भ्रष्टाचार में सजा काट चुके हैं सिक्किम के नए सीएम

Update:2019-05-31 12:34 IST
भ्रष्टाचार में सजा काट चुके हैं सिक्किम के नए सीएम

नई दिल्ली। करीब 25 साल से सिक्किम एक राजनीतिक स्थिरता लिए चल रहा था। पिछले पांच चुनाव से यहां एक ही नेता मुख्यमंत्री चुना जा रहा था - पवन कुमार चामलिंग। उन्होंने भारत में सबसे लंबे समय (८९३२ दिन) तक लगातार मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड बनाया है। 2009 में तो उनकी पार्टी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट ने विधानसभा की सारी 32 सीटें जीतकर रिकॉर्ड भी बनाया लेकिन 2009 में उनका एक विधायक बागी हो गया था। इस विधायक का नाम प्रेम सिंह तमांग था जिसे लोग प्रेम सिंह गोले के नाम से जानते हैं। अब 10 साल बाद 2019 में प्रेम सिंह गोले ने ही चामलिंग की गद्दी छीन ली है।

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नेपाली माता-पिता कालू सिंह तमांग और धान माया तमांग के पुत्र गोले का जन्म 5 फरवरी 1968 में हुआ था। गोले 1990 में सिक्किम में सरकारी टीचर नियुक्त हुए। तीन साल बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी और राजनीति में आ गए। 1994 के विधानसभा चुनाव में चुकहुंग सीट से चुनाव लड़े और पहली बार में ही उन्हें मंत्री बना दिया गया। इसके बाद 1999 और 2004 में भी वह मंत्री बनाए गए। 2009 में उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया तो वह बागी हो गए और लगातार मुख्यमंत्री चामलिंग के खिलाफ बयानबाजी करते रहे। 2013 में गोले ने अपनी पार्टी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा बनाई और 2014 के चुनाव में सत्ताधारी पार्टी को बड़ा झटका दिया। गोले की पार्टी ने 42 प्रतिशत वोट शेयर के साथ दस सीटें जीत लीं। गोले को पता नहीं था कि उन्हें एक बड़ा झटका लगना बाकी है। साल 2017 में भ्रष्टाचार और सरकारी धन के दुरुपयोग के एक मामले में कोर्ट ने उन्हें एक साल की जेल और 10,000 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई। इसी सजा के कारण गोले की विधानसभा सदस्यता भी चली गई। अगस्त 2018 में गोले जेल की सजा पूरी कर बाहर आए और अपनी पार्टी के कामकाज में लग गए। 23 मई 2019 को जब विधानसभा चुनाव के नतीजे आए तो पवन कुमार चामलिंग की पार्टी ने 32 सदस्यों की विधानसभा में 15 सीटें और प्रेम सिंह गोले की पार्टी 17 सीटें जीतीं। 27 मई को गोले ने सिक्किम के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। प्रेम सिंह गोले भ्रष्टाचार के दोषी होने के कारण जेल की सजा काट चुके हैं। उन्हें डर था कि अगर वह चुनाव लड़े तो उनका पर्चा कानूनी आधार पर खारिज हो सकता है। इसलिए उन्होंने विधानसभा का चुनाव ही नहीं लड़ा। अब मुख्यमंत्री बनने के छह महीने के भीतर उन्हें सदन की सदस्यता लेनी होगी। इसलिए उन्हें अब चुनाव भी लडऩा होगा।

16 मई 1975 को सिक्किम भारत का 22वां राज्य बना। ये भारत में सबसे आखिर में जुडऩे वाला राज्य है। 1975 से पहले तक सिक्किम पर चोग्याल राजवंश का शासन चलता था और यह एक स्वतंत्र देश था। इंदिरा गांधी सरकार के बड़े फैसलों में सिक्किम का भारत में विलय भी शामिल है। जनसंख्या (साढ़े छह लाख) के आधार पर यह भारत का सबसे छोटा राज्य है और भारत - चीन के बीच लगातार चलते रहने वाले तनाव के कारण यह बहुत महत्वपूर्ण भी है। इस राज्य में विधानसभा की 32 सीटें हैं। भारत के संविधान के मुताबिक किसी भी विधानसभा में कम से कम 60 और अधिक से अधिक 500 विधानसभा की सीटें हो सकती हैं लेकिन चार विधानसभाओं मिजोरम, सिक्किम, गोवा और पुड्डïुचेरी को इस नियम से छूट दी गई है। सिक्किम में भारत में सबसे कम 32 विधानसभा सीटें हैं।

 

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