कोरोना होगा छू मंतर: ये बनाएगी दवा, वैक्सीन बनाने का जबरदस्त इतिहास
साल 1998 में भारत बायोटेक ने दुनिया की पहली सीजियम क्लोराइड फ्री हेपेटाइटिस B की वैक्सीन बनाई। इसे डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने लॉन्च किया था। अगले साल तक कंपनी ने वह वैक्सीन बनाने की क्षमता 100 मिलियन कर ली। भारत बायोटेक ने 2006 में कंपनी ने रेबीज की वैक्सीन बनाई।
नई दिल्ली: भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड यह हैदराबाद में स्थित उस कंपनी का नाम है जो भारत के लिए कोरोना की वैक्सीन बना रही है। यह काम BBIL और ICMR मिलकर कोरोना वायरस का टीका बना रहे हैं। भारत बायोटेक को पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरलॉजी में आइसोलेट कर रखा गया वायरस का एक स्ट्रेन भी ट्रांसफर किया गया है। वैक्सीन डेवलपमेंट में BBIL को ICMR-NIV से पूरा सहयोग मिलेगा। यानी यह वैक्सीन पूरी तरह से भारत में बनेगी।
भारतीय वैज्ञानिक डॉ. कृष्णा ऐल्ला ने भारत बायोटेक की नींव रखी
बता दें कि भारत बायोटेक का प्लांट, एशिया-पैसिफिक के सबसे बड़े फार्मास्यूटिकल मैनुफैक्चरिंग प्लांट्स में से एक है। साल 1996 में भारतीय वैज्ञानिक डॉ. कृष्णा ऐल्ला ने भारत बायोटेक की नींव रखी थी। वो अमेरिका से ये इरादा लेकर लौटे थे कि भारत में इनोवेटिव वैक्सीन्स बनाएंगे। वही इसके चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। वैक्सीन बनाना भारत बायोटेक की खासियत है। कंपनी अब तक 160 से ज्यादा पेटेंट करा चुकी है। BBIL कोरियन फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (KFDA) से ऑडिट और अप्रूव्ड होने वाली देश की पहली कंपनी है।
पहले कब-कब बनाई वैक्सीन
साल 1998 में भारत बायोटेक ने दुनिया की पहली सीजियम क्लोराइड फ्री हेपेटाइटिस B की वैक्सीन बनाई। इसे डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने लॉन्च किया था। अगले साल तक कंपनी ने वह वैक्सीन बनाने की क्षमता 100 मिलियन कर ली। भारत बायोटेक ने 2006 में कंपनी ने रेबीज की वैक्सीन बनाई। तब Rabirix नाम से लॉन्च वह क्रोमॅटोग्रैफिकली प्यूरिफाइड वैक्सीन अब INDIRAB हो गई है।
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इन बीमारियों के लिए बना चुका है टीका
2007 में कंपनी ने इन्फ्लुएंजा टाइप B के लिए वैक्सीन बनाई। वह इस बीमारी के लिए भारत में बनी पहली वैक्सीन थी। 2009 में भारत बायोटेक ने पेंटावेलेंट कॉम्बिनेशन वैक्सीन बनाई। इसे COMVAC 5 के नाम से लॉन्च किया गया। इसमें पहले से भरी हुई पांच सीरिंज थीं। ये डिप्थीरिया, टिटनस, परट्यूसिस, हेपेटाइटिस B और हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप B नाम की 5 बीमारियों के टीके हैं। यह कंपनी का बेस्ट-सेलिंग प्रॉडक्ट है।
टायफाइड की प्रूवेन वैक्सीन Typbar TCV लॉन्च की
2010 में कंपनी ने H1N1 स्वाइन फ्लू वायरस के लिए भारत की पहली सेल कल्चर बेस्ड वैक्सीन तैयार की। BBIL ने 2013 में दुनिया की टायफाइड की पहली क्लिनिकली प्रूवेन वैक्सीन Typbar TCV लॉन्च की।
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मेक इन इंडिया के तहत ROTAVAC नाम की वैक्सीन रोटावायरस बनाई
साल 2014 में कंपनी ने जापानी इंसेफेलाइटिस के सभी स्ट्रेन्स की एक वैक्सीन JENVAC मार्केट में उतारी। अगले ही साल, भारत बायोटेक ने 'मेक इन इंडिया' के तहत पहली वैक्सीन बनाई। ROTAVAC नाम की वैक्सीन रोटावायरस के लिए बनाई गई थी। वैक्सीन को पीएम नरेंद्र मोदी ने लॉन्च किया था। भारत बायोटेक जीका वायरस वैक्सीन के लिए ग्लोबल पेटेंट फाइल करने वाली दुनिया की पहली कंपनी है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कंपनी को FICCI अवार्ड से नवाजा
कंपनी ने 2001 में भारत का पहला प्रोबॉयटिक यीस्ट BIOGIT पेश किया। यह कंपनी का पहला बायो-थिरेपॉटिक प्रॉडक्ट था। आंध्र प्रदेश के तत्कालीन सीएम चंद्रबाबू नायडू ने यह यीस्ट लॉन्च किया था। 2012 में भारत बायोटेक और यूनवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड को 4 मिलियन डॉलर मिले। यह रकम उन्हें iNTS की वैक्सीन बनाने के लिए दी गई थी। 2008 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कंपनी को FICCI अवार्ड से नवाजा था।
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बिल गेट्स और डॉ. कृष्णा ऐल्ला की मुलाकात
भारत बायोटेक को बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन से मदद मिलती रही है। 2002 में इस फांउडेशन से दो ग्रान्ट्स लेने वाली यह पहली भारतीय कंपनी थी। तब उसे मलेरिया और रोटावायरस की नई वैक्सीन बनाने का जिम्मा मिला था। साल 2011 में बिल गेट्स और डॉ. कृष्णा ऐल्ला की मुलाकात भी हुई थी।