वैक्सीन के बाद बीमार: भारत में दिखा पहला मामला, दो महिलाओं की तबियत बिगड़ी

वैक्सीन के साइड इफेक्ट पर शंका के बीच गुरुग्राम में टीकाकरण में शामिल दो महिलाओं की तबियत बिगड़ गयी। एक आंगनबाड़ी कार्यकत्री है और दूसरी आशा कार्यकर्ता।

Update: 2021-01-16 13:20 GMT

चंडीगढ़: भारत में आज से कोरोना वैक्सीन लगना शुरू हो गयी। देश के इस सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को लेकर लोगों में उत्सुकता दिखी, तो वैक्सीन के साइड इफेक्ट को लेकर शंका भी नजर आई। इसी कड़ी में खबर आ रही है कि गुरुग्राम में टीकाकरण में शामिल हुईं दो महिलाओं की तबियत बिगड़ गयी है। एक आंगनबाड़ी कार्यकत्री है तो दूसरी आशा कार्यकर्ता।

गुरुग्राम में टीका लगवाने के बाद 2 महिलाओं की तबीयत बिगड़ी

दरअसल पहले चरण के वैक्सीनेशन में फ्रंट लाइन कोरोना वारियर्स का टीकाकरण हुआ। इसमें गुरुग्राम की आगनबाड़ी और आशा बहुओं को टीका लगा। हालंकि टीका लगने के बाद इस तरह की जानकारी मिली कि उनकी तबियत बिगड़ी गयी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आनंदलता का ब्लड प्रेशर बढ़ने से सांस लेने में दिक्कत होने लगी। जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें ऑब्जर्वेशन में रखा। डॉक्टरों की टीम की देखरेख में दवाई दिए जाने के डेढ़ घंटे के बाद उनकी तबीयत ठीक हुई। इसके अलावा आशा कार्यकर्ता को भी बेचैनी होने लगी हालंकि दवाई देने के बाद उनकी हालत भी सामान्य हो गयी।

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आगनबाड़ी और आशा बहु पर दिखा कोवैक्सीन का दुष्प्रभाव

बताया जा रहा है कि दोनों महिलाओं को 'कोवैक्सीन' लगाई गई थी। गुरुग्राम में 6 केंद्रों पर टीकाकरण अभियान चल रहा है। जिसके में 5 केंद्रों पर कोविशील्ड वैक्सीन लगाई गयी, वहीं चौमा स्थित डीपीएसजी स्कूल में 'कोवैक्सीन' का टीका लगाया गया। वैक्सीनेशन से पहले स्वास्थ्यकर्मियों से सहमति पत्र भरवाया गया है।

कोविशील्ड और कोवैक्सीन

गौरतलब है कि भारत में दो तरह की वैक्सीन दी जा रही है। एक है सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड की कोविशील्ड और दूसरी भारत बायोटेक की स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन है। इन दोनों को भारत के औषधि नियामक की ओर से मंजूरी दी गई थी। केंद्र के निर्देश के मुताबिक, वैक्सीन के दो डोज लेने अनिवार्य हैं और पहला डोज जिस भी वैक्सीन का होगा, दूसरा डोज भी उसी वैक्सीन का होना जरुरी हैं। वैक्सीन में इंटर चेंज नहीं होगा। इसके अलावा इस तरह की खबर आ रही है कि कोविशील्ड को लेकर लोगों में डर कम हैं, जबकि कोवैक्सीन पर शंकाएं बनी हुई है।

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