कोरोना संकट से 80 फीसदी भारतीयों की कमर टूटी, कमाई पर पड़ा इतना बुरा असर

देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजी रोजगार पर सबसे बुरा असर पड़ा है। हालांकि अभी तक देश में ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना का उतना कहर नहीं दिखा है जितना कि शहरी क्षेत्रों में।

Update:2020-05-16 10:30 IST

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। कोरोना से जंग जीतने के लिए घोषित लॉकडाउन ने देश के 80 फ़ीसदी से ज्यादा लोगों की कमर तोड़ दी है। लॉकडाउन के दौरान इन भारतीयों की कमाई पर काफी बुरा असर पड़ा है। इनमें काफी संख्या में तो ऐसे लोग हैं जिनका बिना सहायता के ज्यादा दिनों तक जीना भी मुश्किल हो जाएगा। ऐसे लोगों को आगे की जिंदगी पटरी पर लाने के लिए सरकारी मदद की दरकार है। सेंटर फॉर इंडियन इकोनामी (सीएमआईई) के एक सर्वे में यह खुलासा हुआ है। देश के 27 राज्यों में सर्वे के बाद सीएमआईई ने कुछ महत्वपूर्ण खुलासे किए हैं।

सीएमआईई के सर्वे का नतीजा

सीएमआईई ने इस सर्वे को करने के लिए देशभर के 5800 परिवारों से बात की है। शोधकर्ताओं का कहना है कि देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजी रोजगार पर सबसे बुरा असर पड़ा है। हालांकि अभी तक देश में ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना का उतना कहर नहीं दिखा है जितना कि शहरी क्षेत्रों में। फिर भी यहां के लोगों की रोजी-रोटी पर कोरोना संकट ने बड़ा असर डाला है। शोधकर्ताओं का कहना है कि देश की 130 करोड़ की आबादी में शामिल बड़े वर्ग की कोरोना संकट के कारण कमर टूट गई है।

कमाई प्रभावित होने से संकट गहराया

सर्वे के मुताबिक देश के 84 फ़ीसदी लोग महज 3801 रुपए तक की कमाई कर पाते हैं और ऐसे लोगों पर कोरोना संकट का बहुत गहरा असर पड़ा है। ऐसे लोगों के पास अपने आगे के जीवन के लिए कोई जमा पूंजी नहीं होती और लॉकडाउन के कारण उनकी कमाई प्रभावित होने से उनकी जिंदगी के लिए संकट खड़ा हो गया है। इस सर्वे के आंकड़ों का विश्लेषण यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर मारीन बर्टेड और सीएमआईई के मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक कृष्णन ने किया है।

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पांच राज्यों में सबसे बुरा असर

सर्वे में बताया गया है कि लॉकडाउन का सबसे बुरा असर देश के पांच राज्यों पर पड़ा है। यह राज्य हैं पूर्वोत्तर का त्रिपुरा और उत्तर भारतीय राज्य छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड और हरियाणा। इन राज्यों में प्रवासी मजदूरों की संख्या भी काफी ज्यादा है और उनके सामने कोरोना ने एक बड़ी मुसीबत खड़ा कर दी है।

34 फ़ीसदी परिवारों के सामने गहरी समस्या

सर्वे के दौरान जिन परिवारों से बातचीत की गई उनमें से 34 फीसदी परिवारों ने कहा कि वे बिना आर्थिक मदद के एक सप्ताह भी नहीं रह पाएंगे। शोधकर्ताओं का कहना है कि सर्वे से पता चला है कि ऊंचे वेतन वाले लोगों की आय में कम कमी दिखी क्योंकि इनमें से ज्यादातर लोगों के पास स्थायी नौकरी है। उनके सामने आगे की जिंदगी के लिए कोई संकट नहीं है। इसके साथ ही ऐसे लोग लॉकडाउन के दौरान भी घर से काम करने के विकल्प पर काम भी कर पा रहे हैं। कम आय वाले समूह में सिर्फ कृषि कार्य से जुड़े लोग और खानपान से जुड़े श्रमिकों को ही काम मिल पा रहा है।

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10 करोड़ से अधिक भारतीयों का रोजगार छीना

सीएमआईई और दूसरी संस्थानों के आंकड़ों के मुताबिक देश में 25 मार्च को लॉकडाउन के एलान के बाद काफी संख्या में लोगों का रोजगार खत्म हो गया है। एक अनुमान के मुताबिक करीब 10 करोड़ से अधिक भारतीयों का रोजगार छिन गया है।

इस कारण ऐसे लोगों के सामने अपनी आगे की जिंदगी को लेकर एक गंभीर समस्या खड़ी हो गई है। अगर दुनिया भर की बात की जाए तो कई देशों ने कोरोना संकट पर विजय पाने के लिए लॉकडाउन घोषित कर रखा है। इस कारण करीब 1.3 अरब लोगों की आमदनी प्रभावित हुई है।

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