बीजेपी की 'एक राष्ट्र, एक चुनाव’ अवधारणा देश के लिए खतरा: सीपीआई

Update: 2021-01-08 06:51 GMT
संपादकीय में केंद्र सरकार पर आरोप लगाया गया है कि इसके पीछे यह विचार है कि लोकतंत्र के लिए बहुत अधिक चुनाव नहीं, बल्कि शासन अहम है।

नई दिल्ली: देश के अंदर 'एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का मुददा गरमाने लगा है। विपक्ष ने केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है। सीपीआई ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की अवधारणा को ‘‘लोकतंत्र व देश के संघीय ढांचे’’ के लिए खतरा बताया है। साथ ही अन्य दलों से कहा है कि यदि केंद्र की बीजेपी सरकार संसद में इस मामले पर कोई प्रस्ताव लाती है, तो विपक्ष को मिलकर उसे खारिज कर देना चाहिए।

सीपीआई ने ये तमाम बातें पार्टी के मुखपत्र ‘पीपल्स डेमोक्रेसी’ के जरिये कही हैं। पार्टी के मुखपत्र में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव: लोकतंत्र व संघीय ढांचे के लिए खतरा’ शीर्षक के तहत प्रकाशित संपादकीय में आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार और बीजेपी ‘‘भारत के संविधान और संसदीय लोकतंत्र के आधार पर एक और गंभीर हमला’’ करने की योजना बना रही है।

बीजेपी की 'एक राष्ट्र, एक चुनाव’ अवधारणा देश के लिए खतरा: सीपीआई (फोटो:सोशल मीडिया)

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सम्पादकीय के जरिये केंद्र सरकार पर साधा निशाना

सीपीआई ने इस लेख के जरिये कहा है, ‘‘बीजेपी ने दिसंबर 2020 के आखिरी सप्ताह में 25 डिजिटल सम्मेलन आयोजित किए, जिनमें ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के विचार का प्रचार किया गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की आवश्यकता के बारे में समय-समय पर बात करते रहे हैं। ये सम्मेलन इसी की पृष्ठभूमि में किए गए। प्रधानमंत्री ने हाल ही में संविधान दिवस पर 26 नवंबर को पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में इस संबंध में अपनी बात रखी थी।’’

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बीजेपी की 'एक राष्ट्र, एक चुनाव’ अवधारणा देश के लिए खतरा: सीपीआई (फोटो:सोशल मीडिया)

इस लेख के जरिये सीधे-सीधे केंद्र सरकार पर हमला बोला गया है। संपादकीय में केंद्र सरकार पर आरोप लगाया गया है कि इसके पीछे यह विचार है कि लोकतंत्र के लिए बहुत अधिक चुनाव नहीं, बल्कि शासन अहम है। संदेश बिल्कुल साफ है कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की अवधारणा ‘एक राष्ट्र, एक नेता’ का तार्किक विस्तार ही है।

सीपीआई ने इस पर एतराज जताया है। हालांकि बीजेपी की तरफ से सीपीआई के मुख पत्र में छपे इस लेख को लेकर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

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