वैक्सीन की बर्बादीः लोग कम आ रहे तो दे दिया जाए दूसरों को डोज

वैक्सीनेशन की काफी धीमी है। अभी तक भारतीय आबादी के एक फीसदी से भी कम लोगों का टीकाकरण हुआ है और इस दर से पूरी आबादी के टीकाकरण में बरसों लग जाएंगे।

Update:2021-03-18 18:12 IST
वैक्सीन की बर्बादीः लोगों कम आ रहे तो दे दिया जाए दूसरों को डोज

नीलमणि लाल

नई दिल्ली: कोरोना की दूसरी लहर और वैक्सीनेशन के धीमी रफ़्तार, दोनों ही चिंताजनक है। देश में वैक्सीनेशन अभियान तेजी से चलाया जा रहा है लेकिन लोगों में उत्साह आशा के अनुरूप नहीं दिखाई दे रहा है। ऐसे में वैक्सीन बर्बाद भी हो रही हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी वैक्सीन की बर्बादी पर गहरी चिंता जताई है। कोरोना को कंट्रोल करने के लिए जरूरी है कि अधिकाधिक लोगों को वैक्सीन लग जाए ताकि एक तरह की हर्ड इम्यूनिटी डेवलप हो सके। देश में सरकारी अस्पतालों में कोरोना की वैक्सीन मुफ्त में लगाई जा रही है। प्राइवेट अस्पतालों में कम ही दर पर वैक्सीन लग रही हैं लेकिन लोग कम संख्या में पहुंच रहे हैं।

धीमी गति पर चिंता

वैक्सीनेशन की रफ़्तार भी काफी धीमी है। इस पर गृह मामलों की संसद की स्थायी समिति ने भी चिंता जताई है और कहा कि इस दर से पूरी आबादी का टीकाकरण करने में कई साल लग जाएंगे। राज्यसभा में पेश गृह मंत्रालय की अनुदान की मांग संबंधी रिपोर्ट पर समिति ने यह भी चिंता जताई कि काफी संख्या में लोगों को टीका की दूसरी खुराक नहीं लग पा रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी तक भारतीय आबादी के एक फीसदी से भी कम लोगों का टीकाकरण हुआ है और इस दर से पूरी आबादी के टीकाकरण में बरसों लग जाएंगे।

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कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि उसे लगता है कि यह बहुत गंभीर मुद्दा है कि काफी संख्या में लोगों को टीके की दूसरी खुराक नहीं लग पा रही है, जबकि दुनिया के विभिन्न हिस्से में कोविड-19 के नए प्रकार सामने आ रहे हैं। ऐसे में अधिक से अधिक लोगों को जितना जल्दी संभव हो कवर करने का प्रयास किया जाना चाहिए।

(फोटो- सोशल मीडिया)

सरकार की कोशिश

सरकार की कोशिश है कि तेजी के साथ अधिक से अधिक लोगों को कोरोना का टीका लगवाया जाए। अब तक पूरे देशभर में 2.5 करोड़ से अधिक लोगों को कोराना का टीका लगाया जा चुका है। दूसरे चरण के बाद सरकार की योजना है कि 50 वर्ष वालों को अगले चरण में शामिल किया जाएगा। दूसरे देशों में कोराना का टीका लगाए जाने के मामले में भारत दूसरे देशों से कहीं आगे है। देशभर में 16 जनवरी से कोरोना वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत हुई थी।

अनुमानतः अब एक दिन में 20 लाख से अधिक लोगों को टीका लगाया जा रहा है। देश में 90 करोड़ के करीब मतदाता हैं। मतदाताओं की संख्या के हिसाब से देखा जाए तो 90 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने में तकरीबन एक साल से अधिक का वक्त लगेगा। अभी तक मौजूद आंकड़ों के हिसाब से कोरोना का टीका लगाए जाने वाले लोगों लोगों में वो लोग भी शामिल हैं जिन्हें दूसरी डोज दी जा रही है। इस लिहाज से 450 दिनों से अधिक का वक्त लगेगा।

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बाकी देशों की स्थिति

भारत आबादी के लिहाज से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। अमेरिका में अब तक 9 करोड़ लोगों को टीका लगाया जा चुका है। चीन में अब तक 5 करोड़ से अधिक लोगों को टीका लगाया जा चुका है। उसके बाद ब्रिटेन और भारत का नंबर है। इन दोनों ही देशों में 2.5 करोड़ लोगों को टीका लगाया जा चुका है। इसके बाद ब्राजील और तुर्की का नाम आता है।

(फोटो- सोशल मीडिया)

बच्चों के लिए टीका

कोरोना वैक्सीनेशन अभियान में अभी 60 साल से ऊपर वालों को और गंभीर बीमारी से ग्रसित 50 के ऊपर के लोगों को कोरोना का टीका लग रहा है। इसके बाद के चरण में दूसरे लोगों को टीका लगाए जाने की योजना है। जल्दी ही बच्चों के लिए कोरोना का टीका भी जल्द आने की उम्मीद है। बच्चों के लिए कंपनियां कोरोना का टीका बनाने में जुटी हैं और इसको लेकर ट्रायल भी शुरू है। ट्रायल के नतीजे जून- जुलाई तक आने की उम्मीद है।

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आस्ट्रा ज़ेनेका का टीका

यूरोप के कई देशों में ऑक्सफ़ोर्ड-आस्ट्राज़ेनेका के टीके पर रोक लगी है। इसकी वजह कई लोगों में गंभीर साइड इफ़ेक्ट होना है। भारत में यही टीका सीरुम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया बना है जिसे कोविशील्ड नाम से लांच लिया गया है। ऐसे में लोगों के मन में शंकाएं उठना लाजिमी है। बता दें कि विश्वा स्वास्थ्य संगठन के साथ ही कई देशों में रेगुलेटर्स ने कहा है कि लोगों को टीका लगवाना चाहिए। टीके लगवाने के फायदे संभावित नुकसान से कहीं ज्यादा हैं। अब भी जांच चल रही है, डेटा का विश्लेषण करने के बाद ही कुछ ठोस कहा जा सकेगा।

डब्लूएचओ की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि हम लोगों में घबराहट पैदा नहीं होने देना चाहते। हम सभी देशों से आग्रह करते हैं कि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के डोज को लगाते रहें। अब तक हमें लोगों में बीमारी होने और वैक्सीन में कोई संबंध नहीं मिला है।

भारत में केंद्र सरकार ने साफ कहा है कि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को रोकने का कोई सवाल ही नहीं उठता। भारत में कोवीशील्ड वैक्सीन को लेकर ब्लड क्लॉटिंग की कोई समस्या अब तक सामने नहीं आई है।

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