हैदराबाद की इस लैब में पैदा किए जा रहे कोरोना वायरस, जानें क्या है वजह

कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए दुनिया भर में लगातार कोशिशें की जा रही हैं। इसी बीच हैदराबाद स्थित एक लैब में कोरोना वायरस को पैदा किया जा रहा है।

Update: 2020-05-01 03:59 GMT

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए दुनिया भर में लगातार कोशिशें की जा रही हैं। इसी बीच हैदराबाद स्थित एक लैब में कोरोना वायरस को पैदा किया जा रहा है। जी हां, दरअसल इस टेस्ट से वायरस के जीनोम स्ट्रक्टर को समझने की कोशिश की जा रही है। अगर वैज्ञानिक इसे सही ढंग से समझने में कामयाब हुए तो उम्मीद है कि कोरोना वायरस की दवा और टीका बनाने में आसानी और जल्दी दोनों हो सकती है। यह टेस्ट कोशिकीय और आणविक जीव विज्ञान केंद्र की लैब में किया जा रहा है।

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हैदराबाद के सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलीक्यूलर बायोलॉजी की स्थापना लगभग पांच दशक पहले की गयी थी। ये संस्थान देश की अहम रिसर्च लैब्स में से एक है। यहां वैज्ञानिक लगातार वायरस के प्रसार को रोकने के नए तरीके खोजने के लिए काम कर रहे हैं।

सीसीएमबी ने शुरू कर दी है जांच

कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए सीसीएमबी के निदेशक राकेश मिश्रा ने कहा कि घातक कोरोना वायरस के खात्मे के लिए किसी भी देश को दवा बनाने या टीका विकसित करने में कम से कम एक साल लग सकता है। इसलिए अभी एक-दूसरे से सामाजिक दूरी और स्वच्छता बनाए रखना ही इस विषाणु की चपेट में आने से बचने का एकमात्र तरीका है।

बड़ी संख्या में पैदा किया जा रहा वायरस

राकेश मिश्रा ने बताया कि हमने कोरोना वायरस पर रिसर्च शुरू कर दी है। प्रयोगशालाओं में इस वायरस को बड़ी संख्या में पैदा करने का काम शुरू हो गया है, जिससे कि हम इसे कोशिकाओं में इसकी वृद्धि का अध्ययन करने के लिए सीरम जांच के लिए इस्तेमाल कर सकें।

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उन्होंने यह भी कहा कि अभी तक ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है जो यह साबित कर सके कि भारत में कोरोना वायरस दुनिया के अन्य हिस्सों से अलग है या कमजोर है। उन्होंने देश और राज्यों में बड़े पैमाने पर टेस्टिंग की जांच की। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए करना जरूरी है क्योंकि ऐसे केस बड़ी संख्या में हैं जहां लक्षण दिखाई ही नहीं दे रहे।

लॉकडाउन बढ़ाए जाने का समर्थन

साथ ही उन्होंने लॉकडाउन को बढ़ाए जाने का भी समर्थन किया। उन्होंने कहा कि अगर हम सोशल डिस्टेंसिंग पर लॉकडाउन निर्देशों का पालन करते हैं तो हम जून के अंत तक स्थिति को काबू में होता देख सकते हैं।

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