कोरोनाः बिहार पहुंचे 50 हजार प्रवासियों ने लिया ये फैसला, मुसीबत में नीतीश सरकार
कोरोना वायरस से निपटने के लिए देश में लॉकडाउन किया गया है। इस बीच बिहार में सोमवार को 50 हजार प्रवासी अपने-अपने गांव पहुंच गए। अभ गांव के लोग बाहर से आने वालों को शंका की नजर से देखने लगे हैं।
पटना: कोरोना वायरस से निपटने के लिए देश में लॉकडाउन किया गया है। इस बीच बिहार में सोमवार को 50 हजार प्रवासी अपने-अपने गांव पहुंच गए। अभ गांव के लोग बाहर से आने वालों को शंका की नजर से देखने लगे हैं। अपनों को देख कर कभी लोग खुशी से स्वागत करते थे, लेकिन आज वो दृश्य दिखाई नहीं दे रहा।
बिहार सरकार ने बाहर से आने वालों को 14 दिन तक सीमा पर बने कैंप में रखने का फैसला किया था, लेकिन प्रवासियों के भारी हंगामे की वजह से ये फैसला वापस लेना पड़ा।
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इसके बाद नीतीश सरकार ने इनके लिए गांव के आसपास स्थित स्कूल में इन्हें आइसोलेट रखने का भी प्रयास किया, लेकिन इन्हें तो अपनों से मिलने की जल्दी थी। प्रवासी वहां रहने से इंकार कर दिए हैं। कुछ गांवों के जागरूक युवकों ने इस फैसले पर अमल जरूर करवाया है, लेकिन उनकी संख्या काफी कम है।
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अब गांव पहुंचे यह लोग बेरोकटोक इधर-उधर घूम रहे हैं। जागरूक लोग प्रशासन और मीडिया को इसकी जानकारी भी दे रहे हैं, लेकिन इसका कोई असर नहीं है। सरकार के बनाए आइसोलेशन सेंटर खाली पड़े हैं और जो बाहरी आए हैं, वो ये भूल रहे हैं कि इतनी भीड़ और इतना लंबा सफर तय करने के बाद कहीं वो अपने साथ कोरोना वायरस तो लेकर नहीं आए हैं।
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प्रदेश सरकार के मंत्री संजय झा ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस गंभीर स्थिति से निपटने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन कुछ राज्य सरकारों की गैर जिम्मेदाराना हरकत से आज बिहार मुसीबत में है। उन्होंने कहा कि अब इतनी संख्या में लोगों की जांच करवाना भी मुश्किल कार्य है, फिर भी सरकार कोशिश कर रही है। मंत्री ने कहा कि अगले 10 दिन बिहार के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं।