रक्षा मंत्रालय का कमाल: 10 हजार करोड़ का फायदा, 83 लड़ाकू विमानों की हुई डील

वायु सेना के नेतृत्व वाले हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने भी मोलभाव कर लड़ाकू विमानों की खरीद में देश का करोड़ों रुपये बचाया है। इस मोलभाव की वजह से 83 हल्के लड़ाकू विमानों की डील अब 10 हजार करोड़ रुपये कम पर हुई।

Update: 2019-12-18 13:44 GMT

नई दिल्ली: आपको जानकर हैरानी होगी कि मोलभाव करके केवल महिलायें ही पैसा नहीं बचाती हैं बल्कि देश के रक्षा मंत्रालय के वित्त विभाग और वायु सेना के नेतृत्व वाले हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने भी मोलभाव कर लड़ाकू विमानों की खरीद में देश का करोड़ों रुपये बचाया है। इस मोलभाव की वजह से 83 हल्के लड़ाकू विमानों की डील अब 10 हजार करोड़ रुपये कम पर हुई।

50,025 करोड़ रुपये में खरीदने के सौदे पर लगी थी मुहर

रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने नवंबर 2016 में 83 तेजस मार्क-1ए विमानों को 50,025 करोड़ रुपये में खरीदने के सौदे पर मुहर लगाई थी। बता दें कि रक्षा मंत्रालय के खरीद संबंधित सभी फैसले डीएसी ही लेता है।

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रक्षा सूत्रों ने बताया कि रक्षा सौदे का मसौदा एचएएल ने तैयार किया है और मोलभाव के बाद इसकी कीमत 40 हजार करोड़ रुपये तक आ गई है। 'अब रक्षा मंत्रालय को स्वदेशी इंडस्ट्री के लिए अब तक के सबसे बड़े रक्षा सौदे पर मुहर लगाने की कोशिश में है।

दिसंबर 2017 में वायु सेना ने एचएएल को 83 हल्के लड़ाकू विमान खरीदने के लिए टेंडर जारी किए थे। मगर इसके बाद से कीमतों के लिए बातचीत का दौर जारी था। रक्षा मंत्रालय की वित्तीय शाखा को लगा कि एलसीए मार्क 1ए की कीमतें ज्यादा लगीं और इसके बाद तत्कालीन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस मामले को देखने के लिए एक समिति का गठन किया। इसके बाद से दोनों पक्षों के बीच कई दौर की बैठकें हुईं, लेकिन अब अनुबंध अंतिम चरण तक पहुंच गया है।

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अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस विमान

यह विमान अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। इसमें हथियारों को तेजी से लोड किया जा सकता है। इसकी निगरानी प्रणाली और इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली भी बेहतर है।

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