क्योंकि वेटिंग एरिया में सफाई की अच्छी व्यवस्था नहीं थी।

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अस्तालों ने मरीज को एडमिट करने से किया मना

एक जून को रिपोर्ट आने के बाद परिजनों ने मैक्स, अपोलो, एम्स, सफदरजंग के अलावा कई अन्य जगहों पर भी कोरोना मरीज को भर्ती कराने के लिए तलाश की लेकिन उन्हें कोई जगह नहीं मिली। अस्पताल ना तो मरीज को देखने के लिए तैयार थे और ना ही प्रीस्क्रीप्शन देने के लिए जिसके बाद परिजन एक डॉक्टर के रेफरल पर ही मरीज को दवाइयां देने लगे।

तीन जून को मरीज का तापमान 102 डिग्री तक पहुंचने के बाद परिजनों ने बुजुर्ग मरीज को अस्पताल ले जाने और प्रोफेशनल प्रीस्क्रीप्शन के जरिए इमरजेंसी लाइन में खड़े होने का फैसला लिया। दवा देने के बाद चार जून को तापमान 98 डिग्री तक आया।

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कई प्रयासों के बाद परिजनों में दिल्ली हेल्पलाइन की सलाह के बाद मरीज को एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराने का फैसला किया, लेकिन डॉक्टरों मे उन्हें भर्ती करने से यह कह कर मना कर दिया कि मरीज गंगा राम अस्पताल से संबंधित है। इस दौरान मरीज कार में ही बैठे थे।

बेटी ने ट्वीट पर लगाई मदद की गुहार

गुरुवार को मरीज की बेटी अमरप्रीत ने फिर से ट्विटर पर मदद मांगी। उन्होंने ट्वीट किया कि 'मेरे पिता को तेज बुखार है। हमें उन्हें अस्पताल में शिफ्ट करने की आवश्यकता है। मैं LNJP के बाहर खड़ी हूं और उन्हें अंदर नहीं लिया जा रहा है।

इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर लोग भड़क उठे और दिल्ली सरकार के कोरोना से लड़ने के इंतजाम पर सवाल उठाने लगे। मरीज के दामाद मनदीप ने बताया कि अस्पताल द्वारा भर्ती से इनकार करने के बाद जैसे ही हम अपनी कार में पहुंचे तो मेरे ससुर दिल का दौरा पड़ने से बेहोश हो गए।

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मरीज की हो गई मौत

उनका इलाज करने के लिए हमने डॉक्टरों से बहुत विनती की, लेकिन वे बस यही कहते रहे कि मरीज गंगा राम अस्पताल का है। परिजनों ने हाथ पैर तक छुए लेकिन तभी डॉक्टरों ने उन्हें देखने से इनकार कर दिया। डॉक्टर दस मिनट के बाद लौटा और मरीज को ऑक्सीजन लगा दिया। लेकिन 15 मिनट बाद ही मरीज की मौत हो गई।

वहीं इस पूरे मामले में LNJP ने एक बयान जारी किया कि, मरीज को मृत अवस्था में अस्पताल लाया गया था और डॉक्टरों ने उनके आते ही तुरंत देखना शुरू कर दिया था। अस्पताल प्रशासन ने किसी को मना नहीं किया था।

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