कोरोना के हालात बद से बदतर हो रहे, अब वैक्सीन का सहारा

सरकार ने भी मान लिया है कि हालात बद से बदतर होते चले जा रहे हैं। तेजी से बढ़ता संक्रमण सबसे बड़ी चिंता का कारण है।

Update:2021-03-31 16:30 IST
कोरोना वैक्सीन लगवाती महिला (फोटो: सोशल मीडिया)

नीलमणि लाल

लखनऊ:देश के कई हिस्सों में कोरोना महामारी की दूसरी लहर है। अब तो केंद्र सरकार ने भी मान लिया है कि हालात बद से बदतर होते चले जा रहे हैं। तेजी से बढ़ता संक्रमण सबसे बड़ी चिंता का कारण है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों से आग्रह किया है कि जिन जिलों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं वहां 45 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों को दो हफ्ते के भीतर वैक्सीन लगाना सुनिश्चित करें। केंद्र सरकार ने कहा है कि कोरोना से हुई 90 फीसदी मौतें 45 वर्ष से ज्यादा के मरीजों की हुईं हैं। केंद्र ने साफ़ कहा है कि इस स्टेज में किसी भी तरह की ढिलाई की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। बता दें कि पिछले कुछ दिनों में कोरोना से होने वाली मौतों में चार गुणा की बढ़ोतरी हुई है।
बेहद शक्तिशाली है कोरोना वायरस
देश में बीते कई दिनों से सक्रिय मामलों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। कोरोना टॉस्कफोर्स की बैठक में नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने कहा है कि बढ़ते ट्रेंड से पता चलता है कि वायरस अभी भी बेहद शक्तिशाली है। यह तेजी से सुरक्षा चक्र में घुस रहा हैं। उन्होंने कहा कि जब सोचा जा रहा था कि इसे नियंत्रण में ला सकते हैं, उसी वक्त उसने जबरदस्त जवाबी हमला किया है। अब महामारी की हालत बद से बदतर हो रही है और यह देश के लिए गंभीर चिंता का विषय है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि कि देश में रोजाना सामने आ रहे कुल मामलों में से 78 फीसदी केवल महाराष्ट्र, पंजाब, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और गुजरात में मिल रहे हैं।
यूके और ब्राज़ील के स्ट्रेन
भारत में अब तक कोरोना वायरस के 11,064 जीनोम सैंपल की सीक्वेंसिंग की गई है। इसमें से 807 में यूनाइटेड किंगडम वाले स्ट्रेन की पुष्टि हुई है। 47 में दक्षिण अफ्रीकी और एक में ब्राजील का स्ट्रेन मिला है। वीके पॉल ने कहा है कि भारत में लगी जा रही कोवैक्सिन और कोविशील्ड कोरोना वायरस के ब्रिटेन, ब्राजील के स्ट्रेनों के खिलाफ पूरी तरह से कारगर साबित हो रही है। इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा है फिलहाल देश के दस जिले कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं
इनमें पुणे, मुंबई, नागपुर, ठाणे, नासिक, औरंगाबाद, बेंगलुरु शहरी, नांदेड़, दिल्ली और अहमदनगर शामिल हैं। देश की साप्ताहिक सक्रिय मामलों की दर 5.5 प्रतिशत के आसपास है। वहीं, महाराष्ट्र में यह काफी ज्यादा है। पंजाब में पर्याप्त संख्या में जांच नहीं हो रही है और ना ही मरीजों को आइसोलेट किया जा रहा है। वहां की सकारात्मकता दर 9 प्रतिशत है। इससे जाहिर है कि वहां पर्याप्त कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।


 


राज्यों पर डाली जिम्मेदारी
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि तेजी से बढ़ते मामलों पर कंट्रोल के लिए ज्यादा से ज्यादा कोरोना जांच, समय पर मरीजों की पहचान और इलाज की एकमात्र उपाय है। ऐसे में प्रभावित राज्यों को अधिक से अधिक जांच और क्लस्टर बनाने चाहिए। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना जांच में 70 प्रतिशत आरटीपीसीआर टेस्ट करने पर जोर दिया है। मंत्रालय का कहना है कि कांटेक्ट ट्रेसिंग पर जोर देना चाहिए, हर तीन संक्रमित लोगों के संपर्क में आए लोगों की पहचान की जानी चाहिए और उन्हें समय पर आईसोलेट और इलाज देना चाहिए।
बढ़ानी होगी अस्पताल की तादाद
केंद्र सरकार ने कहा है कि प्रभावित राज्यों में कोरोना अस्पतालों की संख्या बढ़ानी होगी। इसी तरह चिकित्साकर्मियों की संख्या में इजाफा करते हुए महामारी से बचाव के उपायों का भी सख्ती से पालन कराना चाहिए। राज्यों से वैक्सीनेशन अभियान में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने का भी आग्रह किया गया है। अभी तक केवल 16.53 फीसद वैक्सीनेशन ही निजी केंद्रों द्वारा किया गया है। वैक्सीनेशन अभियान की बात करें तो अब तक वैक्सीन की 6,30,54,353 खुराकें लगाई जा चुकी हैं।


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