शाहीन बाग की मास्टरमाइंड दादी, बिहार से पहुंची दिल्ली, बनी है बड़ी नेता

दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) के खिलाफ करीब दो महीने से प्रदर्शन चल रहा है। शाहीन बाग इलाके में सीएए के खिलाफ 15 दिसंबर से हो रहे विरोध प्रदर्शन में धाकड़ दादियां गरज रही हैं।

Update: 2020-02-19 11:42 GMT

नई दिल्ली: दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) के खिलाफ करीब दो महीने से प्रदर्शन चल रहा है। शाहीन बाग इलाके में सीएए के खिलाफ 15 दिसंबर से हो रहे विरोध प्रदर्शन में धाकड़ दादियां गरज रही हैं।

इन दादियों में 75 साल की सरवरी, 82 वर्षीय बिलकिस और असमा खातून मशहूर हैं। इनमें सबसे ज्यादा चर्चा बिहार से शाहीन बाग पहुंची 90 साल की असमा खातून की है। प्रदर्शनकारियों में असमा खातून सबसे ज्यादा उम्रदराज हैं। वह शाहीन बाग पहुंचने के बाद दबंग दादी के नाम से मशहूर हो गई हैं।

असमा खातून बिहार के सीतामढ़ी जिले के रायपुर इलाके की रहने वाली हैं। उनके पति हाजी मौलाना अब्दुल हसन का करीब 7-8 साल पहले उनका इंतकाल हो चुका है।

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तीनों दादियों में सबसे बुजुर्ग असमा खातून कहती हैं कि मोदी से पूछिये हम प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं? हमें ऐसा दिन क्यों देखना पड़ा...इसकी जरूरत क्यों पड़ी कि मैं प्रदर्शन करूं। मैं नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हूं।

जब उनसे पूछा गया कि वो आखिर क्यों चाहती हैं कि ये कानून वापस हो, तो असमा खातून कहती हैं कि वे हमें नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज दिखाने को कह रहे हैं। इस देश में तमाम ऐसे लोग हैं जिनके पास कोई कागज नहीं हैं। कई लोगों के दस्तावेज बाढ़-बारिश में बह गए और वे कहां से लाएंगे कागज?

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असमा खातून दिसंबर में अपनी नवजात पोती को देखने के लिए दिल्ली पहुंची थी। इस दौरान जब जामिया इलाके में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हुआ तो वो भी देखने आईं और फिर 24 घंटे जारी धरने में शामिल होने का फैसला किया।

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गौरतलब है कि शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर चल रहे प्रदर्शन को खत्म करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से वार्ताकारों के एक पैनल का गठन किया है जिसमें वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े, वकील साधना रामचंद्रन और पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह शामिल हैं। ये वार्ताकार सभी प्रदर्शनकारियों से बातचीत करेंगे और जिस सड़क पर प्रदर्शनकारी बैठे हैं, उसको खुलवाने की कोशिश करेंगे। यह सभी वार्ताकार आज यानी बुधवार को शाहीनबाग पहुंचे भी हैं।

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